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हैप्पी दीपावली : एक व्यंग्यकार की निगाह से

दीपावली सिर्फ़ दिए जलाने का, पटाखे फोड़ने का, लक्ष्मी-गणेश के पूजन का ही दिन नहीं है, वह मित्रों को, जान पहचान वालों को और उससे भी ज़्यादा बड़े अफ़सरों को गिफ़्ट देने का अवसर है।
dipawali

आज दीपावली है। मतलब दीपों की कतार का दिन। आज का दिन‌ ही लक्ष्मी जी की पूजा का दिन है। लक्ष्मी जी मतलब धन की देवी। आज का दिन धन की देवी की पूजा का दिन है। अमीर-गरीब सभी आज लक्ष्मी जी की, धन की देवी की पूजा करते हैं। मतलब गरीब भी आज के दिन लक्ष्मी जी को अपनी देवी मान सकता है। अमीर के लिए तो लक्ष्मी पूजा का दिन हर रोज है।

आज के दिन लोग पटाखे भी खूब छोड़ते हैं। पटाखे वायु और ध्वनि दोनों प्रकार का प्रदूषण फैलाते हैं। कुछ लोग इसी कारण पटाखे नहीं छोड़ते हैं। वे लोग धर्म के तो द्रोही हैं ही देश के भी द्रोही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल धर्म और देश एक बन गए हैं। और वे लोग सरकार जी के भी द्रोही हैं क्योंकि सरकार जी और देश भी एक ही है। मतलब आजकल धर्म बराबर देश बराबर सरकार जी बन गया है। इसलिए पटाखे न छोड़ने वाले लोगों पर देशद्रोह की संगीन धाराएं लगाई जानी चाहिए और उन्हें अनिश्चित काल के लिए जेल भेज देना चाहिए।

आजकल जो जेल होती है, अनिश्चित काल के लिए ही होती है। उच्चतम न्यायालय भी यही मानता है और करता है। एक ओर वह सरकार की, सरकारी एजेंसियों की आलोचना करता है, उनके तर्कों की धज्जियां उड़ाता है, सरकारी वकील, सीबीआई, ईडी को डांट पिलाता है और फिर दूसरी ओर अभियुक्त की बेल खारिज कर देता है। इससे अभियुक्त और सरकार दोनों खुश रहते हैं। सरकार इसलिए खुश कि अभियुक्त को बेल नहीं मिली और अभियुक्त इसलिए खुश कि भले ही बेल न मिली हो, सरकार को डांट तो पड़ी। न्यायालय का काम आजकल सबको खुश रखना हो गया है।

बात तो हम दिवाली की, लक्ष्मी पूजा और गरीबों की कर रहे थे। सरकार जी ने प्रण किया है कि ये जो देश में लगभग अस्सी करोड़ लोग गरीब हैं, उन्हें कम से कम अगले पांच वर्ष तक और गरीब ही रखा जाएगा। सरकार जी इसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। सरकार जी अट्ठारह अट्ठारह घंटे काम सिर्फ इसीलिए कर रहे हैं कि कहीं गरीब कम न हो जाएं। सरकार जी छुट्टी भी इसीलिए नहीं करते हैं कि कहीं उन्होंने छुट्टी की और गरीब कम हो गए तो वे अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त पांच किलो अनाज देने का पुण्य कैसे कमाएंगे।

वैसे यह सिर्फ पुण्य कमाने की बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि सरकार जी लक्ष्मी जी की पूजा नहीं करते हैं। सरकार जी तो लक्ष्मी जी के घनघोर पुजारी हैं। वे लक्ष्मी जी के ही नहीं सभी देवी देवताओं के घनघोर पुजारी हैं। वे इतने घनघोर पुजारी हैं‌ कि जहां भी, जिस भी मंदिर में, जिस किसी भी भगवान, देवी-देवता की वे पूजा करने जाते हैं तो अखबारों में उस भगवान या देवी-देवता की फोटो नहीं छपती है। सिर्फ सरकार जी की फोटो छपती हैं।

जब सरकार जी लक्ष्मी जी से प्रार्थना करते हैं तो कहते हैं कि लक्ष्मी जी, कृपया सिर्फ वहीं पधारें जहां वे पहले से विराजमान हैं। वैसे भी लक्ष्मी जी का स्वभाव भी यही है। इसीलिए कहावत भी है, पैसा पैसे को खींचता है। और सरकार जी इसके लिए सिर्फ प्रार्थना ही नहीं प्रयत्न भी करते हैं। सरकार जी ने इसीलिए ऐसे प्रयत्न किए हैं, ऐसी पोलिसीयां बनाईं हैं, ऐसे प्रावधान किए हैं जो गरीबों, कामगारों, किसानों, मजदूरों के पक्ष में न हों। सरकार जी की सारी की सारी मेहनत, यह अट्ठारह-अट्ठारह घंटे काम करना, सिर्फ अपने मित्रों के लिए है, अमीरों के लिए है।

दीपावली सिर्फ दिए जलाने का, पटाखे फोड़ने का, लक्ष्मी-गणेश के पूजन का ही दिन नहीं है, वह मित्रों को, जान पहचान वालों को और उससे भी ज्यादा बड़े अफसरों को गिफ्ट देने का अवसर है। इसमें भी सबसे ज्यादा दिक्कत यह ध्यान रखने में होती है कि कौन सा गिफ्ट कहां से आया था। ध्यान रखना पड़ता है कि गिफ्ट पलट कर उसी के पास न पहुंच जाए जिसने हमें दिया था। वैसे भी उसने कौन सा खरीद कर दिया होगा। कहीं से आया हुआ होगा और हमें टपका दिया होगा।

गिफ्टों के इस आदान प्रदान में पहले सोन पापड़ी के डिब्बे को पहला स्थान प्राप्त था। घर में सोन पापड़ी के इतने डिब्बे आ जाते थे कि उन्हें बाहर ठेलना ही पड़ता था। आपको नए नए लोग ढूंढने पड़ते थे सोन पापड़ी का डिब्बा थमाने के लिए। यह एक शोध का विषय हो सकता है कि गिफ्टों के आदान प्रदान को बढ़ाने में सोन पापड़ी के डिब्बों का कितना योगदान है। अब जमाना आगे फिसल चुका है। अब सोन पापड़ी का स्थान ड्राई फ्रूट के डिब्बों ने और गिफ्ट हेम्पर्स ने ले लिया है।

दिवाली एक बहुत ही बढ़िया त्यौहार है जिसका सभी को पूरे वर्ष इंतजार रहता है। यह तो व्यंग्यकार का स्वभाव ही है कि सभी चीजों में व्यंग्य ढूंढ कर लाए। इसलिए इन बातों पर ध्यान न दें। त्यौहार को हंसी खुशी से मनाएं। सभी मित्रों, पाठकों और देशवासियों को दिवाली की शुभकामनाएं।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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