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पंजाब में किसानों का प्रदर्शन, पुलिस से झड़प में एक की मौत

बाढ़ से खेती-किसानी को हुए नुक़सान के मुआवज़े की मांग को लेकर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
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फ़ोटो साभार : National Herald

पिछले दिनों आई बाढ़ से पंजाब में खेती-किसानी बुरी तरह प्रभावित हुई है और संकट बढ़ता जा रहा है। किसान बाढ़ से हुए नुक़सान के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों का आरोप है कि राज्य की आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली भगवंत मान सरकार इस मामले में लापरवाही बरत रही है जिससे किसान गुस्से में हैं। 21 अगस्त को धरना-प्रदर्शन के लिए राजधानी चंडीगढ़ जा रहे किसानों की पुलिस से साथ झड़प हुई जिसमें एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में ख़बर आई कि किसान ने दम तोड़ दिया। इस झड़प में दर्जनों किसान घायल हो गए और सैकड़ों को हिरासत में लिया गया। झड़प के दौरान एसएचओ स्तर का एक पुलिस अधिकारी भी गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गया। कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं हैं।

इससे पहले कुछ किसान और मज़दूर-संगठनों के नेताओं की चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इनमें कई मांगों को नहीं माना गया तो किसान और खेत-मज़दूर संगठन नाराज़ होकर चंडीगढ़ कूच कर रहे थे। 16 किसान संगठन एकजुट होकर भगवंत मान सरकार का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं और अब कहा जा रहा है कि राज्य सरकार के ख़िलाफ़ चंडीगढ़ सीमा पर 'पक्का मोर्चा' लगाया जाएगा।

गौरतलब है कि इस वक्त पंजाब में किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं, दावा है कि सैकड़ों किसान नेता गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। कुछ बड़े किसान नेताओं को उन्हीं के घर में नज़रबंद किया गया है। बताया जा रहा है कि उन्हें फोन तक इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। सूत्रों के अनुसार किसानों को चंडीगढ़ में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने पूरी तरह से कमर कस ली है। जो किसान चंडीगढ़ सीमा तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं, उनसे निपटने के लिए सीमाओं पर भारी संख्या में पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

किसान नेता चरणजीत सिंह कहते हैं कि, "एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने खुद मुझे बताया है कि सरकार नहीं चाहती कि किसान अपनी मांगों के साथ चंडीगढ़ आएं और धरना-प्रदर्शन करें। लेकिन हम आपको बता दें, सरकार के ख़िलाफ़ पूरा मोर्चा लगाया जाएगा।"

भारतीय किसान यूनियन (आज़ाद) के प्रतिनिधि जसवीर सिंह का कहना है कि, "किसानों की मुख्य मांग है कि बाढ़ आपदा का मुआवज़ा फौरन दिया जाए। किसानों को अभी तक कुछ नहीं मिला है। जिन किसानों को मीडिया के आगे दिखाने लिए कुछ दिया गया है, वे मुट्ठी भर हैं। वे पंजाब की पूरी किसानी का प्रतिनिधित्व तो हरगिज़ नहीं करते। मुख्यमंत्री भगवंत मान झूठ बोल रहे हैं कि पीड़ित किसानों को मुआवज़ा दिया जा रहा है।"

मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से कहा गया है कि, "पंजाब सरकार की ओर से किसानों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हम किसानों की सलाह से ही नई नीतियां बना रहे हैं। बाढ़ से हुए नुक़सान का मुआवज़ा भी देना शुरू कर दिया है। विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट धीरे-धीरे आ रही है। किसानों को उनके नुक़सान का पूरा मुआवज़ा मिलेगा।"

पूरे घटनाक्रम की बाबत किसी मंत्री या आम आदमी पार्टी विधायक से बात करने की कोशिश की जाए तो जवाब मिलता है कि जो कुछ बताएंगे मुख्यमंत्री ही बताएंगे। जैसा कि किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि "अभी तक सरकार ने बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई है। बनाई है तो मंत्रियों और विधायकों को इसकी कोई जानकारी नहीं। सारा कुछ कागजों पर चल रहा है। ऐसा नहीं है तो अफसरशाही मुख्यमंत्री को कहीं न कहीं गुमराह कर रही है।"

इस घटना से तकरीबन 24 घंटे पहले भोपाल में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब की कृषि नीति को मॉडल के तौर पर पेश कर रहे थे।

आपको बता दें, किसान संगठनों के दावों के मुताबिक पंजाब में 100 से ज़्यादा किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है या नज़रबंद कर दिया गया है। संगरूर ज़िले में, जहां एक किसान की मौत हुई, पुलिस का लाठीचार्ज हुआ, वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। वहां से हासिल जानकारी के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन (आज़ाद) के राज्य स्तरीय नेता जसविंदर सिंह लोंगोवाल को पुलिस ने लोंगोवाल स्थित उनके घर में नज़रबंद कर दिया। सूचना मिलने के बाद बड़ी तादाद में किसान वहां इकट्ठा हो गए और उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया लेकिन किसान फिर भी डटे रहे।

किसान संगठनों की प्रांतीय कमेटी ने बठिंडा-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित टोल प्लाज़ा बंद करने की घोषणा कर दी। इसके बाद किसान हाईवे की तरफ बढ़े तो पुलिस ने बैरिकेड लगाकर और हल्का लाठी चार्ज करके उन्हें रोकने की कोशिश की। ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों पर सवार किसान बैरिकैड्स तोड़ते हुए आगे बढ़े। इस दौरान हुई झड़प में भारतीय किसान यूनियन (आज़ाद) की एक बस के शीशे टूट गए। पुलिस ने किसानों को रोकने का प्रयास किया तो एक पीटर रेडे से बंधी ट्राली की चपेट में आने से सुनाम थाने के प्रभारी दीप इंद्रपाल सिंह और कुछ किसान गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए। इन सब के पैर ट्राली के नीचे आने से कुचल गए। संगरूर के एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने बताया कि किसानों से चक्का जाम न करने की अपील की गई थी, बावजूद इसके कानून हाथों में लेकर वे बैरिकैड्स तोड़कर आगे बढ़े।

कपूरथला में किसानों ने ढिलवां टोल प्लाज़ा पर धरना दिया। वहां पर पुलिस ने 44 किसानों को हिरासत में लेकर तीन थानों में बंद कर दिया। यह पुलिस की ओर से दी गई सूचना है, जबकि किसानों का दावा है कि संख्या बहुत ज़्यादा है। उधर, चंडीगढ़ धरने में शामिल होने जा रहे मोगा, फिरोजपुर वजीरा के किसानों ने दोपहर बाद मोगा में सदर थाने के सामने लगे पुलिस के बैरिकैड्स को तोड़ दिया और आगे निकल गए। आगे पुलिस और किसानों में तल्ख बहस हुई। इसके बाद किसान हाईवे जाम कर वहीं पर धरना देकर बैठ गए। किसानों ने होशियारपुर में चोलांग टोल प्लाज़ा, अमृतसर के जंडियाला गुरु और कठू नगर वैशाख कोर्ट में टोल प्लाज़ा और गुरदासपुर के टोल प्लाज़ा पर भी धरना दिया।

भारतीय किसान यूनियन (एकता) के जगजीत सिंह डलेवाल ने कहा कि "भगवंत मान सरकार ने घोषणा की थी कि अगर किसी किसान की फसल प्राकृतिक आपदा की वजह से क्षतिग्रस्त हो जाती है तो फसल नुक़सान का आकलन बाद में किया जाएगा, लेकिन मुआवज़ा पहले ही किसान के खाते में जमा कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा। इसके परिणामस्वरूप किसान संघर्ष के लिए सड़कों पर आ गए हैं।"

आपको बता दें, आंदोलनरत किसान फसल के नुक़सान के लिए 50 हज़ार रूपये प्रति एकड़ मुआवज़ा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रूपये और बाढ़ से मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रूपये के मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।

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