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केरल: 915 दिनों बाद भी BEML वर्कर्स का प्रदर्शन जारी, केंद्र सरकार पर चुप्पी साधने का आरोप

CITU और जॉइंट एक्शन काउंसिल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह देश के सामरिक विकास के लिए आवश्यक संगठन का निजीकरण करने का प्रयास कर रही है।
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पलक्कड़ में BEML कर्मचारियों का कैंडल मार्च

निजीकरण के खिलाफ पलक्कड़ में BEML (पूर्व में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) वर्कर्स के संघर्ष को 915 दिन पूरे हो गए हैं।

स्ट्रेटेजिक सेक्टर का प्रमुख संगठन BEML, रक्षा और घरेलू उद्देश्यों के लिए सेना के वाहनों, मेट्रो कोच और खनन वाहनों के निर्माण के लिए जाना जाता है।

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 56,000 करोड़ रुपये की 'मिनी रत्न कंपनी' को 2,000 करोड़ रुपये से कम कीमत पर बेचने की कोशिश की है।

जॉइंट एक्शन काउंसिल के तहत ट्रेड यूनियनों ने 6 जनवरी, 2021 से मानव श्रृंखला, कैंडल मार्च विरोध प्रदर्शन और धरने आयोजित किए हैं।

"राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ निर्णय"

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 3 जनवरी, 2021 को एक संसदीय सूचना ज्ञापन के माध्यम से अपनी 54.03% इक्विटी शेयर पूंजी का 26% विनिवेश करने के निर्णय की घोषणा की थी।

घोषणा के बाद से कंपनी की चार इकाइयों - कांजीकोड (केरल), कोलार गोल्ड फील्ड (कर्नाटक), मैसूरु (कर्नाटक) और बेंगलुरु (कर्नाटक) - के कर्मचारियों ने इस निर्णय का विरोध किया है।

नियमित और संविदा कर्मचारियों समेत लगभग 2,000 कर्मचारी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में काम करते हैं।

जॉइंट एक्शन काउंसिल के संयोजक और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (CITU) की राज्य समिति के सदस्य एसबी राजू ने न्यूज़क्लिक को बताया, "BEML देश की रक्षा, घरेलू रेल परिवहन प्रणाली और खनन उद्योग समेत अन्य प्रमुख क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। हमारा विरोध राष्ट्रीय हित को उजागर करता है लेकिन दुर्भाग्य से सरकार पिछले 36 महीनों से मौन है।"

ए.के. बालन, पूर्व मंत्री और सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्‍य बीईएमएल (BEML) के निजीकरण के विरूद्ध हस्‍ताक्षर अभियान का नेतृत्‍व करते हुए।

बीईएमएल की स्‍थाना 1964 में हुई। यह सेना के लिए स्‍वचालित वाहन, मिसाईल और रॉकेट लाँचर, सेना की आवश्‍यकता और प्राकृतिक आपदा के समय अस्‍थायी पुल निर्माण, लोहे और कोयले की खदान के लिए उपकरण आदि बनाने के लिए मशहूर है।

राजू ने कहा, '’ बीईएमएल का अन्‍य महत्वपूर्ण कार्य मेट्रो ट्रेन के डिब्‍बे बनाना है और अब विदेशों से खरीद की तुलना में इसकी लागत आधी यानी 50% हो गई है। कई भारतीय और विदेशी बहुराष्‍ट्रीय कंपनियां इसकी क्षमता से ईर्ष्‍या करती हैं।'’

लाभकारी मिनी रत्‍न संगठन के निजीकरण की जल्‍दी में लिए गए फैसले के विरूद्ध लगातार‍ विरोध प्रदर्शन होता रहा है। राजू ने बताया कि निजीकरण के खिलाफ देश की सर्वोच्‍च सैन्‍य कमांडर यानी राष्‍ट्रपति को कर्मचारियों ने एक लाख हस्‍ताक्षर भेजे थे। सरकार अधिकारियों की सालाना समीक्षा करने की योजना बना रही है। कर्मचारियों का भविष्‍य दांव पर है।

राजू बताते हैं कि कर्मचारियों ने स्थायी आदेश जारी करने के प्रस्ताव को केंद्रीय श्रम आयुक्त के समक्ष चुनौती दी है जिसमें 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को रिटायर करने के लिए मजबूर करने का प्रस्‍ताव है। लघु सूचीबद्ध की गई कंपनियों का इस क्षेत्र में कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है।

'शॉर्टलिस्ट की गई कंपनियों का इस क्षेत्र में कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है'

बीईएमएल की विश्वसनीयता और दक्षता पर कभी सवाल नहीं उठाया गया, क्योंकि संगठन को देश के भीतर और बाहर से ऑर्डर मिलते रहे हैं। देश भर में प्रस्तावित कई मेट्रो रेल परियोजनाओं और रक्षा और खनन उद्योगों के लिए आवंटन में वृद्धि के साथ, बीईएमएल को अधिक ऑर्डर मिलेंगे।

राजू ने देश की विविध आवश्यकताओं के लिए बीईएमएल की तकनीकी श्रेष्ठता को देखते हुए निजीकरण कदम के पीछे के विचार पर ही सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, "विभिन्न वर्गों के लोगों ने इस तरह की कंपनी की आवश्यकता को समझने के बाद से संघर्ष को समर्थन दिया है। लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र सरकार चुप रही है।"

सीटू ने बीईएमएल के इक्विटी शेयर लेने के लिए 10 बोलीदाताओं में से चुनी गई दो कंपनियों की विश्वसनीयता और ट्रैक रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाया है।

राजू सवाल उठाते हुए कहते हैं, "एक कंपनी जहाजों और बड़े वाहनों को नष्ट करने के लिए जानी जाती है, जबकि दूसरी केवल नहरों और सड़कों का निर्माण करने में सक्षम है। क्या बीईएमएल जैसी कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए यही योग्यता आवश्यक है, जिसने पिछले कई दशकों से राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय भूमिका निभाई है?"

अंग्रेजी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Kerala: BEML Workers' Protest Crosses 915 Days, Union Govt Accused of Prolonged Silence

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