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पिछले साल 2.4 अरब लोगों को लगातार भोजन नहीं मिला : संरा

संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों ने ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट 2023 में कहा कि 2021 और 2022 के बीच विश्व में भूखे लोगों की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं हुआ लेकिन बहुत सी जगहों पर लोगों को गंभीर रूप से खाद्य संकट का सामना करना पड़ा।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

संयुक्त राष्ट्र (संरा) ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर एक चिंताजनक रिपोर्ट में बुधवार को कहा कि पिछले साल 2.4 अरब लोगों को लगातार भोजन की प्राप्ति नहीं हुई और कम से कम 78.3 करोड़ लोगों को भूख से जूझना पड़ा। वैश्विक संस्था ने बताया कि इस वजह से 14.8 करोड़ बच्चों का विकास भी अवरुद्ध हुआ।

संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों ने ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट 2023 में कहा कि 2021 और 2022 के बीच विश्व में भूखे लोगों की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं हुआ लेकिन बहुत सी जगहों पर लोगों को गंभीर रूप से खाद्य संकट का सामना करना पड़ा।

रिपोर्ट में पश्चिमी एशिया, कैरिबियाई देश और अफ्रीका को चिन्हित किया गया, जहां 20 फीसदी आबादी को भूख से जूझना पड़ा और यह वैश्विक औसत से दोगुना से भी ज्यादा है।

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक क्यू डोन्गयी ने कहा, ''वैश्विक महामारी से पहले के हालात में लौटने की गति असमान रही है और यूक्रेन में युद्ध ने पोषक तत्वों से संपन्न भोजन और स्वस्थ आहार को प्रभावित किया है।'' उन्होंने कहा, ''यह नयी सामान्य स्थिति है, जहां जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और आर्थिक अस्थिरता हाशिए पर रहने वाले लोगों को सुरक्षा से और दूर धकेल रही है।''

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में लोगों की स्वस्थ आहार तक पहुंच की स्थिति खराब हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक आबादी का 42 फीसदी हिस्सा यानि 3.1 अरब से ज्यादा लोग 2021 में स्वस्थ आहार तक नहीं जुटा सके थे, जिसमें 2019 के मुकाबले 13.4 करोड़ लोगों की वृद्धि दर्ज की गई थी।

एफएओ के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो ने रिपोर्ट पेश करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अस्वस्थ आहार खाने वाले लोगों की संख्या में कमी लाना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इससे हमें यह मालूम हो रहा है कि हमें कृषि क्षेत्र और कृषि-खाद्य प्रणाली में अपने संसाधनों के इस्तेमाल में काफी बदलाव करना होगा।

हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि 2022 में 69.1 करोड़ से 78.3 करोड़ लोग लंबे समय से कुपोषित थे, जो कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से पहले 2019 के मुकाबले 12.2 करोड़ ज्यादा थे।

(समाचार एजेंसी भाषा/एपी इनपुट के साथ)

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