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नोबेल शांति पुरस्कार के लिये अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क नामांकित

IFCN की स्थापना 2015 में की गई। इसका उद्देश्य दुनियाभर के फैक्ट-चेकर और फैक्ट-चेकिंग संगठनों को एक मंच पर लेकर आना था। भारत के भी कई फैक्ट-चेकिंग संस्थान और वेबसाइट इस नेटवर्क का हिस्सा है।
नोबेल शांति पुरस्कार के लिये अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क नामांकित

झूठी ख़बरों की आंधी, वाट्सऐप यूनिवर्सिटी और साज़िश के सिद्धांतों के इस दौर में वर्ष 2021 फैक्ट-चेकिंग कम्युनिटी यानी सत्यशोधक समुदाय के लिये एक खुशख़बरी लेकर आया है। वर्ष 2021 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिये अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) को नामांकित किया गया। पॉयंटर संस्थान के निदेशक बायबर्स ऑर्सेक ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। ये पूरे फैक्ट-चेकिंग समुदाय के लिये गर्व और खुशी की बात है।

क्या हैं अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN)?

अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क पॉयंटर संस्थान की एक फैक्ट-चेकिंग इकाई है। जिसका दफ़्तर फ्लोरिडा में है। IFCN की स्थापना 2015 में की गई। इसका उद्देश्य दुनियाभर के फैक्ट-चेकर और फैक्ट-चेकिंग संगठनों को एक मंच पर लेकर आना था। भारत के भी कई फैक्ट-चेकिंग संस्थान और वेबसाइट इस नेटवर्क का हिस्सा है। जैसे- आल्ट न्यूज़, बूम लाइव, फैक्ट क्रेसेंडो, न्यूज़मीटर, विश्वास न्यूज़ आदि। पूरी सूची आप इस लिंक पर देख सकते हैं। IFCN हर साल अपने सदस्यों के काम का ऑडिट भी करता है। ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि मापदंडों की अवहेलना नहीं की गई है।

IFCN ने फैक्ट-चेकर्स के लिये एक “कोड ऑफ प्रिंसीपल” भी तैयार किया है। इसके अलावा फैक्ट-चेकिंग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सम्मेलनों का आयोजन करता है। तकनीकी अन्वेषण के लिये लगातार सक्रिय रहता है। विभिन्न नीतिगत प्रश्नों पर बहस की शुरुआत करता है।

आज 71 देशों के 59 संस्थानों ने IFCN के कोड ऑफ प्रिंसीपल पर हस्ताक्षर किये हैं और इसका हिस्सा हैं। इसी नेटवर्क की पहल पर 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

IFCN ने फैक्ट-चेकिंग के बड़े ऊंचे मापदंड रखे हैं और ये सुनिश्चित करने के लिये लगातार सक्रिय रहता है कि लोगों को सही और भरोसेमंद सूचना मिले।

IFCN के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित होने के मायने

ये नामांकन फिर से यह साबित करता है कि झूठी और भ्रामक ख़बरें, साज़िश के सिद्धांत विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या बन चुके हैं। IFCN का नोबेल शांति पुरस्कार के लिये नामांकन फेक न्यूज़ को एक विश्व स्तरीय समस्या के तौर पर रेखांकन भी है। याद करें कि कोरोना महामारी के दौरान विश्व सवास्थ्य संगठन ने कहा था कि हम सिर्फ पेंडेमिक से ही नहीं बल्कि इंफोडेमिक से भी जूझ रहे हैं। हमने देखा है कि किस तरह झूठी ख़बरों का कारोबार पूरी दुनिया में ध्रुवीकरण का ख़तरनाक काम कर रहा है। कहीं धर्म के नाम पर, कहीं शरणार्थियों के मुद्दे पर, कहीं नस्ल, भाषा और जाति के मुद्दे पर नफ़रत फैलाई जा रही है। इन झूठी ख़बरों ने न सिर्फ समाज में तनाव को बढाया है बल्कि सैकड़ों लोगों की ज़िंदगियां भी निगल ली हैं। झूठी ख़बरों और झूठा प्रोपेगंडा सीधे तौर पर देशों की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है और जनतंत्र के लिये ख़तरा बन गया है। ऐसे में IFCN का नोबल शांति पुरस्कार के लिये नामांकन एक राहत की ख़बर की है।

उम्मीद है कि फैक्ट-चेकिंग के काम को विश्व-स्तर पर गंभीरता से लिया जाएगा। झूठी ख़बरों और झूठे प्रोपेगंडा पर अंकुश लगाने की तरफ नीतिगत तौर पर हम बढ़ेंगे। फैक्ट-चेकर्स सत्यशोधक तो हैं ही अब उन्हें शांतीदूत की तरह भी देखा जा रहा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं।)

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