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थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) पर आयकर विभाग के छापे

सीपीआर की गिनती देश के जाने-माने थिंक टैंक्स में होती है। फिलहाल इसकी अध्यक्षता मीनाक्षी गोपीनाथ कर रही हैं, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाया है और नई दिल्ली स्थित लेडी श्री राम कॉलेज की प्रिंसिपल रही हैं।
CPR

दिल्ली स्थित प्रसिद्ध थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी चल रही है। चल रही है। एनडीटीवी के मुताबिक यह कार्रवाई हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में की जा रही है। अभी तक सीपीआर ने इस छापेमारी पर अब तक कोई बयान जारी किया नहीं किया है।

बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई आज आयकर विभाग द्वारा फन्डिंग को लेकर 20 से अधिक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर हो रही छापेमारी से जुड़ी हुई हो सकती है।

आपको बता दें कि सीपीआर की गिनती देश के जाने-माने थिंक टैंक्स में होती है। एक समय पर प्रख्यात शिक्षाविद और अशोका के पूर्व वाइस चांसलर प्रताप भानु के इसकी अध्यक्षता की थी, जो हमेशा से भाजपा के प्रमुख आलोचकों में से एक रहे हैं। फिलहाल इसकी अध्यक्षता मीनाक्षी गोपीनाथ कर रही हैं, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाया है और नई दिल्ली स्थित लेडी श्री राम कॉलेज की प्रिंसिपल रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सीपीआर की कार्यकारी अध्यक्ष यामिनी अय्यर हैं। यामिनी कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री मणिशंकर अय्यर की बेटी हैं।

सीपीआर ने अपनी वेबसाइट पर खुद को गैर-लाभकारी संस्था बताया है जो कि सरकार द्वारा पंजीकृत है। उसने यह भी लिखा है कि पंजीकृत गैर-लाभकारी संस्था होने के कारण, उसे मिलने वाले सभी दान-अनुदान को टैक्स से छूट प्राप्त है। वेबसाईट यह भी कहती है कि "सीपीआर को कॉर्पोरेट परोपकारी संस्थानों, सरकारों और बहुपक्षीय एजेंसियों सहित विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से अनुदान मिलता है और उसकी "वार्षिक वित्त और अनुदान का पूरा लेखा-जोखा" उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है।

सूत्रों ने अब तक एनडीटीवी को बताया है कि यह कार्रवाई हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में एक साथ छापेमारी से जुड़ी है, साथ ही अन्य जगहों पर, “20 से अधिक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के फंडिंग पर”। सीपीआर की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है।

राजनीतिक दलों के अवैध फंडिंग के कथित लिंक के संबंध में भारत के निर्वाचन आयोग के सबसे ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि चुनाव आयोग के साथ 2,858 दल पंजीकृत हैं, जिनमें से 2,796 गैर-मान्यता प्राप्त हैं, जिसका अर्थ है कि वे स्वतंत्र मान्यता के लिए तय न्यूनतम मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।

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