Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

कश्मीर : यूएपीए का इल्ज़ाम ख़ारिज, गुजरात जेल में 12 साल से क़ैद बशीर रिहा

हालांकि बशीर ने जेल में रहते अपने अब्बा को खो दिया और बेशुमार दुख भी झेले, लेकिन अब वे भविष्य की ओर उम्मीद से देखते हैं। जेल में रहते उन्होंने तीन-तीन विषयों में मास्टर डिग्रियां हासिल की हैं।
कश्मीर : यूएपीए का इल्ज़ाम ख़ारिज, गुजरात जेल में 12 साल से क़ैद बशीर रिहा
रिहाई के बाद श्रीनगर शहर के रैनावाड़ी मोहल्ले के अपने घर में अपनी अम्मा के साथ बशीर अहमद बाबा। फोटो: कमरान यूसूफ 

श्रीनगर : आतंक के मामले गुजरात की जेल में 12 साल की कैद के बाद बशीर अहमद बाबा (44)  रिहा कर दिए गए हैं। उन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत लगाए गए सभी इल्जामात को अब खारिज कर दिया  गया है, जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ घर लौट आए हैं। 

बशीर और उनका परिवार उनके “बेगुनाह” साबित हो जाने से काफी खुश हैं, हालांकि इसमें एक दशक से भी अधिक समय जाया हो गया है।

उनके जेल में रहने के दरम्यान ही, उनके परिवार के कई लोग गुजर गए, जिनमें उनके चाचा और उनके अब्बा गुलाम नबी बाबा भी शामिल हैं। बशीर के अब्बा ठेकेदार थे, जो तीन साल तक पेट के कैंसर से पीड़ित रहने के बाद आखिरकार 2017 में चल बसे थे। इस बारे में बशीर को कई रोज तक कोई खबर नहीं मिली थी। अदालत में उनकी पेशी पर ही अब्बा के इंतकाल के बारे में मालूम हुआ था। 

बशीर श्रीनगर शहर के रैनावारी मोहल्ले के अपने घर के पास ही एक कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र चलाते थे और एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) में सहायक परियोजना अधिकारी के पद पर काम करते थे, जहां उन्हें मेडिकल कैम्प लगाने, खास कर बच्चों के कटे-फटे होंठों के लिए चिकित्सा शिविरों के आयोजन का जिम्मा दिया गया था। 

फरवरी 2010 में, उन्होंने गुजरात में आयोजित एक कार्यशाला में प्रशिक्षण लेने के लिए कश्मीर छोड़ दिया था। लेकिन यहां से लौटने के एक रोज पहले उन्हें गुजरात के आणंद जिले के समरखा गांव के करीब आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद, उन पर आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से ताल्लुकात रखने का इल्जाम चस्पां कर दिया गया। एटीएस ने आरोप लगाया कि वे युवकों को “आतंक के  प्रशिक्षण” के लिए एक नेटवर्क बना रहे थे। बशीर पर लगाए गए इस इल्जाम को उनके परिवार वालों ने तभी खारिज कर दिया था। 

गिरफ्तारी के पहले, बशीर कम्प्यूटर एपलिकेशन में डिप्लोमाधारक थे, लेकिन अब जेल से वे राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन और बौद्धिक परिसंपत्ति कानून जैसे तीन विषयों में मास्टर डिग्रियां हासिल कर लौटे हैं। 

बशीर ने न्यूजक्लिक से कहा, “जेल में मैं अपना ज्यादतर समय पढ़ाई में लगाता था। मैं मुतमईन था कि एक दिन मेरी बेगुनाही साबित हो ही जाएगी और मैं जेल से रिहा कर दिया जाऊंगा।” 

अब बशीर पहले से एक अलहदा हैसियत वाले कश्मीर में लौटे हैं, उन्होंने कहा, “फ्लाईओवर बने गए हैं, काफी मार्केट खुल गए हैं, सड़कों पर आवाजाही बढ़ गई है तो उदासी के मंजर भी बढ़ गए हैं।”

बशीर ने कहा, जब से लौटे हैं, तब से उन्हें कश्मीर में “बेरोजगारी, खुदकुशी और हिंसा” के मामले में इजाफे की खबरें सुनने को मिल रही हैं।

बशीर ने यह भी कहा कि वे अपने वकील जावेद खान के बहुत शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने उनके कैद में रहने के दौरान काफी मदद की थी। बशीर ने याद करते हुए हमें बताया कि, “जब उन्हें मेरे मामले के बारे में मालूमात हुआ और मेरे परिवार के खस्ता हालात को देखा-जाना तो उन्होंने अपनी फीस लेने से मना कर दिया।” 

हालांकि जावेद खान का बशीर की बेगुनाही पर अदालत की मुहर लगने के चंद रोज ही पहले का इंतकाल हो गया, और वे उन्हें रिहा होते नहीं देख सके। 

बशीर उन सैकड़ों कश्मीरियों में शामिल हैं, जो कश्मीर सहित देश की विभिन्न जेलों में पिछले तीन दशकों से कैद हैं। उनमें से कई लोग भारत के विभिन्न शहरों में बम विस्फोटों की साजिश करने तथा “आतंक” से संबंधित  गतिविधियों में हिस्सा लेने की दफाओं में गिरफ्तार किए गए हैं। बीते सालों में, इनमें से कई लोग देश की अदालत द्वारा बेगुनाह साबित हुए हैं और बाइज्जत बरी भी हुए हैं। 

बशीर की अम्मी मोख्त ने न्यूजक्लिक से कहा कि वे अपने बेटे की रिहाई के लिए रोज दुआ करती थीं। “उनकी गिरफ्तारी से बाद से हमारे परिवार ने बहुत दुख झेला है। मेरे शौहर को पेट के कैंसर का निदान हुआ और घर में दो-दो बेटियां अनब्याही थीं। हमारी शिकस्ती को सिर्फ अल्लाह ही जानते हैं।”

अब बशीर की दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और उनका भाई नाज़िर अहमद अपने परिवार की सहायता के लिए सेल्समैन का काम करते हैं। उनकी शादी अभी नहीं हुई है। 

नाज़िर ने कहा, “मेरे अब्बा के इंतकाल के बाद सब कुछ बदल गया है। ….मुझे बस अपने भाई की रिहाई का इंतजार था। मैं जानता था कि वे बेगुनाह हैं और एक रोज उनकी रिहाई हो जाएगी, इसको लेकर अल्लाह की रहमत पर हमारा पुख्ता यकीन था।” 

अब अपने भाई के लौट आने के बाद वे दोनों एक साथ ही शादी की योजना बना रहे हैं। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Kashmir: UAPA Charges Cleared, Man Returns after 12 Years in Gujarat Jail

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest