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बंगाल विधानसभा में चुने गए आधे विधायक दागी, आधे से ज्यादा करोड़पति 

तृणमूल कांग्रेस के 91 से अधिक और भाजपा के 55 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले।
बंगाल विधानसभा में चुने गए आधे विधायक दागी, आधे से ज्यादा करोड़पति 
केवल प्रतीकात्मक उपयोग के लिए

हालिया पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में चुने गए कुल विधायकों में लगभग आधे विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। यह तदाद पिछली विधानसभाओं की तुलना में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा, गठित होने वाली बंगाल विधानसभा के विधायकों की औसत आमदनी भी बढ़कर ढाई करोड़ हो गई है। यह जानकारी वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) जैसी अलाभकारी संस्था की ताजा जारी रिपोर्ट में दी गई है।

यद्यपि जनादेश ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रदेश की सत्ता में आने से रोक दिया है, लेकिन यह राजनीति के अपराधीकरण को नहीं रोक सका है। दरअसल, कई सारे विधायकों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो पिछली विधानसभाओं की तुलना में बहुत ज्यादा है। 2011 में वाममोर्चा सरकार की पराजय के बाद विधानसभा में दागी और धनाढ्य विधायकों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। 

दिलचस्प है कि नई विधानसभा के इस बदले चरित्र-स्वभाव का प्रभाव इसके द्वारा बनाये जाने वाले कानूनों पर भी पड़ेगा। बिना वाममोर्चा के प्रतिनिधित्व वाली यह विधानसभा एक बिल्कुल ही नया आयाम लिए होगी। 

ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की  लगातार तीसरी पारी  के साथ प्रदेश के कुल 292 विधानसभा सदस्यों में  142 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस के 91, भाजपा के 55 विधायक हैं और 1 निर्दलीय हैं। 

वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक,  2011 के पहले, मात्र 30 विधायक ऐसे थे, जिनके विरुद्ध आपराधिक मामले चल रहे थे।  2011 में जब वाम मोर्चे के लगातार 34 साल से जारी एकछत्र शासनकाल का अंत हुआ और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी पहली बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तो ऐसे विधायकों की संख्या  बढ़कर 102 हो गई।  इनमें, तृणमूल कांग्रेस के  सबसे ज्यादा 69 विधायक थे जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के मात्र 7 विधायकों के विरुद्ध ही आपराधिक मामले चल रहे थे।  2016 में, यानी पिछली विधानसभा में, आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या तो बढ़कर 107 हो गई। 

इसके अलावा,  नई निर्वाचित विधानसभा में 113 विधायक,  जो  कुल कानून निर्माताओं की  29 फ़ीसदी हैं, उनके विरुद्ध हत्या,  हत्या का प्रयास करने, बलात्कार, भ्रष्टाचार और इसी तरह की अन्य संगीन जुर्म के मामले चल रहे हैं। इनमें 30 विजयी उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या का प्रयास करने के मामले घोषित हैं जबकि  उनमें से 20 विधायकों के विरुद्ध महिलाओं के प्रति अपराध के  मामले दर्ज हैं। 

 रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्वाचित 213 विधायकों में से 73 (यानी  कुल सदन का 34 फीसदी) एआईटीसी के हैं और भाजपा के विजयी 77 उम्मीदवारों में से 39 (51 फ़ीसदी) के विरुद्ध गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए डाटा भारत निर्वाचन आयोग के यहां जमा किए गए विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के हलफनामों से जुटाए गए हैं। 

 संपत्ति के मामले में यह नई विधानसभा भी  अभूतपूर्व समृद्ध है, क्योंकि इसमें करोड़पति विधायकों की तादाद पिछली सभी विधानसभाओं की तुलना में सबसे अधिक 158 ( 54 फ़ीसदी) तक पहुंच गई है। फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के विजेता 62 फ़ीसदी उम्मीदवार और भाजपा के 33 फ़ीसदी विजयी उम्मीदवार करोड़पति हैं। 

 2006 की बात करें तो उस समय मात्र 7 विधायक ऐसे थे, जिनकी आमदनी एक करोड़ से ज्यादा थी।  उन 7 विधायकों में दो माकपा के,  तीन कांग्रेस के और एक डब्लूबीएसपी के थे। 

2011 में जब ममता बनर्जी सत्ता में आईं तो विधानसभा में 47 करोड़पति विधायक आ गए जिनमें तृणमूल कांग्रेस के ही 37 विधायक थे। शेष 10 विधायकों में एक फॉरवर्ड ब्लॉक के और एक रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के थे जबकि सीपीएम का एक भी विधायक करोड़पति नहीं था। 2016 में बंगाल में करोड़पति विधायकों की तादाद बढ़कर 100 हो गई और 2021 में उस रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए158 विधायक करोड़पति हो गए। 

उम्मीदवारों के हलफनामे के मुताबिक इस समय चुने गए 37 से ज्यादा उम्मीदवारों की  कुल परिसंपत्ति 5 करोड़ रुपये से अधिक की है। 

 इस सूची में भी  शीर्ष  पर सुशोभित तीन  विधायक तृणमूल कांग्रेस के ही हैं। सर्वोच्च नाम  कस्बा से तृणमूल कांग्रेस के विधायक अहमद जावेद खान का है, जिनकी कुल परिसंपत्ति 32 करोड़ रुपये के मूल्य से ज्यादा है।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक कस्बा के विधायक की परिसंपत्ति 2016 में 598 फ़ीसदी के आसपास थी, जबकि 2011 में खान की कुल परिसंपत्ति 2.16  करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं थी। 2021 में उनकी संपत्ति में लगभग 90 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। खान के खिलाफ भी धोखाधड़ी और छल-प्रपंच के मामले समेत अनेक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल के बेहद खास सदस्य और तृणमूल कांग्रेस नेता फिरहद हकीम की कुल परिसंपत्ति 13 करोड़ रुपये मूल्य की हो गई है, जो पिछले 5 सालों में 123 फीसद की वृद्धि है। तृणमूल के विधायक रुकबानूर रहमान (रिजावानुर रहमान के बड़े भाई, जिसने एक सम्पन्न परिवार की लड़की से शादी के बाद खुदकुशी कर ली थी) की आमदनी विगत 5 वर्षों में 2 लाख रुपये से 34 लाख रुपये हो गई है यानी 1152 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। मुर्शिदाबाद के सागरदिघी से निर्वाचित एक अन्य तृणमूल कांग्रेस विधायक की परिसंपत्ति 8 करोड़ रुपये की है, जो पिछले पांच सालों की तुलना में 387 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है।

नए भाजपा विधायकों की औसत परिसंपत्ति 1.13 करोड़ रुपये की रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के विजयी उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3 करोड़ रुपये की रही है।  
 
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Half of MLAs Elected to Bengal Assembly are Accused of Crimes; Over 50% Crorepatis

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