हरियाणा: किसान आंदोलन का असर, महापौर चुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन को झटका

देशभर के किसान नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे है परन्तु हरियाणा और पंजाब इस आंदोलन के अगुआ है। आंदोलन के शुरआती दौर में हरियाणा की बीजेपी सरकार ने किसान आंदोलन को कुचलने के लिए उनपर लाठीचार्च , भीषण ठंड में पानी की बौछार और आंसू जैसे के गोलों से हमले किये थे। तभी किसानों ने साफ़तौर पर कहा था वो इसका बदला चुनावो में लेंगे। इसका असर इसबार के चुनावो मेंभी दिखा। हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को बुधवार को उस समय झटका लगा जब महापौर की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में उसे सिर्फ एक जगह ही कामयाबी मिल सकी।
आपको बता दे अंबाला, पंचकुला और सोनीपत शहरों में महापौर पद के लिए रविवार को चुनाव हुए थे। भाजपा को पंचकुला में जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ा वहीं कांग्रेस और हरियाणा जन चेतना पार्टी ने क्रमशः सोनीपत और अंबाला में आसान जीत हासिल की। यह पहला मौका था कि तीन शहरों में महापौर पदों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव हुए थे।
दो साल पहले हरियाणा के पांच शहरों में महापौर चुनावों में भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने 2018 में हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर में महापौर के चुनाव जीते थे।
इस साल नवंबर में, सत्तारूढ़ गठबंधन को उस समय झटका लगा था जब सोनीपत में बडोदा विधानसभा उपचुनाव जीतने में उसे हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
अंबाला में महापौर पद के लिए हुए चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी और हरियाणा जन चेतना पार्टी (एचजेसीपी) की उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा विजयी रहीं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार वंदना शर्मा को 8,084 मतों से हराया। अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे।
भाजपा के कुलभूषण गोयल पंचकूला में नए महापौर होंगे। उन्होंने कांग्रेस की उपिंदर कौर अहलूवालिया को 2,057 वोटों से हराया। पंचकूला में 1,333 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का प्रयोग किया।
सोनीपत में कांग्रेस ने महापौर का चुनाव जीता। पार्टी के निखिल मदान ने भाजपा के ललित बत्रा को 13,818 मतों से पराजित किया।
तीनों शहरों के सभी वार्डों के पार्षदों के चुनाव के लिए भी मतदान हुआ था। रेवाड़ी में नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों के अलावा सांपला (रोहतक), धारूहेड़ा (रेवाड़ी) और उकलाना (हिसार) की नगरपालिका समितियों के चुनाव के लिए भी मतदान हुआ था।
अंबाला में भाजपा ने 20 में से आठ, एचजेसीपी ने सात, कांग्रेस ने तीन और हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ने दो सीटें जीतीं।
सोनीपत में भाजपा ने 10 वार्ड में जीत हासिल की जबकि कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं, वहीं एक सीट पर निर्दलीय विजयी हुआ।
पंचकुला में भाजपा और कांग्रेस ने क्रमशः नौ और सात सीटें जीतीं वहीं जजपा को दो सीटें मिलीं।
रेवाड़ी नगरपालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव में भाजपा की पूनम यादव विजयी रहीं। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार उपमा यादव को 2,087 मतों से हराया। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।
भाजपा-जजपा गठबंधन धारुहेड़ा, सांपला और उकलाना में नगरपालिका समितियों का अध्यक्ष पद हासिल करने में विफल रहा। वहां निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत हासिल हुयी। धारुहेड़ा से कंवर सिंह, सांपला से पूजा और उकलाना में सुशील साहू वाला विजयी हुए।
किसान आंदोलन के बाद यह पहला प्रत्यक्ष चुनाव था जिसमे भाजपा को भारी नुकशान हुआ। हालंकि यह मान जाता है कि इस तरह के चुनवों में स्थनीय मुद्दे हावी होते है लेकिन इसबार का चुनाव किसान आंदोलन के साये हुआ था। भाजपा ने पाना पूरा जोड़ लगा दिया था, यहां तक की ख़ुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने समर्थित उम्मीवारों के लिए वोट मांगे थे। चुनाव प्रचार के दौरना भी उन्हें विरोध का समाना करना पड़ा था।
इस तरह का रविवार को कर्नाटक के स्थनीय चुनावो के नतीज़े आए वहां भी भाजपा को निराशा ही लगी। हालंकि वहां भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता खुद के समर्थित उम्मीदवारों के जितने का दाव कर रहे है।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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