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हरियाणा: SIT के विरोध के बावजूद मंत्री संदीप सिंह को मिली अग्रिम ज़मानत

चंडीगढ़ कोर्ट ने यौन शोषण के आरोपी मंत्री संदीप सिंह की अग्रिम ज़मानत याचिका मंज़ूर कर ली। महिला कोच ने इस फ़ैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चैलेंज करने की बात कही है।
Sandip Singh

हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली जूनियर महिला कोच के हाथ एक बार फिर निराशा लगी है। चंडीगढ़ कोर्ट ने संदीप सिंह की अग्रिम ज़मानत याचिका मंज़ूर कर ली है। इससे पहले गुरुवार, 14 सितंबर को अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ पुलिस की SIT ने मंत्री की अग्रिम ज़मानत याचिका का विरोध किया था, बावजूद इसके अदालत का फैसला पीड़िता के पक्ष में नहीं आ सका। हालांकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ महिला कोच इस फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगी।

बता दें कि इस मामले में करीब आठ महीने बाद 25 अगस्त को चंडीगढ़ पुलिस ने चालान पेश किया था। जिसमें मंत्री पर आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 354 ए, 354 बी, 342 (गलत तरीके से कैद करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या अपमान करने का इरादा) का ज़िक्र किया था। इसके बाद संदीप सिंह ने 4 सितंबर को अदालत में अग्रिम ज़मानत याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के दौरान SIT ने अपने जवाब में कई गंभीर बातों की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए संदीप सिंह पर तथ्य छिपाने, लाई डिटेक्शन टेस्ट से जानबूझ कर इनकार, जांच एजेंसी को सहयोग नहीं करना, पीड़िता पर झूठी एफआईआर समेत तमाम बातों का ज़िक्र किया था। SIT ने अदालत से कहा था कि संदीप सिंह की ज़मानत का कोई आधार नहीं बनता है, इसलिए ज़मानत याचिका को खारिज कर देना चाहिए।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ अदालत में?

चंडीगढ़ कोर्ट में 14 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों की ओर से अपनी अपनी दलीलें रखीं गईं। आरोपी संदीप सिंह के वकीलों ने जहां अग्रिम ज़मानत देने के दबाव बनाया, वहीं जूनियर महिला कोच के वकील समीर सेठी और दीपांशु बंसल ने बहस के दौरान योग्यता के आधार पर ज़मानत के जवाब के साथ गुण-दोष के आधार पर इसका विरोध किया।

इससे पहले अदालत में SIT ने इस ज़मानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें स्पष्ट तौर पर इसे खारिज करने की बात कही गई थी। इसे आधार बनाते हुए महिला कोच के वकीलों ने भी कोर्ट में संदीप सिंह की ज़मानत का लेकर विरोध किया था। उन्होंने आरोपी की ओर से दायर की गई अग्रिम ज़मानत याचिका की कॉपी शिकायतकर्ता को उपलब्ध नहीं कराने की बात भी अदालत में रखी थी जिस पर कोर्ट ने शिकायतकर्ता को ज़मानत याचिका की प्रति देने का आदेश दिया था।

अदालत में संदीप सिंह की ओर से तर्क दिया गया कि "उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने महिला कोच की ग़ैर-वाजिब मांगों को पूरा नहीं किया इसलिए उन पर ये केस दायर किया गया है। और वो कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं और उन्होंने जांच में सहयोग किया है, इसलिए वो इस ज़मानत के हकदार हैं।"

पीड़िता के वकीलों ने SIT के जवाब को बनाया आधार

हालांकि SIT ने अपने जवाब में संदीप सिंह के जांच में सहयोग न करने की बात कही थी, जिसे पीड़िता के वकीलों ने भी अदालत के सामने रखा और ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संदीप सिंह विधान सभा के सदस्य हैं और इस नाते वे "पीड़ित पर दबाव बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रहे थे।" अगर उन्हें राहत दी गई तो वे मुकदमे को प्रभावित करेंगे।

संदीप सिंह की अग्रिम ज़मानत याचिका के विरोध में ये भी कहा गया कि "उन्होंने जानबूझकर मामले से जुड़े तथ्य छिपाए हैं। इसमें जांच एजेंसी को प्रभावित करने और सही तथ्यों को निर्धारित करने में सहयोग न करने वाली जानकारी भी शामिल है। इसके अलावा संदीप सिंह के पुलिस को दिए बयानों और जांच में सामने आए तथ्यों के बीच विरोधाभास का तर्क भी दिया गया।"

ज़मानत के विरोध में पोलिग्राफ टेस्ट से आखिर में इनकार की बात को आधार बनाते हुए आरोपी के व्यवहार पर विचार करने की बात कही गई। इसमें कहा गया कि "लाई डिटेक्शन टेस्ट की अर्जी पर लंबे समय तक जवाब न देना और बाद में इसके लिए मना कर देना दर्शाता है कि आरोपी सही तथ्य छिपा रहा है।" दलील में ये भी कहा गया कि "आरोपी ने जांच को प्रभावित करते हुए पीड़िता को पैसे का लालच दिया, अपने पद का प्रयोग करते हुए उस पर दबाव बनाया। उसे निलंबित किया गया और CID के जरिए उस पर नज़र रखी गई। इसके अलावा पीड़िता के खिलाफ शिकायत दायर कर बिना FIR दर्ज किए मामले में SIT बना दी गई। यह सब पीड़िता का शोषण करने और उस पर दबाव बनाने के लिए किया गया।"

गौरतलब है कि शुरू से ही इस मामले में राज्य की खट्टर सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में भी ये मामला सुर्खियों में रहा, जहां खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुलकर राज्यमंत्री संदीप सिंह के समर्थन में आएं और उन्होंने कहा कि वह संदीप सिंह का इस्तीफा नहीं लेंगे। इस दौरान सदन में हंगामा और विपक्ष का वॉकआउट भी देखने को मिला लेकिन सरकार अपने रवैए पर अडिग नज़र आई। महिला संगठन और नागरिक समाज के लोग भी लगातार सरकार को घेरते हुए मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार शुरुआत से ही सब कुछ अनसुना कर रही है।

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