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लंपी वायरस: हजारों गायों की अकाल मृत्यु ने तोड़ी किसान और खेतिहर मजदूरों की कमर, मुआवजे की मांग

भारत में पशुपालन गांव के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है और पशुधन से भावनात्मक लगाव भी होता है। इसी सब के चलते सरकार को किसानों और निर्धन पशुपालकों के लिए मुआवजा नीति घोषित करनी चाहिए। 
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जिस तरह कोरोना महामारी ने मानव जाति पर कहर बरपाया था कुछ उसी तरह लंपी वायरस का कहर इस समय गायों पर बरप रहा है। गुजरात, राजस्थान, पंजाब व मध्यप्रदेश इस बीमारी के केंद्र में हैं लेकिन अब यह बीमारी उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में फैल चुकी है और हजारों हजार गायें मर चुकी हैं। हजारों हजार पशुओं की अकाल मृत्यु और लाखों गौवंशीय पशुओं के बीमार होने ने किसानों और खेतिहर मजदूरों की आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख दी है। 

दरअसल, भारत में पशुपालन गांव के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है और पशुधन से भावनात्मक लगाव भी होता है। इसी सब के चलते सरकार को किसानों और निर्धन पशुपालकों के लिए मुआवजा नीति घोषित करनी चाहिए। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लंपी वायरस बीमारी की चपेट में देश के करीब 12 राज्यों में एक लाख 20 हजार पशुधन संक्रमित हैं और 57,000 पशुधन काल ग्रसित हो चुके हैं। इसमें अधिकतर गाय और गोवंश हैं। उधर, इतनी बड़ी संख्या में कई प्रदेशों में दुधारू पशुओं में फैली बीमारी और नागरिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए, पशु प्रेमी व उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी ने वीडियो जारी कर लम्पी वायरस से प्रभावित गाय के दूध और उससे बने उत्पाद मिठाई आदि को न खाने का आह्वान किया है कि लंपी प्रभावित गाय का ना पिए दूध, ना खाएं मिठाई। सांसद ने डेयरी संचालकों को भी इस बाबत हिदायत दी है कि वे इस रोग से प्रभावित गाय का दूध बिक्री ना करें। 

मानव जीवन पर कोरोना का कहर आया था तो चारों तरफ हाहाकार मच गया था जिससे जो बना अधिकतम प्रयास भी किए इसके बावजूद अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ इसी तरह गाय पर संकट आया है जिससे देश में अब तक हजारों गाय मर चुकी हैं। गुजरात, राजस्थान व मध्यप्रदेश राज्य इस बीमारी के केंद्र में हैं लेकिन यह बीमारी देश के कई राज्यों में महामारी बनकर फैल रही है।

राजस्थान में इस बीमारी से करीब तीस हजार पशुधन की मृत्यु चिंता का विषय है। मध्यप्रदेश की बात करें तो राजस्थान बॉर्डर से लगते 26 जिलों मंदसौर, रतलाम, नीमच, राजगढ़, आगर, मालवा, उज्जैन, शाजापुर से शुरू होकर अब खंडवा, इंदौर, धार, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, हरदा, भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, अशोकनगर होती हुई, नर्मदापुरम हरदा और बैतूल तक जा पहुंची है और यदि समय रहते तेजी से बचाव के उपाय नहीं किए पूरे प्रदेश को अपनी गिरफ्त में ले सकती है।

हालांकि स्थिति की भयावहता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार सुबह महत्वपूर्ण अधिकारियों के साथ बैठक की एवं वैक्सीन को निशुल्क लगाने के आदेश दिए। साथ ही सरकार ने टोल फ्री नंबर भी जारी किया है लेकिन जरूरत है इस समय अतिरिक्त साधन और स्टाफ की जो सूचना आने पर तुरंत उस जगह पर पहुंचकर इलाज शुरू कर सके और बाड़े बंदी भी ऐसी हो जिससे संक्रमित जिलों से दूसरे जिलों में संक्रमण ना फैल सके अन्यथा पशुधन का नाश तो होगा ही इसका मानव जीवन पर भी गंभीर असर पड़ेगा। दूध का संकट भी बढ़ सकता है। क्योंकि संक्रमण का डर है।

कुल मिलाकर सभी को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है जहां कहीं लम्पी वायरस के लक्षण किसी गाय में देखें तो तुरंत सरकार को सूचित करें। ताकि तुरंत इलाज शुरू किया जा सके क्योंकि गाय पर आया यह संकट भयावह है और इससे मानव जीवन भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता। स्थिति ज्यादा बिगड़े इसके पहले सभी को अपने अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। सरकार भी अतिरिक्त चिकित्सकों की टीम तैयार करें और जहां से भी सूचना आती है वहां पर तुरंत पहुंचे। 

