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झारखंड: हेमंत 2.O के सामने अब असल में ‘अबुआ सरकार’ बनने की चुनौती

देखना है कि पिछली कमज़ोरियों से सबक़ लेते हुए इस बार हेमंत सोरेन की सरकार किस तरह हर स्तर पर संकल्पबद्ध होकर काम करेगी।
hemant soren

झारखंड राज्य में नयी सरकार ने अपनी बागडोर सम्हाल ली है। मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर से INDIA गठबंधन के सर्वमान्य नेता के तौर पर हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। राजधानी रांची स्थित मोरहाबादी मैदान में 28 नवम्बर को आयोजित मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में INDIA गठबंधन के सभी घटक दलों के वरिष्ठ नेताओं के अलावा पश्चिम बंगाल और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति विशेष रही।   

उधर, विपक्षी खेमे NDA गठबंधन के घटक दलों में भी शीर्ष से लेकर स्थानीय स्तरों पर चुनाव में हुई जबरदस्त हार को लेकर चर्चा-मंथन और विश्लेषणों का सिलसिला जारी है। 

हेमंत सोरेन सरकार के दुबारा सत्तासीन होने से राज्य के सियासी परिदृश्य में सबसे फ़िल्मी स्टाइल मार्का बदलाव मीडिया जगत में देखने को मिल रहा है। क्योंकि स्थापित मीडिया में से अधिकांश को न सिर्फ अपना “गोदी-सुर’ बदलने को मजबूर होना पड़ा है बल्कि कईयों को तो हेमंत सोरेन की सफलता के कसीदे भी पढ़ने पड़ रहे हैं। अखबारों में लगातार विशेष कॉलम देकर INDIA गठबंधन के जीत के कारणों के विश्लेषण दनादन प्रकाशित किये जा रहें हैं।  

जिसे देख-पढ़कर हंसी भी आ सकती है कि “आदर्श पत्रकारिता” के नाम पर ये कैसी भौंड़ी विडंबना है कि जो मीडिया समूह फ़क़त चन्द दिनों पहले, मतगणना से पूर्व तथाकथित “एग्जिट पोल” की  प्रायोजित कवायदों तक में सिर्फ एक पार्टी विशेष और उसके शीर्ष-स्टार नेताओं पर सारा फोकस किये हुए था। उनकी छोटी से छोटी चुनावी गतिविधियों को अपने फ्रंट पेज में बेहद सुर्ख़ियों के साथ “विरुदावली अंदाज़” में परोसने को अपना “राष्ट्रधर्म” बनाए हुए था, जनता के प्रचंड जनादेश ने उन्हें धरातल पर ला पटका। 

मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण उपरांत प्रोजेक्ट-भवन स्थित मुख्यमंत्री कक्ष में कैबिनेट की पहली मीटिंग कर हेमंत सोरेन ने आनन्-फानन अपनी ‘अबुवा सरकार’ की प्रतिबद्धताओं को स्पष्ट कर दिया। अबुवा सरकार का अर्थ है हमारी या अपनी सरकार यानी हमारा राज। हेमंत ने यही नारा दिया था।

कैबिनेट की पहली मिटिंग से लिए गए आठ फैसलों में नयी सरकार द्वारा ये घोषणा की गयी कि- चुनाव में किये गए वायदों के तहत इसी दिसंबर माह से पूरे राज्य की लाभुक महिलाओं को ‘मंईयाँ सम्मान योजना’ की बढ़ी हुई राशि 2500 रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा। नयी विधान सभा का पहला सत्र 9 से 12 दिसंबर तक आहूत कर सदन के पटल पर सरकार द्वारा विश्वासमत हासिल किया जाएगा।

लिए गए फैसले के महत्वपूर्ण प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार/केन्द्रीय उपक्रमों पर राज्य सरकार की बाकाया राशि 1,36,000 करोड़ रुपये की वसूली के लिए आवश्यक विधिक कारवाई शुरू की जायेगी। साथ ही प्रदेश की आय बढ़ोत्तरी के लिए नए स्रोत, खनन क्षेत्र में लागू पुराने करों में वृद्धि एवं न्यायिक मामलों में लंबित वसूली में तेज़ी लाने के लिए वित्त विभाग एक विशेष कोषांग के गठन का भी निर्णय लिया गया। 

