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पंजाब : मणिपुर की घटनाओं का चौतरफा तीखा विरोध

"मणिपुर की घटनाओं ने भारत को पूरी दुनिया में शर्मिंदा किया है लेकिन मोदी सरकार को कोई शर्म नहीं आई। सरकार अंधेपन का दिखावा करते हुए अपनी सियासत कर रही है।"
punjab
मणिपुर की घटनाओं के विरोध में विशाल रोष मार्च निकालते लोग

मणिपुर की हिंसक घटनाओं और महिलाओं के साथ निर्लज्ज बदसलूकी के खिलाफ पंजाब में तीखे विरोध का सिलसिला जारी है। ईसाई समुदाय ही नहीं बल्कि पंजाबी किसान और खेत मजदूर संगठन भी सूबे के हर शहर और कस्बे में 'शांति मार्च' निकाल रहे हैं और इनमें हजारों की संख्या में लोग हर जगह शिरकत कर रहे हैं। महिला किसान और खेत मजदूर भी शांति मार्च में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

रविवार को जालंधर के ट्रिनिटी कॉलेज में सेंट जोसेफ स्कूल, फिरोजपुर कैंट की सेंट टेरेसा सर्च तथा अमृतसर के सेंट फ्रांसिस स्कूल में शांति के लिए प्रार्थना के पश्चात जालंधर में पंजाब के तमाम जिलों से आए प्रतिनिधियों ने विशाल संयुक्त रोष मार्च निकाला।

जालंधर डायोसिस के एडमिनिस्ट्रेटर, एगनोली रूफीनो ग्रेशियस तथा ट्रिनिटी कॉलेज के डायरेक्टर फादर पीटर ने हजारों की तादाद वाले रोष मार्च की अगुवाई की। अपने विशेष संबोधन में उन्होंने कहा कि पिछले काफी लंबे अरसे से मणिपुर में एक बड़ी साजिश के तहत बड़े पैमाने पर बेहद शर्मनाक घटनाएं और हिंसा हो रही है। केंद्र सरकार खामोश है। लगता है कि वह ऐसा कुछ करना ही नहीं चाहती, जिससे मणिपुर में हालात सामान्य हो जाएं। वहां अब तक 160 से ज्यादा बेगुनाह व्यक्तियों की हत्या हो चुकी है। बेशुमार घरों को लूटा गया और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। महिलाओं से सरेआम बलात्कार किए गए और उनके वीडियो जारी किए गए। कई जगह महिलाओं को निर्वस्त्र करके उनका जुलूस निकाला गया। क्या हम पाषाणकाल में जी रहे हैं? बच्चों के स्कूल तक जला दिए गए और वे पढ़ाई से वंचित है। हालात बच्चों और किशोरों को मनोरोगी बना रहे हैं। महिलाओं को भी। फादर पीटर ने महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार की बेहद शर्मनाक घटनाओं के मुजरिमों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की और कहा कि वोट की राजनीति के लिए मणिपुर को गृह युद्ध में धकेल दिया गया है। इस दौरान जालंधर से कांग्रेसी सांसद सुशील कुमार रिंकू ने भी विशाल रोष मार्च में हिस्सा लिया और कहा कि वह मणिपुर की घटनाओं के खिलाफ सड़क पर आकर तो विरोध कर ही रहे हैं, संसद में भी करेंगे।

विरोध व शांति मार्च में ईसाई समुदाय की आला हस्तियों व धार्मिक रहनुमाओं ने शिरकत की, वहीं स्कूल-कॉलेजों के बच्चों के शिक्षकों ने भी हाथों में न्याय की मांग करते बैनर पकड़कर महानगर की कतारबद्ध फेरी लगाई। विभिन्न जिलों से जालंधर में इकट्ठा हुए तमाम लोग इंसाफ की गुहार लगा रहे थे। 'मणिपुर में हिंसा रोको और न्याय दो' के नारों से आकाश गूंज रहा था।

पंजाब के विभिन्न किसान संगठन और खेत मजदूर संगठन भी मणिपुर में फैली बर्बरता के खिलाफ हर शहर और कस्बे में कैंडल मार्च निकालकर रोष जाहिर कर रहे हैं। कपूरथला, फरीदकोट, होशियारपुर, रोपड़, लुधियाना, गुरदासपुर और तरनतारन में भी कैंडल मार्च निकालकर मणिपुर की घटनाओं का कड़ा विरोध किया गया। गुरदासपुर के पुराना शाला बाजार में रविवार को शाम को किसान और खेत मजदूर संगठनों के बैनर तले हजारों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। इस मौके पर 'पगड़ी संभाल जट्टा' के संयोजक कंवलप्रीत सिंह काकी ने कहा कि मणिपुर हिंसा की आग में सुलग रहा है और वहां महिलाओं को सरेआम बेइज्जत किया जा रहा है, बलात्कार हो रहे हैं और उनके वीडियो सोशल मीडिया पर डाले जा रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार किसी बड़ी रणनीति के तहत खामोश है। अब प्रधानमंत्री को बेटियों की लुटती इज्जत दिखाई क्यों नहीं दे रही। जबकि नरेंद्र मोदी ने कभी कहा था कि इस देश की हर बेटी उनकी अपनी बेटी है। वह अपनी बेटियों के साथ ऐसा वीभत्स व्यवहार कैसे होने दे रहे हैं? भारतीय किसान यूनियन एकता उग्रहां के नेता गुरु प्रताप सिंह ने कहा कि 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन में भी ऐसी दहला देने वाली घटनाएं नहीं हुईं, जैसी आज मणिपुर में हो रही हैं। महिला किसान नेता बीबी देवेंद्र कौर ने कहा कि वहां महिलाओं की अस्मत लूटी जा रही है और नरेंद्र मोदी सरकार खामोश बैठी तमाशा देख रही है। कुछ अन्य महिला किसान नेताओं ने भी रोष रैली को संबोधित किया।

पंजाब के प्रख्यात मार्क्सवादी नेता मंगतराम पासला कहते हैं कि मणिपुर घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा देश में फासीवादी बन चुकी है। मिसालें रोज सामने आ रही हैं। मणिपुर जैसे हालात सन् 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कुछ अन्य राज्यों में भी पैदा करने की कोशिश की जा सकती है। लोक मोर्चा के संयोजक और विश्वविख्यात 'देश भगत यादगार हॉल' के मुख्य ट्रस्टी अमोलक सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर यह सब हो रहा है। केंद्र सरकार चाहे तो 24 घंटों में हालात काबू में आ सकते हैं लेकिन फिलहाल ऐसा वह चाहती ही नहीं। उसकी मंशा स्थिति को और ज्यादा बिगड़ने देने में है। अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर सुखदेव सिंह के अनुसार, "मणिपुर की घटनाओं ने भारत को पूरी दुनिया में शर्मिंदा किया है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार को कोई शर्म नहीं आई। सरकार अंधेपन का दिखावा करते हुए अपनी सियासत कर रही है। देश को सदियों पीछे धकेला जा रहा है। खैर, यह पंजाबी जनमानस की खसूसियत है कि वह किसी भी तरह की कहीं भी हो रही जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करता है और अपना सक्रिय सहयोग भी देता है। बाढ़ ग्रस्त पंजाब अपनी दिक्कतों को दरकिनार करके आज मणिपुर घटनाक्रम की खिलाफ वहां के पीड़ितों का साथ देने के लिए तत्पर है तो यह है पंजाबियों के मिजाज में है।"

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