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‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान

जलवायु वैज्ञानिकों की ओर से किये जा रहे एक ताज़े विश्लेषण में गर्मी की लहरों को जलवायु परिवर्तन से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि इससे यह संकेत मिल रहा है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत में गर्मी की लहरों को और भी ज़्यादा प्रचंड बना दिया है।
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रविवार को नई दिल्ली में किसी गर्मी भरे दिन में भीषण गर्मी से राहत दिलाने को लेकर अपने बच्चे को पानी पिलाती एक महिला। 

जहां इस हफ़्ते दक्षिण एशिया के तापमान की सबसे ज़्यादा रहने की संभावना है, वहीं यह उपमहाद्वीप एकलौती ऐसी जगह नहीं है, जो इस समय गर्मी से पीड़ित है। अर्जेंटीना और पराग्वे में तो गर्मी की लहरें ग़ैर-मामूली हैं। कल पराग्वे में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था और इसके साथ ही चीन में 38 डिग्री सेल्सियस और तुर्की और साइप्रस में 36 डिग्री सेल्सियस तक तापमान का होना तय है। जैसे-जैसे उत्सर्जन बढ़ता जायेगा, ये ख़तरनाक़ चरम सीमा के और  ज़्यादा ख़तरनाक होते जाने की संभावना है।

मौसम के 122 सालों के आंकड़ों के हिसाब से भारत पहले ही सबसे गर्म मार्च का सामना कर चुका है, और देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार में 10-35% की गिरावट देखी जा रही है, जबकि देश यूक्रेन में रूसी हमले के कारण गेहूं की इस कमी को पूरा करने की कोशिश कर रहा है।

इंपीरियल कॉलेज लंदन के डॉ मरियम ज़कारिया और डॉ फ़्राइडेरिक ओटो की ओर से किये गये एक ताज़े विश्लेषण में पाया गया है कि मानव गतिविधियों के कारण पैदा हुए उच्च वैश्विक तापमान के परिणामस्वरूप इस महीने की शुरुआत में भारत में गर्मी पहले से कहीं ज़्यादा है।

डॉ. ज़कारिया इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट में रिसर्च एसोसिएट हैं, और डॉ फ़्राइडरिक ओटो इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट में ही जलवायु विज्ञान के सीनियर लेक्चरर हैं। वह वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप का भी नेतृत्व करते हैं और उन्हें टाइम मैगज़ीन ने 2021 के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक के रूप में शामिल किया था।

इन वैज्ञानिकों ने इसी सिलसिले में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के बारे में भी बात की है। उनका मानना है कि पाकिस्तान के जैकोबाबाद का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है, जो कि इस शहर के लिए एक रिकॉर्ड तापमान के क़रीब पहुंचने वाला तापमान है, यानी कि जैकोबाबाद के इस धरती पर सबसे गर्म स्थानों में से एक स्थान बन जाने का अनुमान जताया जा रहा है। भारत की राजधानी नई दिल्ली के लिए अप्रैल का तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस तक हो जाने का अनुमान है, क्योंकि यह शहर भी अप्रैल के अपने रिकॉर्ड तापमान के क़रीब पहुंच रहा है।

इन जलवायु वैज्ञानिकों के इस ताज़े विश्लेषण ने गर्मी की लहरों को सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के साथ जोड़ा है।

ज़कारिया का कहना है, "भारत में हाल ही में जो उच्च तापमान दर्ज किया गया है, उसके पीछे जलवायु परिवर्तन का हाथ होने की संभावना कहीं ज़्यादा रही है। मानव गतिविधियों के चलते वैश्विक तापमान में होने वाली बढ़ोत्तरी से पहले हमने इस महीने की शुरुआत में 50 सालों में शायद एक बार ही भारत में आने वाली इस तरह की गर्मी देखी हो। लेकिन, अब इस तरह की घटना कहीं आम हो गयी है, यानी हम हर चार साल में एक बार इस तरह के उच्च तापमान की उम्मीद कर सकते हैं। और जब तक कुल उत्सर्जन में कमी नहीं आ जाती, तब तक इस तरह के उच्च तापमान में और भी बढ़ोत्तरी होती रहेगी।"

