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झारखंड: मणिपुर हिंसा के ख़िलाफ़ महागठबंधन का प्रदर्शन, शांति बहाली की मांग

मणिपुर में पिछले 3 महीने से जारी हिंसा के विरोध में झारखंड में विपक्षी महागठबंधन के आह्वान पर एक राज्यव्यापी प्रदर्शन किया गया।
protest against manipur violence

मणिपुर में पिछले 3 महीने से जारी हिंसा के विरोध में बीते 1 अगस्त को झारखंड में विपक्षी महागठबंधन के आह्वान पर एक राज्यव्यापी प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया।

"मणिपुर में पिछले तीन महीनों से जो कुछ भी हो रहा है इसकी ज़िम्मेदारी भाजपा की डंबल इंजन की सरकार पर है। जिस तरह से इस देश में 'ध्रुवीकरण' का खेल खेला जा रहा है, उसकी खुली अभिव्यक्ति है मणिपुर। यही वजह है कि इतना कुछ घटित होने के बावजूद जब-जब बात उठती है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो, तो प्रधानमंत्री चुप्पी साध लेते हैं। संसद में जब सवाल पूछ जाता है तो वे उस बहस से कतराते नज़र आते हैं। यहां तक कि जब देश का सुप्रीम कोर्ट सवाल पूछता है तो उसका ठीक जवाब नहीं दिया जाता लेकिन देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए संकल्पबद्ध और एकजुट होकर सभी राजनीतिक पार्टियां आज यहां इंडिया महागठबंधन के तले एकजुट हुई हैं।" ये सारी बातें झारखंड राजभवन के समक्ष आयोजित महाधरना के माध्यम से वक्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से कहीं गईं।

1 अगस्त को झारखंड में विपक्षी महागठबंधन ‘INDIA’ के आह्वान पर “मणिपुर में जारी गृहयुद्ध रोको, प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो, मणिपुर में तत्काल शांति बहाल करो” आदि नारों के साथ राज्यव्यापी प्रदर्शन किया गया। इसके तहत राजधानी रांची स्थित राजभवन के समक्ष ‘महाधरना’ से लेकर प्रदेश के धनबाद, रामगढ़, बोकारो, पलामू, कोडरमा, हजारीबाग व गिरिडीह समेत कई जिला मुख्यालयों पर प्रतिवाद मार्च व धरना इत्यादि कार्यक्रम किए गए जिसमें भारी संख्या में महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस महाधरने को संबोधित करते हुए झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि "खुद को आदिवासी समाज का पैरोकार बताने वाली भाजपा की असलियत मणिपुर में दिख गई है।"

कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष राजेश ठाकुर व कार्यकारी अध्यक्ष बंधू तिर्की ने कहा कि "मणिपुर की घटना ने पूरी दुनिया के सामने हमें शर्मसार कर दिया है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री चुप्पी साधकर संसद में बहस कराने से कतरा रहें हैं।”

वाम दलों की ओर से भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य जनार्दन प्रसाद ने कहा कि "मणिपुर के सवाल पर ‘INDIA’ गठबंधन का यह जन अभियान और भी व्यापक स्वरुप लेगा।"

सीपीआई के राष्ट्रीय नेता व झारखंड प्रभारी अतुल कुमार अंजान ने कहा कि मणिपुर हिंसा से देश की महिलायें आक्रोशित हैं और जवाब मांग रहीं हैं।"

कार्यक्रम को झारखंड राजद के अध्यक्ष के अलावा आप पार्टी के नेताओं ने भी संबोधित किया। बाद में राज्यपाल को ज्ञापन के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

वहीं दूसरी ओर, इसी मुद्दे पर झारखंड विधान सभा परिसर में भी ‘INDIA’ महागठबंधन के सभी विधायकों ने अपना गुस्सा ज़ाहिर किया, ख़ासकर सभी महिला विधायकों ने हाथों में विरोध-पोस्टर लहराकर, ‘मणिपुर में आदिवासी महिलाओं की रक्षा करनी होगी, मणिपुर को न्याय देना होना, महिला विरोधी मोदी-भाजपा होश में आओ’ जैसे नारे भी लगाए।

सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से आरोप लगाया गया कि "मणिपुर में जारी हिंसा प्रायोजित है और दोनों समुदायों में नफ़रत का ज़हर घोला जा रहा है।" इस हिंसा के लिए मणिपुर मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की गई। महागठबंधन के सदस्यों का कहना है कि "मणिपुर में जारी हिंसा-बर्बरता के ख़िलाफ़ पूरा ‘इंडिया’ एक है जो अपने बार-बार यही मांग कर रहा है कि वहां जारी नफ़रत और हिंसा को रोका जाए।"

आदिवासी एक्टिविस्ट्स ने आरोप लगाया कि "उनके प्रभाव और हितों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है और प्रधानमंत्री इस पर मौन हैं। मणिपुर की सरकार को देश के सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार की भी कोई परवाह नहीं।"

विरोध प्रदर्शन के माध्यम से एक बड़ा आरोप यह भी लगाया गया कि झारखंड में भी भाजपा सरकारों ने सीएनटी/एसपीटी जैसे एक्ट्स में छेड़छाड़ की।

गत दिनों भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई अन्य भाजपा नेताओं द्वारा प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार पर आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाए गए। ऐसे में अब विपक्ष सवाल उठा रहा है कि "मणिपुर में आदिवासियों और महिलाओं पर की जा रही बर्बरता पर भाजपा चुप क्यों है?”

प्रदर्शन में शामिल वक्ताओं ने मणिपुर में शांति बहाली के लिए ठोस क़दम उठाने की मांग की। कारगर क़दम न उठाने पर उन्होंने एकजुट होकर बड़े विरोध प्रदर्शन की बात कही।

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