किसान मजदूर महापंचायत: केंद्र पर बरसे SKM नेता, आंदोलन जारी रहेगा, 23 को 'लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाने की अपील

किसान मजदूर महापंचायत में SKM नेता केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। कहा- अभी आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। SKM नेताओं ने 23 मार्च को गांव गांव 'लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाने की अपील करते हुए कहा कि 23 मार्च को देशभर में बड़ा कार्यक्रम होगा। जिसमें आगे की रणनीति तय करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि धनबल और बाहुबल के खतरे के खिलाफ 23 मार्च 2024 को देश के सभी गांवों में 'लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाओ। किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगते हुए किसानों से आह्वान किया कि भाजपा द्वारा लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को खीरी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करो और भाजपा राज में पनपे कॉरपोरेट- आपराधिक-भ्रष्ट गठजोड़ का पर्दाफाश करो।
खास है कि एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर हरियाणा पंजाब व यूपी सहित देश भर से किसान दिल्ली महापंचायत में जुटे। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित किसान मजदूर महापंचायत को लेकर दिल्ली पुलिस ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए थे लेकिन किसानों का जोश इतना हाई था कि किसान रात में ही रामलीला मैदान पहुंचना शुरू हो गए थे। यही नहीं, महापंचायत में हिस्सा लेने के लिए काफी संख्या में महिलाएं भी पहुंचीं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस पंचायत के जरिए सरकार को मैसेज दिया गया है कि हम सभी एक हैं। और यह आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। सरकार को बातचीत के जरिए हमारी मांगों को लेकर रास्ता निकालना चाहिए। अन्यथा किसान आर पार की लड़ाई के लिए लंबे आंदोलन को तैयार है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान शुभकरण सिंह की हत्या और किसान आंदोलन के खिलाफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगा और घटना की न्यायिक जांच और जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। इस दौरान एसकेएम नेताओं ने अपील करते हुए कहा कि धनबल और बाहुबल के खतरे के खिलाफ 23 मार्च 2024 को देश के सभी गांवों में 'लोकतंत्र बचाओ' दिवस मनाओ। भाजपा द्वारा लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को खीरी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करो और भाजपा राज में पनपे कॉरपोरेट-आपराधिक- भ्रष्ट गठजोड़ का पर्दाफाश करो।
सरकार के खिलाफ लड़ाई तेज करने का आह्वान
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को महापंचायत में आने से रोका जा रहा है। ट्रेन रोकी जा रही हैं। किसान संगठन जहां कमजोर है वहां सरकार मजबूत है। यहां किसानों को मजबूत करना है। यह सरकार अगर किसी पार्टी की होती तो किसान-मजदूरों की सुनती। यह पार्टी पूंजीवाद की पार्टी है।
राकेश टिकैत ने कहा कि जो किसानों के खिलाफ फैसला लेंगे उनके विरोध में किसान है। सरकार संयुक्त किसान यूनियन को तोड़ना चाहती है। सरकार सिख समाज को बदनाम कर रही है। लेकिन पूरा देश किसानों के साथ है।
VIDEO | Kisan Mahapanchayat: "A meeting was held here and the government got a message that the farmers of the country are united. The government should resolve the issue through talks, this agitation is not going to end," says Bhartiya Kisan Union leader Rakesh Tikait… pic.twitter.com/fStOxUBk0m
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2024
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि देश के नौ लोगों के पास 50 करोड़ लोगों जितना पैसा है। देश का किसान आज राम लीला मैदान में है। सरकार ने अगर किसानों की मांग नहीं मानी तो सरकार और किसानों की आर-पार की लड़ाई होगी।
महापंचायत में सुबह के समय उमड़ी भीड़:
Protesting #Farmers assembled in India’s capital Delhi on Thursday morning for a gathering called the ‘Kisan-Mazdoor Mahapanchayat’ organised by the umbrella body of farmers’ groups in India. #FarmersProtest2024 #KisanMahapanchayat pic.twitter.com/3L36knPTcp
— BBC News India (@BBCIndia) March 14, 2024
खास है कि इससे पूर्व भी किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है कि वे रामलीला मैदान में 'किसान मजदूर महापंचायत' आयोजित करेंगे, जहां सरकार की नीतियों के खिलाफ 'लड़ाई तेज करने' का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा महापंचायत में भारी संख्या में पहुंचने की अपील:
Why are farmers converging at Delhi's Ramlila Maidan tomorrow? #KisanMazdoorMahapanchayat pic.twitter.com/utMsncXoGX
— AIKS (@KisanSabha) March 13, 2024
'दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांग पूरी हो'
सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी की गारंटी दिए जाने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा एमएसपी तय किए करने और किसानों-मजदूरों का पूरा कर्ज माफ किए जाने के साथ किसानों ने 2021 के दिल्ली आंदोलन की लंबित मांगों को पूरा करने की मांग की। कहा कि पिछले दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांगें जैसे-लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो, अजय मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार किया जाए। आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए। सभी आरोपियों से उचित तरीके से निपटा जाए।
महापंचायत में उमड़ी भीड़ के दृश्य:
VIDEO | Kisan Mahapanchayat: Members of various farmer unions gather at Delhi's Ramlila Maidan.#FarmersProtest #KisanMahapanchayat
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/WuDwRg2X6B
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2024
बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो कि अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है। इसे निरस्त किया जाए। वहीं, दिल्ली मोर्चा समेत देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए। इसके साथ ही दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए। कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।
भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर किया जाए। कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए। विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें। मनरेगा के तहत हर साल 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए। मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपये प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए। कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास समेत सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करना और नकती और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द करना किसानों की मांगों में शामिल है।
अखिल भारतीय किसान सभा ने महापंचायत में जुटी भीड़ की तस्वीरें एक्स पर शेयर की हैं:
#KisanMazdoorMahapanchayat in Full Swing at Ramlila Maidans! pic.twitter.com/JGiXiXKJBb
— AIKS (@KisanSabha) March 14, 2024
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना। किसानों और 58 वर्ष से अधिक उम्र के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जानी चाहिए। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाए। तथा संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन हो, इस बार के विरोध प्रदर्शन में किसान ये भी मांग कर रहे हैं।
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