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यूपी विधानसभा में बजट सत्र कवरेज करने गए पत्रकारों के साथ मारपीट, धक्का-मुक्की

मीडिया का एक बड़ा तबका भले ही सत्ताधारी बीजेपी के गुणगान में लगा रहता हो, लेकिन पार्टी को अपनी खामियां बाहर आने देना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को बजट सत्र के दौरान पत्रकारों के साथ जो हुआ वह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।
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सोमवार को बजट सत्र की कवरेज करने गए पत्रकारों के साथ मार्शलों ने धक्का मुक्की की और उन्हें पीटा भी। समाजावादी पार्टी ने ट्वीट करके कहा कि लखनऊ विधानसभा में यूपी बजट सत्र की कवरेज करने आए मीडिया कर्मियों के साथ सुरक्षा कर्मियों द्वारा अभद्रता और मारपीट की घटना, निंदनीय एवं शर्मनाक।

उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विपक्ष की नारेबाजी और शोरगुल के बीच अभिभाषण पढ़ा। इस बीच विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए। विपक्षी सदस्य 'राज्यपाल वापस जाओ' और 'तानाशाही की यह सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी' के नारे लगा रहे थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत है। सदन के बाहर मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट और धक्का मुक्की की गई।

समाजावादी पार्टी ने ट्वीट करके कहा कि लखनऊ विधानसभा में आज से प्रारंभ हो रहे यूपी बजट सत्र की कवरेज करने आए मीडिया कर्मियों के साथ सुरक्षा कर्मियों द्वारा अभद्रता और मारपीट की घटना, निंदनीय एवं शर्मनाक। यह घटना लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है। दोषी सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल हो कठोरतम कार्रवाई।

वहीं अमर उजाला के ब्यूरो चीफ तारीक इकबाल ने ट्वीट करके कहा आज यूपी विधानसभा में कवरेज के दौरान वहां तैनात मार्शलों ने मीडिया पर्सन्स की पिटाई की है। इससे वहां काफी हंगामा है। पत्रकारों में नाराज़गी है। पत्रकार पहली बार तो विधानसभा गए नहीं थे, अगर कोई खास बात थी तो उन्हें समझाया जा सकता था। यह हरकत तो निंदनीय है।

एक और पत्रकार ने ट्वीट करके कहा कि यूपी विधानसभा में पत्रकारों को पीटा गया। ऐसा आज तक नहीं हुआ। शर्मनाक!

एक और पत्रकार नवल कांत सिन्हा ने कहा कि संयम मार्शल की ट्रेनिंग का हिस्सा होता है। पहली बार सुना कि यूपी विधानसभा में मार्शल ने कवरेज कर रहे पत्रकारों को पीटा। इंडियन एक्सप्रेस के विशाल श्रीवास्तव, एबीपी गंगा के वीरेश पांडेय सहित दसियों को धक्का दिया, पीटा। भला हो सूचना निदेशक का, जिन्होंने स्थिति संभाली। शर्मनाक।

इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर फोटोग्राफर विशाल श्रीवास्तव ने इस घटना पर कहा,”बिना किसी बात के मार्शलों ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की। ना सिर्फ उन्हें रोका गया,बल्कि उनके साथ मारपीट भी गई। इसके साथ हम लोगों को धक्का देकर वहां से बाहर कर दिया गया।” 

पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा ने ट्ववीट किया- आजादी के बाद इतिहास में पहली बार हुआ है। जब यूपी की विधानसभा के भीतर विपक्ष को ना दिखाया जाए इसलिए पत्रकारों को पीटा गया। मुक्के मारे गए..धक्के मारे गए..गाल सुजा दिए गए…ये लिंचिंग यूपी की विधानसभा के भीतर हो रही है..ऐसी सरकारी तानाशाही…ऐसा दमन कभी नहीं हुआ। पत्रकार राजेन्द्र देव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ये कैसा लोकतंत्र ?आज जो हुआ वो पहले कभी नही हुआ था। विपक्ष , विधानसभा में प्रदर्शन कर रहा था। मीडिया उसे कैमरे में कैद करने का अपना धर्म निभा रहा था। फिर मीडिया को मार्शलों की ताकत के बूते बाहर धकेल दिया गया। क्या इस कृत्य से भारत दुनिया के “लोकतंत्र की जननी” साबित हुआ?

डीयूजे ने बताया निंदा की

दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (डीयूजे) ने 20 फरवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा में पत्रकारों की पिटाई की कड़ी निंदा की है। समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा निर्धारित विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए सुबह-सुबह गए पत्रकारों और कैमरामैन को घटना के कवरेज को रोकने के लिए विधानसभा परिसर पर मार्शलों द्वारा हमला किया गया था।

शिवपाल यादव और उनकी पार्टी के लगभग सौ विधायक चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास विरोध कर रहे थे, आमतौर पर इस तरह के विरोध के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला क्षेत्र। मीडिया आमतौर पर इस जगह पर ऐसे विरोध प्रदर्शनों को कवर करता है।

विधानसभा के मार्शलों को सदन के भीतर आदेश सुनिश्चित करने के लिए बाध्य किया जाता है, न कि इसके बाहर के क्षेत्र में। पुलिस को उस क्षेत्र का प्रबंधन करना चाहिए। हालांकि, मार्शल कथित रूप से प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों दोनों को पीटने के विशिष्ट उद्देश्य से इमारत से बाहर आए। विरोध को बाधित करने के लिए हमला करने का आदेश देते हुए एक मार्शल की वीडियोग्राफी की गई। यह साबित करने के लिए पर्याप्त वीडियो साक्ष्य हैं कि मीडियाकर्मियों पर जानबूझ कर हमला किया गया।

दिलचस्प बात यह है कि यूपी के पत्रकारों की शिकायत रही है कि विधानसभा में प्रवेश तेजी से प्रतिबंधित किया जा रहा है, अधिकारियों ने उनमें से कई को प्रवेश पास देने से इनकार कर दिया है। इससे भी बदतर उत्तर प्रदेश में मीडिया पर बढ़ते हमले हैं, जिनमें विभिन्न एजेंसियों द्वारा छापे मारने से लेकर प्रशासन के कुकृत्यों को उजागर करने के लिए प्रतिशोधपूर्ण मुकदमे और गिरफ्तारियां शामिल हैं।

दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने अपने अध्यक्ष एस.के.पांडे और महासचिव सुजाता मधोक द्वारा जारी एक प्रेस नोट के माध्यम से मीडियाकर्मियों पर नवीनतम शारीरिक हमले से सदमे और आक्रोश व्यक्त किया है। डीयूजे ने मीडियाकर्मियों पर हमला करने वालों को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में फिसलता भारत

भारत 2022 में 180 देशों में 142वें में से आठ पायदान गिरकर 150वें स्थान पर आ गया है। भारत 2016 के सूचकांक में 133वें स्थान पर था इसके बाद से उसकी रैंकिंग में लगातार गिरावट आ रही है। रैंकिंग में गिरावट के पीछे का कारण "पत्रकारों के खिलाफ हिंसा" और "राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया" में वृद्धि होना है।

साभार : सबरंग 

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