गोपालक ध्यान रखें

गोपालक अपनी गायों को खुले में ना छोड़ें और उन पर नजर रखें। यदि किसी पशु को बुखार आने लगता है, पैरों में सूजन आ जाती है। मुंह से लार और आंख नाक से पानी आता है, पूरे शरीर में घाव हो जाते हैं, वजन कम होने लगता है, दूध आना बंद हो जाता है और गाय पैरों को पीटने लगती है। इनमें से शुरुआती कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज की व्यवस्था करें।

पशुधन की अकाल मृत्यु ने किसानों और खेतिहर मजदूरों की तोड़ी कमर

भारत में पशुपालन गांव के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है और पशुधन से भावनात्मक लगाव रहता है। अगर इस तरह से पशुधन अकाल मृत्यु होती है तो ग्रामीण इलाकों के निर्धन परिवारों की कमर टूट जाएगी। पशुधन से ही खेती-बाड़ी का काम और दूध का उत्पादन जीविका का एकमात्र जरिया है। पशुधन की अकाल मृत्यु भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए भारी क्षति है, जिस पर सरकार को अविलंब क्षति पूर्ति नीति पर काम करना होगा।

सभी राज्य सरकारों को इस संदर्भ में मुआवजा नीति अपनाकर ऐसे परिवारों को आर्थिक सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। केंद्र सरकार के द्वारा इस संक्रमण को रोकने के लिए टीका के प्रयोग की सलाह दी जा रही है, जिस पर राज्य सरकार को निशुल्क टीका उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए। एक जानकारी के अनुसार, इस बीमारी के कारण पंजाब में लगभग बीस फीसद दुग्ध उत्पादन घट गया है।

किसान सभा ने तत्काल जरूरी कदम उठाने की मांग की

देश के 7 प्रदेशों पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा जम्मू और कश्मीर में कहर मचाने और 80 हजार से 1 लाख गायों तक को मार डालने के बाद लम्पी बीमारी अब मध्यप्रदेश में भी तेजी से फैलती जा रही है। बड़ी संख्या में गायों के बीच फैलने के बाद अब यह भैंसों तक भी पहुँच गयी है। 

भारत के किसानों की एक तिहाई आमदनी का जरिया पशुपालन है, खेती पहले से ही संकट में थी अब पशुधन भी खतरे में है। पशुचिकित्सा के विभागों के ठप्प हो जाने की वजह से स्थिति और गंभीर हो गयी है। मध्यप्रदेश किसान सभा (एआईकेएस) ने कहा है कि अफ़सोस और शर्म की बात है कि गुजरात में सबसे पहले दिखी इस बीमारी के रोकथाम के लिए अभी तक केंद्र सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। 

मध्यप्रदेश किसान सभा (एआईकेएस) ने केंद्र तथा मध्यप्रदेश सरकारों से मांग की है कि लम्पी को महामारी घोषित किया जाए। इससे प्रभावित पशुओं के निःशुल्क इलाज, तथा रोकथाम के लिए टीकाकरण के कदम युद्ध स्तर पर उठाये जाएँ। इस बीमारी से मरने वाले पशुओं के मालिकों को मुआवजा दिया जाये। इस महामारी से मारे जा रहे पशु के अंतिम संस्कार के इंतजाम किये जाएँ। उनके दफनाने का खर्च सरकार उठाये।

उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सरकार ने जारी किए हेल्प लाइन नंबर 

लम्पी डिजीज को लेकर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सरकार ने हेल्प लाइन नंबर जारी किए हैं। मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए टोल फ्री नंबर 1962 और 0755 2767583 पर सूचित करें। जबकि उत्तर प्रदेश के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि यूपी में लम्पी रोग के संक्रमण की दर कम है एवं गोवंश की हानि न्यून है लेकिन इस सबके बावजूद अतिरिक्त सतर्कता के चलते प्रदेश में 1126 टीमें टीकाकरण के लिए गठित की गयीं हैं। 26,04,500 पशुओं को गोटपॉक्स का टीका लगाया गया है और 127 मोबाइल वेटेनरी यूनिट संचालित की जा रही है। एक कन्ट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है जिसके नंबर 0522-2741992, 7880776657 व टोल फ्री नंबर-1800 180 5141 है।

यूपी में पहले ही छुट्टा गौवंश से परेशान थे किसान

यूपी में छुट्टा गौवंश आदि समस्याओं को लेकर किसान पहले से ही परेशान थे। गौवंश कटान पर रोक को लेकर यूपी में गौवंशीय पशुओं की खरीद बिक्री होना लगभग बंद सा ही हो गई है और किसान बैल आदि गौवंश को मजबूरी में पालने या फिर उन्हें छुट्टा छोड़ देने को को मजबूर थे। अब लंपी बीमारी के चलते दुधारू गौवंश को लेकर भी किसान आर्थिक और मानसिक तनाव से गुजरने को मजबूर हैं।

साभार : सबरंग 

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