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...आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते

इप्टा के 15वें राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारियां पूरी। झारखंड के मेदिनीनगर (डालटनगंज) में 17, 18 और 19 मार्च में जुटेंगे देश भर के 600 से अधिक कलाकार,संस्कृतिकर्मी।
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डालटनगंज। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के 15वें राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारियां पूरी हो गई हैं। देश भर से इप्टा के कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी और कलाकारों का पलामू में आना शुरू हो गया है। 17 तारीख़ तक सभी यहां पहुंच जाएंगे। सात साल बाद हो रहे, इप्टा के इस महाधिवेशन को लेकर कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों में बेहद उत्साह है। महीनों से महाधिवेशन की तैयारियां चल रही हैं। इप्टा की अलग अलग टीमें शहर और जिले के गांवों में राष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व अपनी प्रस्तुतियां दे रहीं हैं। जिसमें नुक्कड़ नाटक और जनगीतों के ज़रिए आम अवाम और कला प्रेमियों को  इप्टा के कार्यक्रमों में शिरकत करने का न्यौता दिया जा रहा है। पर्चे बांटे जा रहे हैं। ताकि स्थानीय जनता भी इस आयोजन से जुड़ सके।

इस मर्तबा इप्टा का राष्ट्रीय महाधिवेशन झारखंड के पलामू जिला स्थित मेदिनीनगर (डालटनगंज) शहर में 17, 18 और 19 मार्च को आयोजित हो रहा है। महाधिवेशन के दौरान तीन दिवसीय नीलांबर-पीतांबर लोक महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश भर से आने वाले 600 से अधिक कलाकार, संस्कृतिकर्मी विभिन्न राज्यों के कलारूपों और देश के दूरदराज इलाकों की बहुआयामी लोक परंपरा की विविध सांझी सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही संस्कृतिकर्म की चुनौतियों पर विचार विमर्श करते हुए, भविष्य की सांस्कृतिक रणनीति बनाई जाएगी।

राष्ट्रीय महाधिवेशन के औपचारिक उद्घाटन के पहले 16 मार्च की शाम इंदौर इप्टा की ओर से 'धीरेन्दु मजुमदार की मां नाटक का मंचन किया जाएगा। यह मंचन गांधी स्मृति टाउन हॉल में शाम 6 बजे से किया जाएगा। इसके अलावा दो फ़िल्मों 'अमेरिका अमेरिका' (निर्देशक—के.पी.शशि) और 'कैफ़ीनामा' (निर्देशक—सुमंत्रा घोषाल) का प्रदर्शन भी होगा। 17 मार्च, शुक्रवार को सुबह झंडोत्तोलन के बाद, दोपहर 2 बजे 15 नगाड़ों की गूंज और झारखंड समेत अलग-अलग राज्यों की विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच जन सांस्कृतिक यात्रा (कल्चरल मार्च) के साथ तीन दिवसीय महाधिवेशन का आग़ाज़ होगा। सुबह के ही सत्र में 'सफ़र के साथियों को सलाम' और 'शहीदों का स्मरण' किया जाएगा। इसके बाद स्थानीय शिवाजी मैदान में आम सभा का आयोजन किया जाएगा। यह खुला सत्र होगा। जिसमें कलाकारों, संस्कृतिकर्मिंयों के अलावा अवाम की भी हिस्सेदारी होगी। शाम 6 बजे से शिवाजी मैदान में ही सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा। जिसका मुख्य आकर्षण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफ़ी गायक मीर मुख़्तियार अली और उनके ग्रुप द्वारा सूफ़ी गायन, पद्मश्री मधु मंसूरी का लोक गायन और झारखंड का प्रसिद्ध पाइका नृत्य, छत्तीसगढ़, ओड़िसा, आंध्र प्रदेश और बिहार की लोक प्रस्तुतियां रहेंगी। लोक उत्सव के बाद मसूद अख़्तर निर्देशित फ़िल्म 'कहां कहां से गुज़रे' का प्रदर्शन होगा।

18 मार्च को 'दीनदयाल हॉल' और 'अग्रसेन भवन' में दिन भर विभिन्न सामयिक मुद्दों 'समकालीन परिदृश्य : मुद्दे और रचनाकर्म', 'खेती—किसानी का संकट', 'सामाजिक न्याय, आर्थिक असमानता एवं साम्प्रदायिकता', 'वैज्ञानिक चेतना और तर्क', 'पर्यावरण' और 'जेंडर के सवाल' आदि पर विस्तृत चर्चा होगी। इन कार्यशालाओं के बाद 'अग्रसेन भवन' में ही शाम 5 बजे लकी गुप्ता की एकल प्रस्तुति 'मां मुझे टैगोर बना दे' का प्रदर्शन होगा। दूसरे दिन भी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन शिवाजी मैदान में रखा गया है। लोक महोत्सव के अंतर्गत शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक जो प्रस्तुतियां होंगी, उनमें उत्तर प्रदेश (आज़मगढ़) का लोक नृत्य, असम का लोक नृत्य बिहू, बंगाल का सुप्रसिद्ध बाउल, छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य, बिहार इप्टा का समूह गान, तेलांगना और केरल की लोक प्रस्तुतियां होंगी।

