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एलयू: रोहित वेमुला को श्रद्धांजलि देने जा रहे छात्रों पर एबीवीपी छात्रों के हमले का आरोप, कई छात्र घायल

लखनऊ विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने जा रहे आइसा और एनएसयूआई के छात्रों पर दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित छात्र आक्रामक हो गए। इस दौरान दोनों संगठनों के कई छात्र घायल हो गए।
Rohit

रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर आज यानी 17 जनवरी को होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इजाज़त नहीं दी थी जिसके बाद आज सुबह ऑल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन (आइसा) और नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने विश्वविद्यालय परिसर में एक मार्च निकलने का फ़ैसला लिया।

आज सुबह जब इन दोनों छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने अपने हाथों में रोहित वेमुला की तस्वीरें लेकर परिसर में निकले तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनको रोकने का प्रयास किया लेकिन उसी समय छात्रों का एक और गुट भी वहां आ गया।

छात्रों का ये गुट रोहित वेमुला को श्रद्धांजलि देने जा रहे छात्र संगठनों आइसा और एनएसयूआई का विरोध करने लगा। इस बीच रोहित वेमुला की श्रद्धांजलि का विरोध कर रहे छात्र आक्रामक हो गए। इन छात्रों ने आइसा और एनएसयूआई के बैनर, पोस्टर भी फाड़ दिए और डॉ. अम्बेडकर को अर्पित की जाने वाली फूल-मालाएं भी छीन लीं।

आइसा और एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि आक्रामक छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के थे। दोनों संगठनों का आरोप है कि उनके मार्च का विरोध करने के लिए बहार से भी लोग विश्वविद्यालय परिसर में आए थे जिन्होंने रोहित वेमुला की याद में मार्च निकल रहे छात्र संगठनों के साथ आक्रामकता की और हिंसा का प्रयास किया। इसमें आइसा और एनएसयूआई के नेताओं अंजली, निखिल और विशाल आदि के चोटें आई हैं।

इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी और कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी भी मौक़े पर मौजूद थे लेकिन वे रोहित वेमुला पुण्यतिथि पर निकल रहे मार्च का विरोध करने छात्रों को रोक नहीं सके।

आरोप है कि इन अधिकारियों के सामने ही विश्वविद्यालय परिसर में धार्मिक नारे भी लगाए गए। जब स्थिति क़ाबू के बहार होने लगी तो विश्वविद्यालय परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल पहुंच गई। स्थानीय पुलिस के आने के बाद दोनों पक्षों को अलग किया जा सका लेकिन दोनों तरफ़ धरना शुरू हो गया। कई घंटों तक ज़िला प्रशासन भी छात्रों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने। दोनों तरफ़ से डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर जाने की मांग होने लगी। आख़िर में ज़िला प्रशासन ने दोनों पक्षों को अलग-अलग रास्ते से डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर ले जाने का वादा कर के प्रदर्शन ख़त्म कराया। वहीं आइसा और एनएसयूआई ने कुलानुशासक प्रो़ राकेश द्विवेदी पर दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित होने का आरोप लगाया।

इन छात्र संगठनों के नेताओं का कहना था कि अगर विश्वविद्यालय परिसर में पहचान पत्र देखे जाते हैं तो बाहरी छात्र आ कर हंगामा नहीं कर सकते थे। रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि का विरोध करने वाले छात्रों से जब न्यूज़क्लिक ने बात कि तो उन्होंने किसी भी छात्र संगठन से संबद्ध होने से इंकार कर दिया। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वह दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित हैं।

जब आइसा और एनएसयूआई का मार्च डॉ़ अम्बेडकर की प्रतिमा के पास पहुंचा तो वहां की रोहित वेमुला की श्रद्धांजलि सभा हुई। छात्र नेताओं ने कहा की भारतीय समाज की कड़ावी सच्चाई "जाति" ने एक होनहार युवा (रोहित वेमुला) जोकि विज्ञान का लेखक बनना चाहता था उसको मौत के मुंह में धकेल दिया। उन्होंने ने रोहित की मौत मामले में भाजपा नेता स्मृति ईरानी, हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन प्रशासन की सांठ-गांठ का आरोप लगाया।

इसके बाद रोहित वेमुला की श्रद्धांजलि देने का विरोध करने वाले छात्रों का गुट डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा के पास पहुंचा जहाँ उन्होंने संविधान निर्माता की प्रतिमा पर “जय श्री राम” के नारे लगाए। जब न्यूज़क्लिक ने एक छात्र अमन दुबे से बात की तो उसने अपने विरोध का कारण बताते हुए कहा, रोहित वेमुला को श्रद्धांजलि देने वाले “ब्राह्मण” विरोधी हैं और जातिवादी हैं। उसका कहना है कि आइसा और एनएसयूआई रोहित वेमुला को “शहीद” मानते हैं, जिसको स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

आइसा नेता अंजलि ने न्यूज़क्लिक से कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद पुलिस एवं प्रोक्टोरियल टीम का मूकदर्शक बने रहकर आक्रामक हुए छात्रों पर कोई कार्रवाई नहीं करना भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया आइसा और एनएसयूआई से आक्रामकता करने वाले छात्रों का संबद्ध एबीवीपी से था।

अंजलि कहती हैं विश्वविद्यालय प्रशासन का यह असंवेदनशील रवैया अकादमिक संस्थानों में गहरे व्याप्त जातिवादी आग्रहों की पोल खोलता है और ब्राह्मणवादी सोच को उजागर करता है।

छात्र नेता समर शिखर कहते हैं “आइसा इस हमले की और विश्वविद्यालय प्रशासन के इस हमले में परोक्ष सहयोग की कड़ी निंदा करता है।” एनएसयूआई नेता विशाल ने आरोप लगाया की आक्रामक छात्रों ने उन पर हमला किया और उनकी जैकेट फाड़ दिए और पैरों पर मारा। वह कहते हैं चाहे कितनी भी कोशिश हो लेकिन नाइंसाफी के विरुद्ध प्रदर्शन होते रहेंगे। आज रोहित वेमुला की घटना को सात साल हो गए हैं और इसी मौक़े पर रोहित और उनके संघर्षों को याद करने तथा अकादमिक संस्थानों समेत हमारे समाज में व्याप्त जातिवादी शोषण, भेदभाव की ख़िलाफ़त के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में आइसा ने एक मार्च और सभा का आयोजन किया था।

बता दें कि रोहित वेमुला की सातवीं पुण्यतिथि पर आइसा और एनएसयूआई ने एक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया था लेकिन इससे पहले ही 16 जनवरी को ऑल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन (आइसा) के छात्र नेताओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा दिया। कार्यक्रम में दलित चिन्तक प्रो. रविकांत चंदन को मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होना था।

उल्लेखनीय है कि एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर बहस के दौरान उनके द्वारा की गई एक टिप्पणी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 10 मई 2022 को प्रोफेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा दिया था।

ज्ञात हो कि रोहित वेमुला हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र थे। दलित छात्र 26 वर्षीय रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को यूनिवर्सिटी के होस्टल के एक कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी आत्महत्या को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय को छात्र संगठन और प्रगतिशील विचारक दोषी मानते रहे हैं। वह विश्वविद्यालय परिसर में दलित छात्रों के अधिकार और न्याय के लिए भी लड़ते रहे थे। वह यूनिवर्सिटी में अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। उनकी आत्महत्या का मामला लंबे वक़्त तक सुर्खियों में रहा था। पुलिस या विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक इस मामले में कोई करवाई नहीं की गई है।

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