लॉकडाउन : दिल्ली सरकार के दावों के विपरीत मज़दूरों को नहीं मिल रहा राशन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक अप्रैल को घोषणा कर के कहा कि दिल्ली में उन सभी लोगों को राशन दिया जाएगा, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। इसके लिए उन्होंने लोगों से दिल्ली सरकार की ई-डिस्ट्रिक्ट वेबसाइट पर राशन कार्ड के लिए आवेदन करने का अनुरोध किया। इस घोषणा के बाद से ही लोगों ने सवाल खड़े किये थे कि इस लॉकडाउन के दौर में मज़दूर कैसे ऑनलाइन अप्लाई करेंगे। जिसकी आशंका जताई जा रही थी, अब घोषणा के दस दिन बाद वही हो रहा है।
सरकार भले ही यह दवा कर ले कि वो लाखों लोगों को राशन देगी लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि मज़दूर राशन पाने के लिए भटक रहा है और उसे राशन नहीं मिल रहा है। इस वजह से कई लोगों के सामने दो वक़्त के भोजन का भी संकट आ गया है। आप सरकार के दावों का इस से ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ऑनलाइन साईट जहाँ रजिस्ट्रेशन होना है वो पिछले कई दिनों से काम नहीं कर रही है। सरकार की ई-डिस्ट्रिक्ट वेबसाइट दो दिन में ही दम तोड़ती दिखी जिसके बाद सरकार ने एक अन्य पोर्टल https://ration.jantasamvad.org/ration/ को चालू किया। लेकिन लोगो का कहना है कि ये भी अब काम नहीं कर रहा है।
"मै पिछले दस दिनों से अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए परेशान हूँ लेकिन अबतक नहीं बन पाया है। अब मेरे पास राशन ख़त्म हो गया है। कुछ पड़ोसी और अन्य लोगों ने मदद की है तब जाकर मैं और मेरा परिवार खाना खा रहे हैं।
ये कहना था राजेश का जोकि दिल्ली में सिलाई का काम करते थे लेकिन इस लॉकडाउन में उनका काम पूरी तरह से बंद पड़ गया है। मालिक ने भी किसी तरह की मदद नहीं की है। जब से दिल्ली सरकार ने घोषणा तबसे ही ये लगतार कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कार्ड बन नहीं पा रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने हमें एक स्लिप दिखाई जो उन्होंने काफ़ी समय पहले राशन कार्ड के लिए ऑफ़लाइन फार्म भरा था लेकिन अभीतक उसका जवाब भी नहीं आया है।
राजेश कहते है कि "मेरे पास अपना परिवार है पिछले एक महीने से किसी भी तरह की कमाई नहीं हुई है। जो पैसे थे सब खत्म हो गए हैं। कोई दुकानदार उधार देने के लिए तैयार नहीं है। आप ही बताओ मैं अपना परिवार कैसे पालूं। हालत ऐसे हो गई है कि कभी मन करता है सबकुछ छोड़कर कहीं चला जाऊँ।
ये किसी एक राजेश की बात नहीं है। दिल्ली में ऐसे लोगों की संख्या हज़ारों में है जो लोग राशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। ऐसे ही चांदबाग की परवीन हैं ,जिन्होंने बतया, "उन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रशन तो कर दिया लेकिन राशन का कूपन नहीं मिला। जिस कारण हमे राशन नहीं मिल पा रहा है।"
निर्माण मज़दूर मुकेश यादव ने भी अपने परिवार के राशन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी किसी तरह का कोई कूपन नहीं आया है।
खजूरी में रहने वाले अरफ़्ता के मुताबिक़, "पिछले पांच दिन से ऑनलाइन पोर्टल चल ही नहीं रहा है। जिससे कोई भी ज़रूरत मंद आदमी फार्म भर ही नहीं पा रहे हैं। इसके साथ ही जिनका फार्म भरा जा चूका है उनका क्या स्ट्टेस है इसकी जानकारी भी नहीं मिल रही है।"
इसकी जाँच हमने भी और दिल्ली सरकार के उस लिंक पे क्लिक किया तो लिखा आ रहा था की 'सर्वर अंडर हेवी लोड प्लीज़ चेक आफ्टर सम टाइम'।
इसके साथ ही मज़दूरों के लिए इस ऑनलाइन व्यवस्था को समझना ही बहुत जटिल काम है।
इस दौरन उन्हें कई तरह की दिक़्क़तों का समाना करना पड़ रहा है।
कुछ समस्याएं जो मज़दूरों ने बातचीत में बताई हैं, वो देख लीजिए:
1. ऑनलाइन व्यवस्था ही समस्या है, क्योंकि ये मज़दूर इतने पढ़े लिखे तो हैं नहीं कि यह अपना फार्म ख़ुद भर लें, ऐसे में इन्हें किसी और की मदद लेनी पड़ेगी। इस लॉकडाउन के दौर में किसी व्यक्ति से मिलना और काम करना ही बहुत मुश्किल है।
2. किसी सहायता केंद्र की व्यवस्था न होना ;
3. रजिस्ट्रेशन के बाद फोन में मैसज का न आना;
4. स्मार्ट फोन की ज़रूरत ; सरकार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने फोन से इसे भर सकता है लेकिन हमे कई ऐसे मज़दूर मिले जिनके पास स्मार्ट फोन ही नहीं था।
5. बार बार वेबसाइट का ख़राब होना।
ये समस्याएं मोटे तौर पर मज़दूरों ने बताई हैं।
यह सभी बातें सरकार को घोषणा करने से पहले ही सोचनी चहिए थी। लेकिन लगता है सरकार ने हड़बड़ी में यह घोषणा कर दी, उनके पास इसका कोई ब्लू प्रिंट नहीं था।
इतनी गड़बड़ियों के बाद भी सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जो दिखाता है कि सरकार और मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो मज़दूरों की चिंता करते हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका पूरा तंत्र मज़दूरों की मदद करने में विफल हो रहा है।
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