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इज़रायल ने पूर्वी यरूशलम में कोरोनो वायरस जांच के लिए बनाए गए फ़िलिस्तीनी क्लिनिक को बंद किया

ये कार्रवाई स्पष्ट रूप से फ़िलिस्तीनी अधिकारी को पूर्वी यरुशलम में कोई भी सरकारी कार्य करने से रोकती है।
कोरोना वायरस

इज़रायली पुलिस ने 15 अप्रैल को छापा मारकर एक फिलिस्तीनी हेल्थ क्लिनिक को बंद कर दिया जो स्थानीय फिलिस्तीनियों में Covid-19 संक्रमण के संभावित मामलों की जांच के लिए स्थापित किया गया था। क़ब्ज़े वाले पूर्वी यरुशलम के सिलवान के क़रीब ये टेस्ट क्लिनिक को फिलीस्तीनी अधिकारी (पीए) के सहयोग से एक्टिविस्ट और स्थानीय आयोजकों द्वारा स्थापित किया गया था।

पैलेस्टाइन क्रॉनिकल के अनुसार, इज़रायली पुलिस ने फिलिस्तीनी एक्टिविस्ट और क्लिनिक के आयोजकों को गिरफ़्तार कर लिया।

ये अस्थायी क्लिनिक सिलवान की एक स्थानीय मस्जिद में स्थापित किया गया था। भले ही मंगलवार रात को कर्फ्यू खत्म होने के कारण क्लिनिक बंद था, फिर भी पुलिस अधिकारियों ने क्लीनिक पर छापा मारा और इस क्लिनिक की स्थापना के लिए ज़िम्मेदार चार एक्टिविस्ट को गिरफ़्तार किया। एक प्रबंधक के अनुसार, सिलवान में टेस्टिंग किट की भारी कमी थी, जिसके चलते इस अस्थायी क्लिनिक की स्थापना की गई थी।

सिलवान में कोरोनावायरस के पहले से ही 40 मामले सामने आ चुके हैं और भीड़भाड़ वाला इलाक़ा होने के चलते ये वायरस अन्य लोगों में जल्दी फैल सकता है।

इजरायल के अधिकारियों ने दावा किया कि इस क्लिनिक को बंद करने का कारण पूर्वी येरुशलम में पीए द्वारा किसी भी तरह की सार्वजनिक गतिविधि को रोकना था। सिलवान क्लिनिक में किए गए किसी भी जांच को क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक ले जाया गया और वहां पीए के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया।

क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में कोरोनोवायरस के 316 मामले और गाजा के अवरुद्ध क्षेत्र में 13 मामले पहले ही सामने आ चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार और स्वास्थ्य संगठनों को डर है कि अगर पर्याप्त रूप से तैयारी नहीं की गई तो COVID-19 का प्रकोप दोनों क्षेत्रों में तबाही मचा सकता है, जो क़रीब 70 साल से अधिक समय से इज़रायल के क्रूर क़ब्ज़े के चलते बदतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की मार झेल रहा है। साल 2006 से गाजा की भूमि, वायु और समुद्र की नाकेबंदी जारी है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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