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जेएनयू छात्र प्रदर्शन : 'आने वाली पीढ़ियों पर भी होगा फ़ीस वृद्धि का असर'

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रदर्शनकारी छात्रों का सोमवार को परिसर के बाहर पुलिस के साथ संघर्ष हो गया। जेएनयू में फ़ीस बढ़ोतरी पर छात्र संगठनों ने सरकार-प्रशासन के ख़िलाफ़ पिछले 15 दिनों से मोर्चा खोला हुआ है।
JNU Protest

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रदर्शनकारी छात्रों का सोमवार को परिसर के बाहर पुलिस के साथ संघर्ष हो गया। जेएनयू में फ़ीस बढ़ोतरी पर छात्र संगठनों ने सरकार-प्रशासन के ख़िलाफ़ पिछले 15 दिनों से मोर्चा खोला हुआ है। जेएनयू छात्र संगठन के बैनर तले हो रहे विरोध प्रदर्शन में महंगी फ़ीस समेत कई मुद्दों को लेकर पर छात्र सड़कों पर हैं। छात्रों का कहना है कि 47 फ़ीसदी छात्र आर्थिक तौर पर कमज़ोर घरों से आते हैं। आज सोमवार की सुबह से शाम तक जेएनयू के छात्र डटे हैं और पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कभी बल प्रयोग किया तो कभी वाटर कैनन चलाए लेकिन छात्र अभी भी प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि दिन भर के तनाव के शाम को छात्र कैम्पस वापस लौट गए हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों में कई ऐसे छात्र हैं, जो बेहद कमज़ोर आर्थिक परिवेश से आते हैं। सभी छात्रों ने एक स्वर में कहा है कि सरकार और जेएनयू प्रशासन नहीं चाहता कि किसान, मज़दूर और समाज के पिछड़े तबक़े के बच्चे जेएनयू जैसे संस्थानों में पढ़ें, इसलिए लगातार जेएनयू पर हमले किये जा रहे हैं। 

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जेएनयू से एमफ़िल कर रहीं छात्रा पूजा सिंह ने बताया, "पहले पुस्तकालय के फ़ंड में 80% की कमी की गई, फिर 90% तक सीट कम की गई, और अब फ़ीस में इतनी भारी वृद्धि की जा रही है। इसका क्या मतलब है? अगर आप फ़ीस बढ़ा रहे हैं तो हमारी फ़ेलोशिप भी बढ़नी चाहिए लेकिन वो नहीं बढ़ रही है।"

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ऐसे ही एक छात्र लोकेन्द्र हैं, जो वर्तमान में जेएनयू से पीएचडी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने गांव के पहले ऐसे छात्र हैं, जो यहाँ तक पहुंच सके हैं। वो भी इसलिए क्योंकि जेएनयू में फ़ीस कम थी, लेकिन उन्हें अब लग रहा है शायद वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि उनके परिवार के पास कोई खेत-ज़मीन नहीं है और उनका परिवार बड़ी मुश्किल से जीवनयापन कर रहा है। ऐसे में इतनी महंगी फ़ीस देना उनके लिए बेहद मुश्किल है।

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संस्कृति शर्मा जो मध्य प्रदेश के सोपुरा ज़िले से हैं, वो अभी जेएनयू से एमफ़िल कर रही है। उन्होंने कहा कि वो अपने ज़िले से पहली ऐसी लड़की हैं जो जेएनयू तक आ पाई हैं। उन्होंने कहा कि वो इसलिए ही पढ़ पाईं क्योंकि उन्हें जेएनयू में दाख़िला मिला, अन्यथा वो पढ़ाई नहीं कर पातीं। क्योंकि उनके पिता किसान हैं और वो उनकी पढ़ाई का ख़र्च नहीं उठा सकते हैं, और उन्होंने जेएनयू आने के बाद से अपने पिता से कोई पैसा नहीं लिया लेकिन उन्हें अब यह फ़िक्र है कि इतने पैसों का इंतज़ाम कहाँ से होगा।

हमने जितने भी छात्रों से बात की सबने एक ही बात कही कि फ़ीस वृद्धि का यह फैसला वर्तमान के छात्रों को ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उच्च शिक्षा से बाहर कर देगा।

