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तीन दिन के संघर्ष के बाद आख़िरकार झुका हरियाणा प्रशासन, रिहा हुए किसान, रद्द होंगे मुक़दमे

किसानों की रिहाई को लेकर हरियाणा में टोहाना थाने के बाहर किसानों का धरना तीन दिन से चल रहा था। आज आसपास के चार जिलों के हज़ारों किसान और पहुँच जिसके बाद प्रशासन उनकी मांगें मानाने को तैयार हुआ और सभी गिरफ़्तार किसानों को रिहा कर दिया गया।  
तीन दिन के संघर्ष के बाद आख़िरकार झुका हरियाणा प्रशासन, रिहा हुए किसान, रद्द होंगे मुक़दमे

पिछले छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसान तीन नए विवादित कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ अपने धरने पर जमे हुए हैं। इस बीच हरियाणा इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। वहां के किसान, आंदोलन की शुरुआत से ही सरकार और बीजेपी व उनके अन्य सहयोगियों का खुलकर विरोध कर रहे हैं जिस कारण कई बार हरियाणा सरकार और किसानों का टकराव होता रहा है। अभी तक के संघर्षों में सरकार को ही झुकना पड़ा है।

अभी ताज़ा मामला फतेहाबाद जिले के टोहाना का है जहाँ किसान पिछले तीन दिनों से अपने गिरफ़्तार किसान साथी को रिहा करने के लिए टोहाना सदर थाने का घेराव किए हुए थे। रविवार से किसानों ने थाने के भीतर ही टेंट लगा दिया था। आज सोमवार को यहां चार जिले सिरसा, फतेबाद, जींद और हिसार के किसान टोहाना पहुंचे। उससे पहले ही रविवार देर रात दो किसानों को जेल से रिहा कर दिया गया, जबकि तीसरे के लिए किसान संघर्ष करते रहे। किसान नेताओं के मुताबिक़ अब तीसरे किसान पर भी दर्ज मुक़दमे को प्रशासन वापस लेने को तैयार हो गया। इसे किसान नेता किसान संघर्षों की जीत बता रहे है।

आज पूरे हरियाणा में किसानों ने सभी थानों का घेराव न करने का आह्वान किया था परन्तु प्रशासन के नरम रवैये को देखते हुए इसे कैंसिल कर दिया गया और सिर्फ टोहाना के सदर थाने पर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन कर रहे किसानों की साफ मांग थी कि तीन किसानों जिन्हें पुलिस ने जेजेपी विधायक देवन्द्र बबली का विरोध करने पर गिरफ़्तार किया है उन्हें तत्काल रिहा किया जाए। साथ ही उन्होंने गिरफ्तार किसानों पर से आपराधिक मामले वापस लिए जाने की मांग की थी। जिसे प्रशासन ने मान लिया है। हालांकि किसानों का कहना है जब तक उनका तीसरा साथी उनके पास थाने में लगे मंच तक नहीं आता तब आंदोलन जारी रहेगा।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कुछ देर में काग़ज़ी कार्रवाई के बाद तीसरे किसान मखन सिंह जिनपर पर 307 का मुकदमा  दर्ज हुआ था उसे भी रदद् कर दिया गया। इसी तरह बाकी अन्य किसानों पर भी दर्ज मुकदमे खारिज कर दिए गए है। हरियाणा किसान नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव सुमित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया, " टोहाना मामले में यह किसान आंदोलन की जीत है, सरकार के दबाव में प्रशासन ऐसी हरकतें कर रहा है। राज्य की खट्टर सरकार केंद्र के साथ मिलकर आंदोलन का ध्यान दिल्ली बॉर्डर से हटाकर हरियाणा में करना चाहती है। लेकिन किसान ये समझ चुका है इसलिए आज भी यहाँ हज़ारो किसान आ रहे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर भी किसानों की संख्या बढ़ाई जा रही है।"

पूरा मामला है क्या?

मंगलवार को टोहाना से जननायक जनता दल (जेजेपी) के विधायक देवेन्द्र बबली पर किसानों को गाली देने का आरोप लगा था जिसके बाद वो बड़ी मुश्किल से अपनी गाड़ी के साथ किसानों के बीच से निकल पाए थे। किसानों ने उन्हें उनकी ही गाड़ी में बंधक बना लिया था। बाद में पुलिस की मदद से वे बाहर निकल पाए। बुधवार को विधायक से नाराज़ किसानों का टोहाना में बड़ा प्रदर्शन हुआ। टोहाना के हिसार रोड स्थित टाउन पार्क के बाहर हजारों किसान सड़क पर ही एकत्रित हुए। किसान एक काफ़िले को लेकर एसडीएम कार्यालय की तरफ चले और हज़ारों किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव किया और वहीं पर अपनी सभा का संचालन भी किया। जिसके बाद प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों के डेलिगेशन को बुलाया जिसमें स्थानीय नेताओं के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चे के नेता भी शामिल हुए। जिसके बाद किसानों ने प्रशासन को छह जून तक का समय दिया की वो उनकी मांगें मान ले नहीं तो वे पूरे राज्य में प्रदर्शन करेंगे।

