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हरियाणा: निगम व नगर पालिका कर्मियों की भूख हड़ताल जारी, रैली की चेतावनी

साल भर बाद भी सरकार द्वारा समझौते को लागू नहीं करने के चलते ये कर्मचारी मजबूरन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
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हरियाणा के निगम और नगर पालिका कर्मचारियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। ये कर्मचारी बीते लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर मनोहर लाल खट्टर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते अब इनका सब्र टूट गया है, और कर्मचारियों ने सोमवार, 25 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि लगभग दो दिन का समय बीतने के बावजूद सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया है।

हरियाणा नगर पालिका कर्मचारी संघ के आह्वान पर रोहतक, सोनीपत, गुरुग्राम समेत तमाम जिलों में ये कर्मचारी क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं प्रदेशभर के नगर निगम, नगर पालिका और परिषद् कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन भी जारी है। इन कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार जल्द ही इनकी मांगों पर सुनवाई नहीं करती तो आगे 15 अक्टूबर को रोहतक में एक रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रदेशभर के कर्मचारी शामिल होंगे। इस रैली में फरीदाबाद से विशेष तौर पर कर्मचारियों के पैदल यात्रा और झज्जर, दादरी व बहादुरगढ़ से बाइक यात्रा कर यहां पहुंचने की खबर है।

सरकार ने ज्यादातर मांगें मान ली थी, लेकिन लागू कुछ नहीं हुआ

संगठन के महासचिव मांगेराम तिगरा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि बीते साल भी नगर निगम, परिषद और नगर पालिका कर्मचारियों ने भूख हड़ताल की थी। तब सरकार ने ज्यादातर मांगों को जायज़ मानते हुए जल्द कार्यवाही करने की बात भी कही थी। लेकिन अब साल भर बीत जाने के बाद भी मांगी हुई मांगों पर सरकार ने जब कोई पहल नहीं की, तो मजबूरन एक बार फिर कर्मचारियों को भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है।

मांगेराम के मुताबिक प्रदेश के ज्यादातर जिलों में ये कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अपने-अपने कार्यालयों के बाहर धरने और भूख हड़ताल पर बैठे हैं। ये भूख हड़ताल फिलहाल पांच दिनों की है, जिसमें 25 सितंबर से लेकर 29 सितंबर तक अलग-अलग कर्मचारी क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। अगर फिर भी सरकार नहीं सुनती, तो आगे का कदम, आंदोलन रैली के बाद तय किया जाएगा।

क्या हैंं कर्मचारियों की मांगें?

- छटनीग्रस्त कर्मचारियों की बहाली कर रोल पर रखना

- फायर विभाग को शहरी स्थानीय निकाय विभाग में शामिल करना

- ठेका प्रथा खत्म कर कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना

- फायर कर्मियों को 1 हजार रुपये जोखिम भत्ता और सफाई कर्मचारियों को 1 हजार रुपये स्वच्छता प्रोत्साहन राशि

- जोखिम पूर्ण कार्य करने वाले सभी पालिका कर्मचारियों को 5 हजार रुपये जोखिम भत्ता

- 2063 फायर ऑपरेटर कम ड्राइवरों की भर्ती पर रोक

- क्लर्कों को 35 हजार 400 रुपये ग्रेड पे और ग्रुप डी के कर्मचारियों को 29 हजार 100 रुपये ग्रेड पे देना

- सफाई निरीक्षक व जेई की वेतन विसंगति दूर कर, डिमिनेशन कॉडर में शामिल पदों को बहाल करना

सरकार है हड़ताल की जिम्मेदार

अंबाला में प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि सरकार को न जनता की पड़ी है न कर्मचारियों की। हड़ताल के चलते जो भी दिक्कतें आती हैं, उसकी जिम्मेदार सरकार है क्योंकि वही कर्मचारियों से बार-बार हड़ताल करवाने पर मजबूर करती है। जब भी हड़ताल होती है, तो कुछ समय बाद सरकार बातचीत के लिए आगे आती है, समझौते करती है, लेकिन इससे जुड़ा कोई परिपत्र जारी नहीं करती। यहां उनकी कथनी और करनी में फर्क दिखता है।

कर्मचारियों की सरकार से साफ मांग है कि बीते साल 29 अक्टूबर 2022 और पांच अप्रैल 2023 के समझौतों को सरकार जल्द लागू करे। इस समझौते में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, एलटीसी, वर्दी, तेल, साबुन, एसीपी, स्केल, समान काम समान वेतन लागू करने, फायर के कर्मचारियों को ऑपरेटर के पदों पर समायोजित करना, फायर विभाग को निकाय में शामिल किए जाने समेत तमाम वादे किए गए थे।

कई और मांगे भी हैं

बता दें कि इन कर्मचारियों की कई अन्य मांगें भी हैं जिसमें सीवर मैन कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण देना, अनुबंधित फायर मैन व ड्राइवरों को जॉब सुरक्षा की गारंटी, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को वर्दी भत्ता, नौकरी पर जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सहायता, दुर्घटनाग्रस्त होने पर इलाज़ की सहायता आदि शामिल हैं। फिलहाल कर्मचारी नियमितीकरण को अपनी पहली और सबसे जरूरी मांग बता रहे हैं, जिसे लेकर इनका कहना है कि सरकार ने वादे के बावजूद इस पर अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है।

बीते साल भी हुआ था बड़ा आंदोलन

गौरतलब है कि बीते साल दिवाली के समय नगर पालिका कर्मचारी संघ ने बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद 29 अक्टूबर को संघ और सरकार के बीच कई समझौते हुए थे, जिसमें सरकार ने कर्मचारियों की लगभग सभी मांगों को मान भी लिया था। लेकिन अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसके उलट सरकार ने फायर स्टाफ की नई भर्तियां निकाल दीं, जबकि समझौते में अनुबंध पर तैनात फायर स्टाफ को सेवा सुरक्षा प्रदान करने की बात हुई थी।

कर्मचारियों के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और निकाय मंत्री के साथ उनके संगठन और कर्मचारियों की कई बार मीटिंग हो चुकी है, दो बार आपसी सहमति से समझौते भी हुए हैं लेकिन सरकार किसी को लागू करने के मूड में नज़र नहीं आ रही। सरकार की इस अनदेखी के चलते प्रदेश के नगर निगमों, नगर परिषदों व पालिकाओं के करीब 40 हजार कर्मचारियों में रोष है क्योंकि मुख्यमंत्री लाखों रुपये खर्च करके जन संवाद तो कर रहे हैं, लेकिन इन कर्मचारियों की समस्या सुन तक नहीं रहे।

मालूम हो कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है और ये बीते लंबे समय से प्रदेश में किसानों और कर्मचारी संगठनों का विरोध झेल रही है। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव मौजूदा सीएम खट्टर के लिए आसान साबित होते दिखाई नहीं दे रहे। उनकी यौन शोषण के मामले में मंत्री संदीप सिंह को लेकर भी काफी फजीहत हुई, इसके अलावा आए दिन प्रदेश में प्रदर्शन, पहलवानों का जंतर-मंतर पर धरना, किसानों और खापों की नाराज़गी उनके सामने बड़ी चुनौतियां पेश कर रही हैं।

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