आज के विरोध का पूरा घटनाक्रम

सोमवार सुबह छात्रों ने एआईसीटीई ऑडिटोरियम पर विरोध प्रदर्शन किया जहां दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने आए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को एआईसीटीई ऑडिटोरियम से क़रीब छह घंटे तक बाहर नहीं आने दिया गया और मंत्रालय में दो पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ा।

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एक अधिकारी ने बताया कि ‘‘छात्रों के प्रदर्शन के कारण रमेश निशंक सुबह से काफ़ी देर तक एआईसीटीई ऑडिटोरियम से बाहर नहीं आ पाए हैं और मंत्रालय में दो पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द करने पड़े।’’

जेएनयूएसयू अध्यक्ष ओइशी घोष और उपाध्यक्ष साकेत मून को मानव संसाधन विकास मंत्री के लिए रास्ता दिये जाने के लिए छात्रों से बात करने को कहा गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से द्वार से हटने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।

बाद में जेएनयूएसयू के छात्र संघ के पदाधिकारियों ने एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाक़ात की और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गौर किया जायेगा। मंत्री दोपहर बाद ऑडिटोरियम से बाहर आ गये और शाम को एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लिया। निशंक को आज एक ऐप ‘‘स्वयं 2.0’’ जारी करना था लेकिन इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।

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ग़ौरतलब है कि जेएनयू के निकट बड़ी संख्या में छात्र फ़ीस वृद्धि, ड्रेस कोड जैसे दिशानिर्देश के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र इसे प्रशासन की ‘‘छात्र-विरोधी’’ नीति बताते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की तरफ़ आगे बढ़ने चाहते थे लेकिन गेट पर अवरोधक लगा दिए गए थे। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस स्थान पर दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति हालांकि विरोध प्रदर्शन बढ़ने से पहले ही वहां से रवाना हो गए थे।

जेएनयू से लगभग तीन किलोमीटर दूर एआईसीटीई के द्वारों को बंद कर दिया गया और सुबह शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र परिसरों के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया।

एक अधिकारी ने बताया कि जेएनयू परिसर के उत्तरी और पश्चिमी द्वारों के बाहर और बाबा बालकनाथ मार्ग पर एआईसीटीई ऑडिटोरियम और जेएनयू के बीच स्थित सड़क पर अवरोधक लगाये गये हैं।

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पुलिस ने बताया कि छात्रों ने इन बैरिकेड को तोड़ दिया और सुबह लगभग साढ़े 11 बजे एआईसीटीई की तरफ़ मार्च करने लगे। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। छात्रों पर पानी की बौछारें भी की गईं।

हाथों में तख्तियां लेकर छात्रों ने ‘‘दिल्ली पुलिस वापस जाओ’’ जैसे नारे लगाये और कुलपति एम जगदीश कुमार के ख़िलाफ़ भी नारेबाज़ी की।

मंत्री छात्रों से मिले। हालांकि छात्रों की कुलपति से मुलाक़ात नहीं हो सकी।

प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, ‘‘हम कुलपति से मिलना चाहते हैं।’’

छात्रसंघ अध्यक्ष ओइशी घोष ने कहा, ‘‘हमारे लिए यह ऐतिहासिक दिन है कि हमने बैरिकेड तोड़ दिये और कार्यक्रम स्थल पहुंचे और मंत्री से मुलाकात की। हमारा आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। हम एचआरडी मंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे कुलपति से छात्रों से बातचीत करने को कहें।’’ 

एचआरडी मंत्री ने वादा किया कि छात्र संघ को बैठक के लिए मंत्रालय बुलाया जायेगा।

छात्रों ने बताया कि सुबह शुरू हुआ यह प्रदर्शन छात्रावास के मैनुअल के विरोध के अलावा पार्थसारथी रॉक्स में प्रवेश पर प्रशासन की पाबंदी तथा छात्र संघ के कार्यालय को बंद करने के प्रयास के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का ही हिस्सा है।

छात्रों का कहना है, "हम 15 दिन से विरोध कर रहे हैं, लेकिन कुलपति हमसे बात करने को तैयार नहीं हैं। छात्रावास एवं अन्य फ़ीस में इतनी बढ़ी वृद्धि के बाद ग़रीब छात्र यहां कैसे पढ़ सकेगा।"

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