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किसान आंदोलन अपडेट: 11 प्रदर्शनकारी किसानों की मौत पर कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं।
किसान आंदोलन

कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 11 किसानों की मौत हो गई और इसके बाद भी केंद्र की भाजपा सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘कृषि क़ानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी?’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी खबर का उल्लेख करते हुए दावा किया, ‘‘पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।’’

उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘‘सरकार अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है - “राजधर्म” बड़ा है या “राजहठ”?’’ कांग्रेस के दोनों नेताओं ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, दिल्ली के निकट चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में बीमार होने के बाद 11 किसानों की मौत हो चुकी है।

गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि देश के कृषक पंजाब के किसानों के बराबर आय चाहते हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी आय बिहार के किसानों के बराबर करना चाहती है। उन्होंने विभिन्न प्रदेशों में प्रति किसान औसत आय से जुड़ा एक ग्राफ साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘किसान चाहता है कि उसकी आय पंजाब के किसान जितनी हो जाए। मोदी सरकार चाहती है कि देश के सब किसानों की आय बिहार के किसान जितनी हो जाए।’’

कांग्रेस नेता ने जो ग्राफ साझा किया उसके मुताबिक, पंजाब में प्रति किसान औसत आय 2,16,708 रुपये (वार्षिक) है जो देश में सबसे ज्यादा है। इस ग्राफ में यह भी दर्शाया गया है कि बिहार में प्रति किसान औसत आय 42,684 रुपये (वार्षिक) है जो देश के कई राज्यों के मुकाबले बहुत कम है।

दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ाए गए

केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने तथा जयपुर-दिल्ली एवं दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की घोषणा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने शनिवार को शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं। गौरतलब है कि कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते 16 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं जिनमें बहुस्तरीय अवरोधक लगाना और पुलिस बल को तैनात करना शामिल है। प्रदर्शन स्थलों पर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इस लिहाज से भी कुछ उपाय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली यातायात पुलिस ने महत्वपूर्ण सीमाओं पर अपने कर्मियों को तैनात किया है ताकि आने-जाने वाले लोगों को कोई परेशान नहीं हो। इसके अतिरिक्त ट्विटर के जरिए लोगों को खुले एवं बंद मार्गों की भी जानकारी दी जा रही है।

दरअसल किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन का सरकार का प्रस्ताव बुधवार को खारिज कर दिया था, इसके साथ ही जयपुर-दिल्ली तथा यमुना एक्सप्रेसवे को शनिवार को अवरुद्ध करके अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की थी। यातायात पुलिस ने शनिवार को यात्रियों को ट्वीट कर सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी और मंगेश सीमाओं के बंद होने की जानकारी दी। लोगों को लामपुर, सफियाबाद, साबोली और सिंघू स्कूल टोल टैक्स सीमाओं से आनेजाने की सलाह दी गई है।

यातायात पुलिस ने कहा कि मुकरबा और जीटीके रोड से मार्ग बदला गया है अत: लोगों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके रोड और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर जाने से बचना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया कि किसानों के प्रदर्शन के कारण नोएडा एवं गाजियाबाद से यातायात के लिए चिल्ला और गाजीपुर सीमाओं को बंद किया गया है अत: दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, अप्सरा एवं भोपरा सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। यातायात पुलिस ने ट्वीट करके बताया कि टिकरी और धानसा सीमाएं भी यातायात के लिए बंद हैं हालांकि झाटीकरा सीमा दो पहिया वाहनों एवं पैदल यात्रियों के लिए खुली है।

इसमें हरियाणा की ओर जाने वाले लोगों को झारोडा, दौराला, कापसहेड़ा, बडुसराय, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/बाजघेड़ा, पालम विमार और डूंडाहेड़ा सीमाओं से जाने को कहा गया है। किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा भी की थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो देशभर में रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जाएगा और इसके लिए जल्द तारीख घोषित की जाएगी। सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच पांच चरण की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद गत बुधवार प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता निरस्त कर दी गई थी।

अपने जन्मदिन पर युवराज सिंह ने किसानों के मसले का समाधान निकलने की उम्मीद जताई

भारत की विश्व कप 2011 जीत के नायक पूर्व हरफनमौला युवराज ने शनिवार को 39 साल के हो रहे हैं लेकिन अपना जन्मदिन मनाने की बजाय उन्होंने किसानों के मसलों का बातचीत के जरिये हल निकलने की उम्मीद जताई। युवराज ने लोगों से कोरोना वायरस महामारी के दौरान एहतियात बरतने की भी अपील की।

युवराज ने ट्विटर पर लिखा, ‘जन्मदिन कोई ख्वाहिश या इच्छा पूरी करने का मौका होता है लेकिन जन्मदिन मनाने की बजाय मैं प्रार्थना करता हूं कि हमारे किसानों और हमारी सरकार के बीच जारी बातचीत से इस मसले का कोई हल निकल आये।’’ उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि किसान भारत की जीवनरेखा हैं और मेरा मानना है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका शांतिपूर्ण संवाद से समाधान नहीं निकल सकता हो।’ युवराज ने अपने पिता योगराज सिंह के विवादास्पद बयानों से भी खुद को अलग कर लिया जो उन्होंने इस सप्ताह विरोध प्रदर्शन के दौरान दिये थे।

उन्होंने कहा, ‘एक गौरवान्वित भारतीय होने के नाते मैं योगराज सिंह के बयानों से दुखी और निराश हूं । मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है और मैं उनके विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता।’ युवराज ने कहा,‘मैं सभी से आग्रह करता हूं कि कोरोना वायरस महामारी के बीच पूरी सावधानी रखें । महामारी अभी गई नहीं है और हमें इसे हराने के लिये एहतियात बरतनी ही होगी।’ उन्होंने आखिर में लिखा,‘‘ जय जवान। जय किसान। जय हिंद।’’

पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान नये कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। उनका दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था खत्म होने से वे बड़े कारपोरेट समूहों के मोहताज हो जायेंगे। किसानों के समर्थन में खेल रत्न पुरस्कार विजेता मुक्केबाज और कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके विजेंदर सिंह ने राष्ट्रीय पुरस्कार वापिस करने की धमकी दी है।

सरकार अगर किसानों से बात करना चाहती है तो औपचारिक न्यौता भेजे: भाकियू नेता राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है, तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि नये कृषि कानूनों को खत्म किए जाने से कम, कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा। सरकार ने बृहस्पतिवार को किसान संगठनों से, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के उसके प्रस्तावों पर गौर करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब भी किसान संगठन चाहें, वह उनके साथ इसपर चर्चा के लिए तैयार है।

टिकैत ने कहा, ‘उसे (सरकार को) पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह कब और कहां हमारे साथ बैठक करना चाहती है, जैसा कि उसने पिछली वार्ताओं के लिए किया। यदि वह हमें वार्ता का न्यौता देती है तो हम अपनी समन्वय समिति में उसपर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे।’

भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करती है तबतक घर लौटने का सवाल ही नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने आगे की चर्चा के लिए न्यौता भेजा है तो उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को ऐसा कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘एक बात बहुत स्पष्ट है कि किसान नये कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे।’

हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आशा जतायी कि शीघ्र ही हल निकल आएगा। उन्होंने केंद्रीय खाद्य एवं रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ और चर्चा करने के लिए तैयार है, हमने किसान संगठनों को अपने प्रस्ताव भेजा हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे यथासंभव चर्चा के लिए तारीख तय करने की अपील करना चाहता हूं। यदि उनका कोई मुद्दा है तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है।’

कृषि मंत्री ने कहा कि जब वार्ता जारी है तब किसान संगठनों के लिए आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है, उनकी उनसे वार्ता की मेज पर लौट आने की अपील है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति ने तोमर की उनके बयान को लेकर आलोचना की और दावा किया कि सरकार ही है, जो कानूनों को वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है।

बता दें कि  केन्द्र और किसानों के प्रतिनिधियों, प्रदर्शन में विशेष रूप से शामिल हरियाणा पंजाब के किसानों के नेताओं, के बीच कम से कम पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध अभी भी जारी है। राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर दो सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे किसान केन्द्र के नये कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार को होनी थी, लेकिन वह रद्द हो गई।

सिंघू बॉर्डर पर लगा कूड़े का अंबार,   किसानों ने कहा- ज्यादातर सफाई खुद ही कर रहे

दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर बीते 15 दिन से बड़ी संख्या में किसान कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जहां अब कूड़े का अंबार लग गया है। कई किसानों की शिकायत है कि उन्हें प्रदर्शन स्थल की साफ-सफाई के लिये प्रशासन की ओर से बहुत कम मदद मिल रही है। कागज और प्लास्टिक के गिलासों के ढेर, बोतलें, फलों के छिलके, खाना बनाने से होने वाला कूड़ा, गंदे शौचालय और ठहरा हुआ पानी बदूब पैदा कर रहे हैं, जिससे प्रदर्शन स्थल की हालत बदतर हो गई है।

पच्चीस नवंबर से यहां डटे करनाल के एक किसान ने कहा, 'नगर निगम के कर्मचारी एक बार ही साफ-सफाई के लिये आते हैं। सफाई के अधिकतर प्रयास किसानों को ही करने पड़ रहे हैं।' दिल्ली और हरियाणा दोनों ओर नगर निगमों के कर्मचारी प्रदर्शन स्थल पर साफ-सफाई करते देखे जा सकते हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि बड़ी तादाद में लोगों के जमा होने के चलते यहां सफाई रखने के लिये इतना काफी नहीं हैं।

पंजाब के रामगढ़ के निवासी प्रदर्शनकारी गुरविंदर सिंह ने कहा, 'कई दिनों से शौचालयों की सफाई नहीं हुई है। सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही।' तीस नवंबर से सीमा पर प्रदर्शन कर रहे सिंह ने कहा कि थोड़ी बहुत जो सफाई हो रही है, वह सफाई पसंद किसानों की वजह से हो रही है, जो खुद ही अपने आसपास की सफाई कर रहे हैं।

प्रदर्शन स्थल पर दिल्ली सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल शौचालय किसानों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं दिखते, यही वजह है कि मजबूरी में उन्हें खुल स्थान पर पेशाब करना रहा है। पंजाब के फिरोजपुर के किसान भजन सिंह ने कहा कि यहां किसान अधिक हैं और उनके अनुपात में शौचालय कम। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि खुले में पेशाब करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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