राष्ट्रीय महाधिवेशन के आख़िरी दिन 19 मार्च रविवार को सारा दिन सांगठनिक सत्र होंगे। जिसमें सभी प्रदेशों के इप्टा पदाधिकारी अपने राज्यों की रिपोर्ट पेश करेंगे। अंत में राष्ट्रीय महासचिव राकेश वेदा संगठन की रिपोर्ट रखेंगे। विभिन्न विषयों पर प्रस्ताव पेश किए जाएंगे। अंत में इप्टा की नई कार्यकारिणी और पदाधिकारियों का चुनाव होगा। शाम 6 बजे से नीलांबर-पीतांबर लोक महोत्सव का समापन समारोह होगा। जिसमें ख्याति प्राप्त लोक गायिका (बिहार) नेहा सिंह राठौर की लोक प्रस्तुति, सीमा घोष द्वारा पांडवाणी गायन, बिहार का लोक नृत्य बिदेशिया और पंजाब के लोक नृत्य भांगड़ा का प्रदर्शन होगा।

इसके साथ ही आज़ादी के 75वें साल मुकम्मल होने पर 'गांधी स्मृति टाउन हॉल' में चित्र, कविता पोस्टर, कोलाज, व्यंग्य चित्र, छायाचित्र, फोटोग्राफी, काष्ठ कला और इप्टा आंदोलन की झलकियों से संबंधित प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी।

मेदिनीनगर शहर के अलग—अलग स्थलों पर नुक्कड़ नाटक और रंग कार्यशालाओं का आयोजन होगा। आयोजन समिति के महासचिव शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि इप्टा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह के नाम पर आयोजन स्थल का नाम रणवीर सिंह नगर रखा गया है। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अरुण शुक्ला ने कहा कि ''इप्टा का यह महाधिवेशन समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व की हिफ़ाज़त करने, समाज में फैली दुश्मनी को दूर करने और प्रेम के संदेश को सबको पहुंचाने के मक़सद से किया जा रहा है।''

गौरतलब है कि इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन यानी इप्टा देश का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन है। जिसकी स्थापना आज से अस्सी साल पहले 25 मई, 1943 को मुंबई में हुई थी। इस अवसर पर आयोजन की अध्यक्षता करते हुए, प्रो. हीरेन मुखर्जी ने देश भर के संस्कृतिकर्मियों और कलाकारों से क्रांतिकारी आह्वान करते हुए कहा था, ‘‘लेखक और कलाकार आओ, अभिनेता और नाटककार आओ, हाथ से और दिमाग़ से काम करने वाले आओ और स्वयं को आज़ादी और सामाजिक न्याय की नयी दुनिया के निर्माण के लिये समर्पित कर दो।’’ एक लंबा दौर गुज़र गया, लेकिन जिन उसूलों की ख़ातिर इप्टा का गठन हुआ था, वह आज भी उन उसूलों पर क़ायम है। संगठन के नारे, ‘इप्टा की नायक जनता है।’ को उसने हमेशा चरितार्थ किया है। इप्टा रंगकर्म के ज़रिए जनता में चेतना फैलाने का काम कर रहा है। सामाजिक, सांस्कृतिक जागरण के कामों में उसकी कोई कमी नहीं आई है। मनुष्य की वास्तविक आज़ादी, वर्गविहीन समाज और सामाजिक न्याय इप्टा के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है।

इप्टा राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष तनवीर अख़्तर का कहना है कि ''इप्टा का 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन एक ऐसे दौर में हो रहा है, जब संविधान और हमारे संवैधानिक मूल्य ख़तरे में हैं। अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमले बढ़े हैं, नफ़रत की सियासत अपने चरम पर है और सांस्कृतिक मूल्य नष्ट किए जा रहे हैं। लिहाज़ा इप्टा ने अपने राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए ख़ास तौर पर 'समता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के रास्ते/आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते' का नारा दिया है।'' उन्होंने कहा, ''इप्टा अपने आग़ाज़ से ही अवाम की आवाज़ को बुलंद करता रहा है। इस सम्मेलन में जहां जन आंदोलनों को मज़बूत करने पर बात होगी, वहीं भविष्य की सांस्कृतिक रणनीति भी तय की जाएगी।''

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