Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

लखनऊ: अतंर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज बना आवारा कुत्तों की नसबंदी का अड्डा

राजधानी लखनऊ में बने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज को इन दिनों आवारा कुत्तों की नसबंदी का केंद्र बना दिया गया है, जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
लखनऊ: अतंर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज बना आवारा कुत्तों की नसबंदी का अड्डा

बॉलीवुड की फिल्मों में कभी-कभी एक हास्यास्पद दृश्य के लिए ऐसा माहौल बनाया जाता है, जिसमें कलाकार फ्रिज में अपने कपड़े रखता है, अलमारी में किचन का सामान रखता है और किचन को वॉशरूम की तरह इस्तेमाल करता है।

कुछ ऐसा ही कारनामा इन दिनों उत्तर प्रदेश सरकार और नगर निगम मिलकर कर रहे हैं। यहां उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग रेंज में शहर के आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। ऐसा भी नहीं कि ये सब चोरी छिपे चल रहा हो, बकायदा काबिल डॉक्टरों की देखरेख में इस शूटिंग रेंज़ को आवारा कुत्तों को नियंत्रण करने का केंद्र बना दिया गया है।

पत्रिका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम प्रबंधक यतेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि, लखनऊ में आवारा कुत्तों की आबादी लगातार बढ़ रही है। हमें भवन की ज़रूरत थी तो शूटिंग रेंज के भवन को हमने अपना नया ठिकाना बना लिया। और दूसरा श्वान प्रजनन नियंत्रण केंद्र बनाया। उन्होंने बताया कि ये ऑपरेशन 11 अप्रैल से शुरू किया गया है। दिन में आठ कुत्तों का ऑपरेशन किया जाता है। यहां पर पशु चिकित्सा, एक प्रबंधक और 6 स्टाफ उपलब्ध है। भविष्य में इसको और बढ़ाया जाएगा। इस कार्य में एच.एस.आई संस्था सहयोग कर रही है।

पैर की जगह हाथों से चलने की कोशिश में लगे उत्तर प्रदेश नगर निगम के प्रबंधक का आत्मविश्वास भी गज़ब है, माने, एक तो बड़ी मुश्किल से प्रदेश के भीतर युवाओं की प्रोन्नति के लिए कोई प्रबंध किया गया है, उसपर भी वहां युवाओं को आने के लिए प्रोत्साहित करने की जगह कुत्ते पकड़-पकड़ कर लाए जा रहे हैं। अब ये किसी तरह से वैध तो नज़र नहीं आता, और अगर अवैध है तो सरकार की देख-रेख में चल रहा है। हालांकि इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की गंभीरता को समझते हुए संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार से 13 मई तक जवाब मांगा है। ये आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने रचित टंडन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।

याचिका में कहा गया है कि नादरगंज क्षेत्र के हरियान खेड़ा गांव में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज स्थापित करने के लिए 14 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। मगर, इसके पश्चात शूटिंग रेंज को पूरा कर क्रियान्वयन में लाने के लिए जितनी निधि की आवश्यकता थी, वह राज्य सरकार ने आवंटित नहीं की। यह भी दलील दी गई कि वाराणसी और मेरठ के शूटिंग रेंज के लिए स्पोर्ट बजट से निधि का आवंटन किया जा चुका है। मगर, लखनऊ के लिए नहीं किया जा रहा है। कहा गया कि नोएडा में भी 13.97 करोड़ रुपए के बजट से एक शूटिंग रेंज स्थापित किया जा चुका है। याची ने आरोप लगाया कि जहां शूटिंग रेंज होना चाहिए और जिसके लिए अभी तक 14 करेाड़ खर्च किए जा चुके हैं, वहां कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता को पूरे मामले में निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए 13 मई को उसके सामने स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

करीब 35 एकड़ में फैले और 14 करोड़ रुपये लागत से बने शूटिंग रेंज में विश्व स्तरीय निशानेबाज तैयार करने की योजना थी। मगर आजकल यहां निशानेबाज नहीं कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। नगर निगम को पूरे लखनऊ में कोई जगह नहीं मिलने पर विश्वस्तरीय शूटिंग रेंज को कुत्तों की नसबंदी का अपना नया अड्डा बना दिया। शूटिंग रेंज की बदहाली को देखने वाला इस वक्त कोई नहीं है। आपको बता दें कि राजधानी के सरोजनी नगर के नादरगंज में विश्व स्तरीय शूटिंग रेंज को साल 2008 में बनाया गया। मशहूर निशानेबाज राज्यवर्धन राठौर की देखरेख में इसका निर्माण हुआ। यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, इसमें अब तक 14 करोड़ रुपये खर्च हो गए हैं। और अभी और सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। शूटिंग रेंज में एटीएस कर्मचारी नियमित प्रैक्टिस करते हैं। यहां पिस्टल, राइफल डबल ट्रैप और एयर राइफल शूटिंग की जाती है।

न्यूज़क्लिक ने जब नगर निगम की इस हरकत को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज़ गांधी से बात की, तो उन्होंने इस बात को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जो जगह जिस चीज़ के लिए बनी है उसे उसी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। जहां तक कुत्तों की नसबंदी का सवाल है तो सरकार को किसी अस्पताल या फिर दूसरी जगह का प्रबंध करना चाहिए। बाकी अब्दुल हफीज़ गांधी ने इस विषय में कहा कि सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

13 मई को राज्य सरकार इस पर क्या जवाब देती है, ये इंतज़ार का विषय है लेकिन इतना ज़रूर है, युवाओं के लिए बनाए गए शूटिंग रेंज को आवारा कुत्तों की नसबंदी के इस्तेमाल करना कहीं न कहीं सरकार और नगर निगम की ओर से लापरवाही का सुबूत ज़रूर देती है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest