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अगर मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव जीत गए, तो फिर भारत में कोई चुनाव नहीं होगा: खरगे

खरगे ने लोगों से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से दूरी बनाने का आग्रह किया और आरोप लगाया कि वे ‘‘जहर के समान’’ हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को दावा किया कि 2024 का लोकसभा चुनाव लोगों के लिए लोकतंत्र को बचाने का आखिरी मौका है, क्योंकि अगर भारतीय जनता पार्टी फिर से जीतती है, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तानाशाही की तरफ बढ़ सकते हैं।

उन्होंने लोगों से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से दूरी बनाने का आग्रह किया और आरोप लगाया कि वे ‘‘जहर के समान’’ हैं।

खरगे ने कांग्रेस की सभा में कहा, ‘‘यह भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए लोगों के पास आखिरी मौका होगा। अगर नरेंद्र मोदी एक और चुनाव जीतते हैं, तो देश में तानाशाही होगी।’’

उन्होंने यह भी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का आगामी चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘महागठबंधन से एक व्यक्ति के जाने से हम कमजोर नहीं होंगे। हम भाजपा को हरा देंगे।’’

उधर कांग्रेस ने उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षित पदों को भरने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा दिशानिर्देशों पर विवाद के बीच सोमवार को भारतीय जनता पार्टी पर आरक्षण एवं दलित विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि यूजीसी के प्रमुख जगदीश कुमार को बर्खास्त किया जाना चाहिए।

यूजीसी के एक मसौदा दिशानिर्देशों में प्रस्ताव किया गया था कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में ‘‘अनारक्षित घोषित’’ की जा सकती हैं।

इस मामले पर विवाद खड़ा होने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को स्पष्ट किया कि एक भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा।

कांग्रेस नेता उदित राज ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी द्वारा इस जनविरोधी कदम का विरोध करने के बाद यूजीसी को मीडिया में बयान जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पहले भी अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता को उजागर किया था। जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को कमजोर किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यूजीसी के कदम ने मोहन भागवत और आरएसएस की मंशा पर हमारी आशंका को पुष्ट कर दिया है। यह कहने का कोई औचित्य नहीं है कि योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे सैकड़ों और हजारों मामले हैं जहां योग्य उम्मीदवार उपलब्ध हैं, लेकिन भेदभावपूर्ण आधार पर खारिज कर दिए जाते हैं।’’

कांग्रेस के अनुसूचित विभाग के प्रमुख राजेश लिलौठिया ने आरोप लगाया कि संविधान में एससी, एसटी, ओबीसी महिलाओं के लिए शिक्षा का जो अधिकार दिया गया था, भाजपा-आरएसएस उसे छीनना चाहती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि यूजीसी के प्रमुख जगदीश कुमार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और वह पूरे बहुजन समाज से माफी मांगें।’’

लिलौठिया ने दावा किया, ‘‘यूजीसी के प्रमुख जगदीश कुमार को जेएनयू में कुलपति बनाया गया था। आज जेएनयू में धर्म की राजनीति घुस चुकी है। जगदीश कुमार आरएसएस की कठपुतली हैं।’’

उनका कहना था, ‘‘संसद में सरकार द्वारा बताया गया कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के 42 प्रतिशत पद खाली हैं। यह बेहद गंभीर मुद्दा है। जिस समाज में शिक्षा खत्म हो जाएगी, वह समाज कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा।’’

न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

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