चुनाव में प्रदेश के युवाओं को रोज़गार देने के वायदे को पूरा करने के लिए राज्य में सभी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए JPSC,JSSC तथा अन्य प्राधिकार 01 जनवरी 2025 के पहले परीक्षा कैलेण्डर प्रकाशित करने के फैसले की भी घोषणा की गयी।

पुलिस विभाग में नयी नियुक्ति के लिए भविष्य में होनेवाली परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा करने के निर्णय के साथ साथ एक अहम् फैसला यह भी लिया गया कि- असम के चाय बागानों में झारखंड मूल के आदिवासी समुदायों की मौजूदा दशा एवं उन्हें भविष्य में दी जानेवाली सुविधा के अध्ययन के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल व पदाधिकारियों का एक विशेष दल असम जाकर ज़मीनी स्तर पर अध्ययन करके झारखंड सरकार को अपना प्रतिवेदन सौंपेगा। 

इस फैसले को लेकर बड़ी चर्चा है कि- हेमंत सोरेन ने आदिवासी मुद्दे पर भाजपा को घेरने की अच्छी रणनीति बनायी है। क्योंकि विगत तीन महीनों से झारखंड भाजपा के विशेष चुनावी महारथी बनाकर लाये गए असम राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा आते ही अपने उन्माद भरे सांप्रदायिक-नफरती बोल-वचन से काफी विवादित रहे। वे “घुसपैठी और इससे आदिवासी डेमोग्राफी घटने” का मुद्दा उछालकर आदिवासी हित का ढोल पीटा करते थे। जिसके जवाब में झामुमो समेत INDIA गठबंधन के सभी घटक दल व नेता उनसे लगातार ये सवाल पूछ रहे थे कि असम में झारखंड के आदिवासियों की भलाई के उन्होंने अब तक लिए क्या किया है। आज तक उन्हें क्यों नहीं आदिवासी होने का दर्जा दिया है? बरसों बरस से वहां रहनेवाले झारखंडी आदिवासियों को जल-जंगल-ज़मीन के साथ साथ उनकी भाषा-संकृति का अधिकार क्यों नहीं दिया है?

फिलहाल, नयी विधानसभा के विशेष सत्र आहूत होने के पूर्व सरकार के नए मंत्रिमंडल में मंत्री पद के गुणा-भाग को लेकर INDIA गठबंधन के सभी घटक दलों में काफी विमर्श और खींच-तान जारी है। वहीं, मीडिया कयासों में यह भी उछाला गया कि पहली बार राज्य की विधानसभा में अपने दो विधायकों की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाले वाम दल भाकपा माले ने भी मंत्री पद की दावेदारी की है।

लेकिन प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने साफ़ लहजे में कहा कि- हमारी पार्टी सरकार को बाहर से समर्थन देगी और राज्य की जनता के सवालों को लेकर पूरी मुस्तैदी से सक्रिय रहेगी। नयी सरकार को पार्टी की ओर जोशपूर्ण शुभकामना है।

मीडिया संबोधन में चुनावी नतीजों पर बोलते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि- भाजपा की नफ़रत और झूठ की राजनीति तथा झारखंड को “लूटखंड’ बनाने की कोशिशों के खिलाफ एकजुट होकर करारा जवाब दिया है। जनता ने निर्णायक बहुमत देकर ‘इंडिया गठबंधन’ की सरकार बनायी है। पिछली बार तो इस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गयी थी, लेकिन इस बार केंद्र की सरकार को झारखंड सरकार का सम्मान करना चाहिए। झारखंड को उसका हक़ और सम्मान मिलना ही चाहिए। इंडिया गठबंधन ने झारखंड के साथ जो वादे किये हैं, हमें उम्मीद है कि वे पूरे किये जायेंगे। 

निस्संदेह, उक्त बातें और उम्मीदें झारखंड प्रदेश की व्यापक जनता के लिए सर्वप्रधान जनआकांक्षा है। देखना है कि पिछली कमजोरियों से सबक लेते हुए इस बार हेमंत सोरेन की ‘अबुवा सरकार’ किस तरह हर स्तर पर संकल्पबद्ध होकर काम करेगी। 

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