हरियाणाः किसान आंदोलन के बीच जनता पर महंगाई की एक और मार, बिजली बिलों पर 'नए पंचायत कर' को मंज़ूरी
हरियणा का किसान पिछले 28 दिनों से केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष कर रहा है। इस बिच में हरियाणा सरकार ने राज्य के ग्रामीण निकाय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बिजली उपभोक्ताओं के बिल पर दो प्रतिशत ‘पंचायत कर’ लगाने का बुधवार को फैसला किया। किसानो और विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए नए कर को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
किसानों ने साफ किया ग्रमीण इलाकों में किसान ही तो रहता है जो पहले ही मँहगाई और अपनी कम आय से परेशान है ,अब उसपर से ये नया कर किसानों के लिए एक और मुसीबत से कम नहीं है।
हालंकि अधिकारियों ने बताया कि कृषि और कुछ अन्य श्रेणियों में बिजली उपयोग को कर से छूट दी गई है। राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के वित्तीय संसाधनों में वृद्धि करने के लिए बिजली बिल पर कर लगाने का फैसला लिया है।
उसमें कहा गया है, लेकिन यह कर ‘‘भारत सरकार द्वारा बिजली के उपयोग, केन्द्र द्वारा रेलवे के किसी भी विनिर्माण या मरम्मत या संचालन कार्य में बिजली के उपयोग या ग्राम पंचायतों के तहत कृषि कार्य में बिजली के उपयोग पर लागू नहीं होगा।’’
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद खट्टर ने कहा कि इस कदम से पंचायतों को साल में 100 से 125 करोड़ तक का वित्तीय लाभ होगा जिसका उपयोग विकास कार्यो में किया जा सकेगा।
बयान के अनुसार, पंचायत कर का संकलन उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा किया जाएगा। कर की राशि राज्य सरकार को दी जाने वाली ड्यूटी के हिसाब से ही बिजली बिल में ली जाएगी और फिर उसे पंचायतों को भेज दिया जाएगा।
विपक्ष ने हालांकि इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ग्रामीण उपभोक्ताओं पर लगाया गया कर तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।’’
(समचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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