NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या वाकई कांग्रेस बदलाव को लेकर गंभीर नहीं है?
बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर आवाज उठने लगी है। कपिल सिब्बल, कार्ति चिंदबरम, पीएल पुनिया और तारिक अनवर के साथ ही महागठबंधन के सहयोगी दल आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल खड़े किए हैं।
अमित सिंह
17 Nov 2020
कांग्रेस

बिहार चुनाव और गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन को लेकर पार्टी के भीतर टकराव दिखाई दे रहा है। कई वरिष्ठ नेताओं ने एक बार फिर से आत्मचिंतन किए जाने की वकालत की है। हालांकि इसके विपरीत केंद्रीय नेतृत्व के पसंदीदा नेताओं ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है उससे यही लगता है कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी में कोई बदलाव होने नहीं जा रहा है।

अभी के हालात में यही लग रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व 2014 के बाद से ही एक के बाद एक चुनावों में पराजय के कारणों पर आत्ममंथन करने से न केवल बच रहा है, बल्कि जो नेता इसकी जरूरत जताते हैं, उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। देखने में ये भी आ रहा है कि पार्टी के भीतर ऐसा कोई भी मंच नहीं बचा है जहां पर नाराज नेता अपनी बात रख सकें। कई वरिष्ठ नेताओं को अपनी बात रखने के लिए मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है।

सबसे ताजा मामला कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के बयान का है। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व पार्टी की समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी को उसके समक्ष आई समस्याएं पता हैं और वह उसका समाधान भी जानती है लेकिन वह इन समाधान को अपनाने से कतरा रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हममें से कुछ लोगों ने आवाज उठाई है कि कांग्रेस को सही राह पर आगे ले जाने के लिए क्या किया जा सकता है। हमारी सुनने के बजाय उन्होंने (नेतृत्व) हमारी बात अनसुनी कर दी। इसके नतीजे हम सबके सामने हैं। सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के लोग, जहां कहीं भी उपचुनाव हुए हैं, वहां लोगों ने कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं माना।’

सिब्बल ने कहा, ‘कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का हिस्सा रहे मेरे एक सहयोगी ने कांग्रेस के भीतर आत्ममंथन की उम्मीद जताई थी। अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता हैं। हमें पता है कि सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है? हमारे पास इसका समाधान भी है। कांग्रेस पार्टी भी इसका समाधान जानती है लेकिन वो इन समाधान को अपनाने से कतराते हैं। अगर वो ऐसा करते रहेंगे तो ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। कांग्रेस को बहादुर बनकर इन्हें पहचानना होगा।’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस गुजरात के उपचुनावों में सभी आठों सीटें हार गई। गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सात सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को दो फीसदी से भी कम वोट मिले। यहां तक कि मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा।’

गौरतलब है कि बिहार में राजद की अगुवाई वाले गठबंधन में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली है।

बता दें कि कपिल सिब्बल कांग्रेस पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने, नियुक्त प्रक्रिया को मजबूत बनाने और हार का उचित आकलन करने की मांग की थी।

उस पत्र के बारे में पूछने पर सिब्बल ने कहा, ‘उस पत्र को लिखे जाने के बाद से अब तक पार्टी नेतृत्व से कोई संवाद नही हुआ है और पार्टी नेतृत्व की ओर से संवाद के लिए कोई प्रयास भी होते नहीं दिख रहा है।’

सिब्बल का समर्थन करते हुए तमिलनाडु में शिवगंगा से लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति ने एक ट्वीट में कहा, ‘कांग्रेस के लिए यह आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श और कदम उठाने का समय है।’

इससे पहले बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने भी ट्वीट किया था कि, 'हमें सच को स्वीकार करना चाहिए। कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की सरकार से बिहार महरूम रह गया। कांग्रेस को इस विषय पर आत्म चिंतन ज़रूर करना चाहिए कि उस से कहां चूक हुई? MIM की बिहार में एंट्री शुभ संकेत नहीं है।'

कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने भी बिहार में प्रदर्शन को लेकर समीक्षा और आत्ममंथन की बात कही है। उन्होंने कहा कि पार्टी नतीजों का रिव्यू करे ताकि आगे बेहतर प्रदर्शन हो।

इतना ही नहीं बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार पर आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने भी कांग्रेस पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बार के चुनाव में महागठबंधन के लिए घातक साबित हुई।  

आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, "जब बिहार में चुनाव अपने चरम पर था, तब राहुल गांधी प्रियंका गांधी के साथ शिमला में पिकनिक मना रहे थे। क्या पार्टी ऐसे चलती है? कांग्रेस जिस तरह से चुनाव लड़ रही है, उससे बीजेपी को ही फायदा पहुंचा रही है।"

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी तरफ से 70 रैलियां भी नहीं की। जो लोग बिहार को जानते नहीं थे, उनके हाथ में प्रचार की कमान थी। राहुल गांधी तीन दिन के लिए आए, जबकि प्रियंका गांधी तो आईं भी नहीं।

हालांकि बाद में आरजेडी ने शिवानंद तिवारी के बयान से पल्ला झाड़ लिया और उनके बयान को निजी राय बताया।

वहीं, दूसरी ओर खासकर कपिल सिब्बल के इंटरव्यू के बाद कांग्रेस पार्टी के दूसरे कई नेताओं ने ऐतराज जताया है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे लेकर कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, 'कपिल सिब्बल जी को हमारे अंदरूनी मसलों की मीडिया में चर्चा करने की ज़रूरत नहीं थी, इससे देश भर में हमारे कार्यकर्ताओं की भावनाएँ आहत हुई हैं।'