इसे लेकर ओटो का विचार यह रहा है कि "भारत की मौजूदा गर्मी की लहर उस जलवायु परिवर्तन के चलते ज़्यादा प्रचंड हो गयी है, जो कि कोयले और दूसरे जीवाश्म ईंधन जलाने जैसी मानवीय गतिविधियों का नतीजा है। जलवायु परिवर्तन से बनने वाली गर्मी की यह लहर अब दुनिया में हर जगह का मामला बन गयी है। जब तक कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी नहीं हो जाती, तब तक भारत और अन्य जगहों पर गर्मी की यह लहर प्रचंड और ज़्यादा ख़तरनाक़ होती रहेगी।"

भारत के कुछ विशेषज्ञ भी लोगों को जलवायु परिवर्तन से होने वाली इस ज़बरदस्त गर्मी से बचने में मदद करने के लिए काम करने की ज़रूरत पर ज़ोर दे रहे हैं।

गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान के सहायक प्रोफ़ेसर और कार्यक्रम प्रबंधक, अभियंत तिवारी का कहना है, “जहां आने वाले दिनों में गर्मी को सीमित करने के लिए इसे ख़त्म करने के वाले क़दम उठाना ज़रूरी है, वहीं गर्मी की लहर का चरम, लगातार और लंबे समय तक चलने वाली अवधि अब आने वाले दिनों के लिए जोखिम भरे नहीं रहे। यह तो यहां पहले से ही है और इसे टाला भी नहीं जा सकता।"वह आगे कहते हैं, "हमें गर्मी से जुड़ी अपनी कार्य योजनाओं में सार्वजनिक शीतलन क्षेत्रों, निर्बाध बिजली सुनिश्चित करने, सुरक्षित पेयजल की सुलभता, और सामाजिक स्तर के निचले भाग में सबसे कमज़ोर लोगों वाले श्रमिकों के काम के घंटे को ख़ासकर बेहद गर्मी के दिनों में बदलाव लाने जैसे अनुकूलन उपायों को सुनिश्चित करना चाहिए।"

तापमान को लेकर इस बार का जो पूर्वानुमान है, वह मई/जून 2015 में भारत और पाकिस्तान में आयी उस भीषण गर्मी की लहरों के समान ही है, जिसमें कम से कम 4,500 लोग मारे गये थे। जून 2015 की उस घातक गर्मी की लहर में नई दिल्ली हवाईअड्डे का तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि भारत में सबसे गर्म तापमान ओडिशा के झारसुगुडा में देखा गया था, जो कि49.4 डिग्री सेल्सियस था।

गर्मी की लहर को लेकर चेतावनियां जारी कर दी गयी हैं, और इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेता दिया है कि इस साल की शुरुआत में होने वाली प्रचंड गर्मी ख़ासकर ख़तरनाक़ है।

गांधीनगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के निदेशक दिलीप मावलंकर कहते हैं, “भारतीय मौसम विभाग (IMD) भारत के 1,000 शहरों के लिए अगले पांच दिनों तक के पूर्वानुमान के दिशानिर्देश जारी कर रहा है। अहमदाबाद हर दिन ऑरेंज अलर्ट पर रहता है और तापमान 43-44 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है और यह और बढ़ सकता है।

उन्होंने बताया कि लोगों को इन सलाहों पर ध्यान देने, घर के अंदर रहने, ख़ुद को पानी से तर रखने और गर्मी से जुड़ी बीमारी के मामूली लक्षण महसूस होने पर नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाने की ज़रूरत है। ख़ासकर बूढ़े और कमज़ोर लोगों की निगरानी करने की वैसी ही ज़रूरत  है, जैसी कि हमने कोविड के दौरान की थी, क्योंकि वे घर में बैठे-बैठे भी गर्मी से होने वाले आघात का सामना कर सकते हैं।

उन्होंने शहरों के प्रशासन को यह सलाह दी है कि वे अस्पताल में भर्ती होने और एम्बुलेंस कॉल के डेटा के साथ-साथ मृत्यु दर पर गर्मी के दबाव का वास्तविक संकेत पाने के लिए पिछले पांच सालों के डेटा के साथ तुलना करने को लेकर दैनिक मृत्यु दर डेटा पर नज़र रखें।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों ने भी बढ़ती गर्मी से नागरिकों को बचाने के लिए एहतियाती क़दम उठाने शुरू कर दिये हैं। पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय ने स्कूलों को बच्चों के बीमार होने की स्थिति में कक्षाओं को सुबह के अपेक्षाकृत ठंड समय में चलाने और मुश्किल वक़्त में काम आने के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट,यानी ओआरएस को स्टॉक करने की सलाह दी है। कुछ स्कूल ऑनलाइन कक्षायें भी चला रहे हैं, ताकि इस मुश्किल समय में बच्चों को बाहर नहीं जाना पड़े।

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा है कि इस बीचसरकार भीषण गर्मी से छात्रों को राहत देने के लिए स्कूलों में गर्मी की छुट्टी शुरू करने पर विचार कर रही है।

पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भी अपने स्कूलों से बोर्ड स्तर के छात्रों के लिए निर्बाध बिजली और पानी की आपूर्ति, ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी) की पर्याप्त उपलब्धता और चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने को कहा है।

इस बीच ओडिशा में उच्च शिक्षा की कक्षाओं पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी है।

भुवनेश्वर के मौसम विज्ञान केंद्र ने एक विज्ञप्ति में कहा है, "उत्तर पश्चिमी-पश्चिमी शुष्क हवा और उच्च सौर तापमान के कारण अगले 3 दिनों के दौरान ओडिशा के भीतरी ज़िलों के कई स्थानों पर अधिकतम तापमान (दिन का तापमान) धीरे-धीरे 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ते जाने की संभावना है और इसके बाद ओडिशा के इन ज़िलों में कोई बड़ा बदलाव नहीं है।" 

इस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, "नतीजतन ओडिशा के ज़िलों के कई स्थानों पर अधिकतम तापमान (दिन का तापमान) 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है और ओडिशा के बाक़ी ज़िलों में अगले 2 दिनों के दौरान सामान्य से 2 से 4 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा तापमान होने की संभावना है। अगले 3 दिनों में भीतरी ओडिशा के इन ज़िलों में सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहने की संभावना है।

मावलंकर ने आगे बताया, “यह गर्मी की एक बहुत ही शुरुआती लहर है और इनमें आम तौर पर मृत्यु दर इसलिए ज़्यादा होती है, क्योंकि मार्च और अप्रैल के इन महीनों के दौरान अनुकूलता और तैयारी कम होती है। केंद्र, राज्य और शहरों की स्थानीय प्रशासन को भी इस पर ध्यान देना चाहिए, ख़ासकर जब आईएमडी की ओर से ऑरेंज कलर अलर्ट और रेड कलर अलर्ट जारी किया जा रहा हो और उन्हें जनता को चेतावनी देने के लिए समाचार पत्रों, टीवी और रेडियो में चेतावनी से जुड़े विज्ञापन देना चाहिए। इस तरह के विज्ञापन मई और जून में आने वाले समय के लिए चेतावनी के संकेत होते हैं। अगर हम समय रहते प्रभावी कार्रवाई करते हैं, तो हम बहुत हद तक रोगियों की बढ़ती संख्या और बढ़ती मृत्यु दर, दोनों पर लगाम लगा सकते हैं।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें:-

Heatwaves Continue To be Hotter and More Dangerous due to Climate Change

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