मोर्चे के फैसले के बाद भी बुधवार रात युवा किसानों ने यहाँ जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक देवेंद्र सिंह बबली के आवास का घेराव करने की कोशिश की जिसके बाद किसानों के एक समूह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने घटना के सिलसिले में विकास सिसार और रवि आज़ाद को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिन्हें जिला न्यायाधीश ने रविवार देर रात ही आनन-फ़ानन में रिहा कर दिया और पुलिस ने फुर्ती दिखाते हुए उन्हें रविवार रात एक बजे ही जेल से आज़ाद कर दिया। जबकि एक अन्य किसान मखन सिंह जिनपर विधायक के निजी सचिव और उनके अन्य सहयोगियों द्वारा 307 धारा के तहत मुक़दमा दर्ज कराया गया था उन्हें नहीं छोड़ा गया था, जिसके लिए किसान सोमवार को भी संघर्ष करते रहे और अंत में प्रशासन ने उन्हें भी रिहा करने और मुक़दमे भी रद्द करने का आश्वासन दिया जिसके बाद किसान भी थाने से मोर्चा हटाने को तैयार हुए।  

रविवार को थाने के बाहर लोगों को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि जब तक साथी किसानों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक प्रदर्शनकारी किसान यहां से नहीं हटेंगे।

प्रदर्शनकारी किसानों ने पहले भी विधायक बबली के खिलाफ गाली-गलौज करने के आरोप में मामला दर्ज करने की मांग की थी। बबली ने शनिवार शाम ही किसानों के खिलाफ "अनुचित" शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद व्यक्त किया था। उस समय सरकारी सूत्रों ने कहा कि मामला ख़त्म हो गया है। इस तरह की खबरें भी आई कि प्रशासन किसानों को रिहा करने को भी तैयार हो गया है परन्तु ऐसा नहीं हुआ। किसानों का कहना है कि सरकारी दबाव की वजह से प्रशासन किसानों को नहीं छोड़ रहा था।

आपको बता दें संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक टीम को भेजा जिसमे राकेश टिकैत, गुरुनाम सिंह चढूनी तथा योगेंद्र यादव शामिल थे जबकि इसके अलावा स्थानीय मोर्चों के नेता भी थे। संयुक्त मोर्चा ने साफ किया या तो गिरफ़्तार किसानों को रिहा किया जाये या सभी किसानों को गिरफ़्तार करें। शनिवार को हज़ारों किसान अनाज मंडी में एकत्र हुए थे और फिर थाने की ओर मार्च किया। संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहा था।

रविवार को मोर्चे के नेताओ के मौजूदगी में महिलाओं के एक समूह ने किसानों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए गीत गाए।

उन्होंने किसानों के मुद्दे पर केंद्र और हरियाणा सरकार पर कटाक्ष किया और उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला को किसानों के साथ नहीं खड़े होने के लिए आड़े हाथों लिया। टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार कृषि कानूनों को निरस्त नहीं कर देती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून नहीं बना देती।

एक जून को, बबली को किसानों के एक समूह के विरोध का सामना करना पड़ा था। किसानों ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे और नारे लगाए। बबली ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने गलत व्यवहार किया और उनकी कार के शीशे तोड़ दिए।

हालांकि, किसानों ने बबली पर सार्वजनिक रूप से अभद्र और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को कहा था कि अगर विधायक बबली ने छह जून तक माफी नहीं मांगी तो वे सात जून को राज्य भर के सभी थानों का घेराव करेंगे। राज्य में कई किसान समूह भाजपा-जजपा नेताओं के सार्वजनिक कार्यक्रमों का विरोध करते रहे हैं।

अंबाला में पत्रकारों ने जब गृह मंत्री अनिल विज से किसानों द्वारा अपने सहयोगियों की रिहाई की मांग के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें रिहा करना अदालतों पर निर्भर है। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? वे अपनी अर्जी अदालत में दायर कर सकते हैं जो तब उनकी याचिका पर फैसला करेगी।’’

सरकार के इस जवाब को किसान नेता आंदोलन को भटकाने की साज़िश बताया था। गौरतलब है कि हरियाणा में कई किसान संगठन भारतीय जनता पार्टी और उसके साथ राज्य में गठबंधन की सरकार चला रहे जेजेपी के नेताओं के कार्यक्रमों का खुलकर विरोध कर रहे हैं। हाल ही में हरियाणा के हिसार में भी किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विरोध किया था जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर बर्बर लाठी चार्ज किया और मुक़दमे लगाए लेकिन बाद में किसानों ने लाखों की संख्या में उतरकर हिसार में कमिश्नरी का घेराव किया था। इसके बाद प्रशासन ने न सिर्फ सभी मुक़दमे वापस लिए बल्कि बिना शर्त माफ़ी भी मांगी थी। एकबार फिर टोहना में भी वही हुआ ,सरकार को अंतत किसानो की मांगे माननी पड़ी।  

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