वैसे यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस में बदलाव की वकालत करने वाले लोगों की आलोचना की गई है। कुछ महीने पहले ही कांग्रेस के करीब दो दर्जन वरिष्ठ नेताओं की ओर से पार्टी के तौर-तरीकों में बदलाव के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी। उस समय में भी उन नेताओं को इसी तरह का संदेश दिया गया था। इनमें से कुछ के तो पर भी कतर दिए गए थे। उस समय उठाए गए कदमों से यह जताने की कोशिश की गई थी कि कोई नेता परिवार को सुझाव-सलाह देने की भी हिम्मत न जुटाए।

देखने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस जैसे जैसे कमजोर हो रही है गांधी परिवार की पकड़ उस पर मजबूत होती जा रही है। इस समय गांधी परिवार के तीन सदस्य सोनिया, राहुल और प्रियंका पार्टी के तीन मजबूत पदों पर विराजमान है और पार्टी रसातल में है।

इसके अलावा कांग्रेस में ऐसे नेताओं का भी एक ऐसा समूह उभर आया है, जिसका एकमात्र काम शीर्ष नेतृत्व का गुणगान करना है। ऐसे में लगता है कि एक बार फिर कांग्रेस में सबकुछ सामान्य कर दिया जाय और सुधार की आवाजों को दबा दिया जाय।

अंत में अगर हम कांग्रेस की तुलना बीजेपी से करें तो यह पार्टी हमेशा चुनावी मोड और हार जीत की समीक्षा करती नजर आ रही है। बिहार में चुनाव की समाप्ति के तुरंत बाद ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता बंगाल विधानसभा चुनावों की तैयारी करते नजर आने लगे। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने दो दिवसीय बंगाल का दौरा भी किया है।

इतना ही नहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा साल 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमीनी तैयारियों को सुदृढ़ करने के मकसद से 100 दिनों के देशव्यापी दौरे की योजना बना रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अपने दौरे का अधिकांश समय नड्डा उन राज्यों में बिताएंगे जहां भाजपा सत्ता से बाहर है।

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ही केंद्रीय स्तर पर बीजेपी को चुनौती देने की हालत में है। लेकिन अगर पार्टी में ऐसे ही टकराव जारी रहा तो यह वाकई में कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डालेगा। 

Congress
bihar election
By-elections
Gujarat
Madhya Pradesh
Uttar pradesh
Kapil Sibal
Karti Chidambaram
P. L. Punia
TARIQ ANWAR
Rahul Gandhi
sonia gandhi

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे:  क्या हैं वेंकैया के रिटायरमेंट के मायने और क्यों हैं ममता और सिसोदिया मुश्किल में

आंदोलन का असर: एनी बेसेंट फेलोशिप में आरक्षण के मुद्दे पर झुका बीएचयू, रोकी गई चयन प्रक्रिया

एमपी में बांध टूटने का ख़तरा: कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया

बीएचयू में एनी बेसेंट फेलोशिप पर विवाद जारी: सवर्ण छात्रों को लाभ पहुंचाने का आरोप, दलित व ओबीसी छात्र गुस्से में

मध्यप्रदेशः महंगे भूसे और हरे चारे की कमी के चलते सड़क पर मवेशी छोड़ने को मजबूर किसान

सोनभद्र में हजारों करोड़ का अवैध कोयला भंडार मिला, फिर भी योगी सरकार खरीद रही महंगा विदेशी कोयला!

प्रधानमंत्री ‘काला जादू’ जैसी अंधविश्वासी बातें करके पद की गरिमा न घटाएं : राहुल

बिहार: महागठबंधन के सीएम बने नीतीश, तेजस्वी डिप्टी सीएम...

यूपी के बनारस में मोहर्रम के जुलूस को लेकर दो पक्षों में भिडंत, बरेली में भी टकराव

यूपी: नगर निगम कर्मियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग तेज़ की


बाकी खबरें

  • भाषा
    अमूल और मदर डेयरी ने दूध के दाम दो-दो रुपये लीटर बढ़ाए, बुधवार से लागू होंगी नई कीमतें
    16 Aug 2022
    अमूल और मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर में दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि करने का फैसला किया है। नयी कीमतें बुधवार से लागू होंगी।
  • भाषा
    कैंसर रोगियों की देखभाल करने वालों को झेलना पड़ता है मानसिक तनावः अध्ययन 
    16 Aug 2022
    इस अध्ययन के दौरान कुल 350 तीमारदारों से संपर्क किया गया, जिनमें से 264 ने बात की। इन लोगों से 31 प्रश्न पूछे गए। इनमें से सात सवाल उन पर पड़े बोझ, 13 सवाल दिनचर्या के प्रभावित होने, आठ सवाल हालात को…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    फ़ीफ़ा ने भारत पर प्रतिबंध लगाया, महिला अंडर-17 विश्व कप की मेज़बानी छीनी
    16 Aug 2022
    फ़ीफ़ा ने तीसरे पक्ष द्वारा गैर ज़रूरी दख़ल का हवाला देकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को निलंबित कर दिया और उससे अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेज़बानी अधिकार छीन लिए।
  • भाषा
    जम्मू-कश्मीर में बस खाई में गिरी, सात सुरक्षाकर्मियों की मौत
    16 Aug 2022
    पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईटीबीपी के 37 और जम्मू-कश्मीर पुलिस के तीन कर्मी अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी से लौट रहे थे, जो 11 अगस्त को समाप्त हो चुकी है।
  • भाषा
    तीन तलाक़ की तरह नहीं है ‘तलाक़-ए-हसन’, महिलाओं के पास ‘खुला’ का विकल्प: उच्चतम न्यायालय
    16 Aug 2022
    याचिकाकर्ता बेनज़ीर हीना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक़ को असंवैधानिक घोषित किया था लेकिन उसने तलाक़-ए-हसन के मुद्दे पर फ़ैसला नहीं दिया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें