दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

देश के मुसलमानों, गरीबों, दलितों पर चल रहे सरकारी बुलडोज़र और सरकार की तानाशाही के खिलाफ राजधानी दिल्ली में तमाम वाम दलों के साथ-साथ युवाओं, महिलाओं, और संघर्षशील संगठनों ने उपराज्यपराल अनिल बैजल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
सभी प्रदर्शनकारी कश्मीरी गेट पर तिकोना पार्क के पास इकट्ठा हुए और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते हुए उपराज्यपाल के घर की ओर बढ़े। इस दौरान तानाशाही से आज़ादी, बंद करो बुलडोज़र की राजनीति, अभी तो बस अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल के खिलाफ नारे लगे।
इस प्रदर्शन में सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई-एमएल, एआईएफबी, एडवा, आईसा, आआईएसएफ, एसएफआई, सीएसडब्ल्यू, डीटीएफ, डीवाईएफआई समेत कई संगठन शामिल हुए।
इन सभी संगठनों ने मोदी सरकार पर देश में लगातार बढ़ रही बेरोज़गारी, लचर होती स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा की बदहाली, और महंगाई के मुद्दों को पीछे छोड़ देश में नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया। इस दौरान प्रदर्शन में पहुंची पूर्व राज्यसभा सांसद और सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने लोगों को संबोधित किया। वृंदा करात ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ देश में नफरत की राजनीति कर रही है। देश में जो मुद्दे सुलझाए जाने चाहिए उन्हें दरकिनार कर सिर्फ एक तबके को परेशान किया जा रहा है। वृंदा करात ने कहा कि ये सिर्फ नारे लगाने, और भाषण देने का वक्त नहीं है, बल्कि संघर्ष करने का समय है, अपने-अपने हकों के लिए लड़ने का वक्त है। ये वक्त है सरकार के खिलाफ डटकर खड़े होने का। वृंदा करात ने कहा कि सरकार का सरकारी बुलडोज़र सिर्फ चुनिंदा लोगों के घरों और दुकानों पर चलता है। राजधानी के अंदर एक तबके को टारगेट कर उनके घर और दुकाने तोड़ी जा रही हैं। उन्होंने शाहीन बाद के लोगों की तारीफ की और कहा कि शाहीन बाग के लोगों से सीखना चाहिए, सरकार का बेलगाम बुलडोज़र अपनी मनमानी करने आया तब वहां के लोग इकट्ठा हुए और सरकार को झुकना पड़ा।
वृंदा करात ने कहा कि सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि इस सरकार की नज़र दलितों, गरीबों और मज़लूमों पर है, फिर चाहे वो अमीर हो या फिर ग़रीब। वृंदा करात के भाषण के बाद लोगों के नारे और ज्यादा बुलंद हुए।
लोगों ने पुलिस की बेरिकेटिंग हटाकर उपराज्यपाल के घर पहुंचने की कोशिश की लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को दूर ही रोक दिया, हांलाकि प्रदर्शनकारियों ने समझदारी का परिचय देते हुए और किसी तरह का कोई उन्माद न फैले, इसके लिए बैरिकेडिंग के पास बैठकर ही घंटो तक प्रदर्शन किया।
न्यूज़क्लिक ने जब अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राज्य अध्यक्ष मैमूना मौल्ला से सरकारी बुलडोज़र की बेलगामी पर सवाल किए, तो उन्होंने कहा कि सरकार का मंसूबा साफ है कि अतिक्रमण के नाम पर ग़रीबों, दलितों और मुसलमानों को टारगेट किया जाए। मैमूना ने कहा कि सरकार के टारगेट पर सिर्फ मुस्लिम बस्तियां हैं, हालांकि ये कुछ ऐसे भी इलाकों में बुलडोज़र लेकर पहुंचते हैं जहा हिन्दू रहते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश वहां भी गरीब ही होते हैं। मैमूना ने कहा कि ये सरकार दरअसल बुलडोज़र के ज़रिए ये मैसेज़ देना चाहती है कि जब चाहे कुछ भी कर सकती है। मैमूना ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में बढ़ रही बेरोज़गारी, महंगाई और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर काम करने के अलावा गरीबों के घऱों को तोड़ा जा रहा है। यही कारण है कि आज वाम दलों के साथ-साथ छात्रों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज़ा बुलंद करने का फैसला किया है।
प्रदर्शन में सीआईटीयू के भी तमाम सदस्य पहुंचे, जिन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, उपराज्यपाल अनिल बैजल, और भाजपा के बुलडोज़र के खिलाफ नारे लगाए। इस दौरान न्यूज़क्लिक ने सीआईटीयू के राज्य सचिव सिद्देश्वर शुक्ला से बात की। सिद्धेश्वर शुक्ला ने सरकार की इस बुलडोज़र की राजनीतिक को नफरत की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को नफरत की राजनीति बंद कर देश के विकास की ओर ध्यान चाहिए।
सीपीआई-एमएल के राज्य सचिव रवि राय से जब न्यूज़क्लिक ने बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता सिर्फ एक चिट्ठी लिखते हैं और बुलडोज़र गरीबों का मकान तोड़ना शुरू कर देता है। उन्होंने कहा कि जब सरकारी बुलडोज़र जहांगीरपुरी पहुंचा तब सरकारी नुमाइंदों के पास कोई काग़ज नहीं था। हालांकि जिनकी दुकानों और घर तोड़े जा रहे थे, उन्होंने बकायदा पर्चियां दिखाईं, जिसके ज़रिए एमसीडी को पैसे जाते हैं, इसके बावजूद गरीबों पर दया नहीं की गई। और दुकानें मकान बुलडोज़ कर दिए गए।
इस प्रदर्शन में वो महिलाएं भी शामिल हुईं जिनका जामियानगर धोबीघाट में घर तोड़ दिया गया था। जब न्यूज़क्लिक ने महिलाओं से उनके घर तोड़े जाने के बारे में सवाल किए तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। महिलाओं का कहना था कि बिना उनसे पूछे अचानक से उनका समान बाहर फेंक दिया गया, और उनके घरों को बुलडोज़ कर दिया गया। महिलाओं का कहना था कि घर टूटने के कारण भीषण गर्मी में वो पन्नियां तानकर रहने को मजबूर हैं।
इस प्रदर्शन के ज़रिए युवाओं, महिलाओं और शिक्षकों ने मोदी सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल को चेतावनी दी कि अगर गरीबों के खिलाफ ये अत्याचारी और अतिक्रमण के नाम पर उनका घर उजाड़ने का काम बंद नहीं हुआ तो ये प्रदर्शन आंदोलन में तब्दील होगा।
आपको बता दें कि इस प्रदर्शन में लोगों ने देश से जुड़े अन्य मुद्दों, जैसे, बेरोज़गारी, महंगाई, स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए।
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