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मप्र: लिखित आश्वासन पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित

19 दिन तक हड़ताल के बाद विश्वविद्यालय केकर्मचारियों की मांगे अधिकारियों ने सुनी लेकिन शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने वाले हजारों अभ्यर्थियों की सुनवाई नहीं, पुलिस ने उन्‍हें खदेड़ा। भूख हड़ताल पर बैठी एक महिला की हालत बिगड़ी।
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मप्र में लिखित आश्वासन के बाद विश्वविद्यालय केकर्मचारियों ने शुक्रवार को हड़ताल स्थगित कर दी है। हड़तालियों को सरकार ने भरोसा दिया है कि उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही की जाएगी। ये 19 दिनों से हड़ताल पर थे, जिसके कारण बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय (बीयू) के कई विभागों की परीक्षाओं की तारीखें आगे बढ़ानी पड़ी थी। इधर शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों की क्रमिक भूख हड़ताल जारी है। शुक्रवार को पुलिस और इनके बीच जमकर कहा-सुनी हुई है। नौबत विवाद तक पहुंच गई, क्याेंकि ये सीएम हाउस की ओर बढ़ रहे थे, जिन्हें पुलिस ने बलपूर्वक पकड़ लिया और वाहनों में बैठाकर दूर ले गए और फिर छाेड़ दिया। यह घटनाक्रम राजधानी भोपाल के पाॅलीटेक्नीक चौराहे का है। यही नहीं, इन अभ्यर्थियों की लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) के सामने जारी हड़ताल में शामिल एक महिला अभ्यर्थी सीमा सिंह की हालत बिगड़ गई। वह मंदसौर से आकर भोपाल में क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठी है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। ये वे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने वर्ष 2018 में परीक्षा पास की थी इनमें से ज्यादातर को नियुक्ति नहीं मिली है, इसी बात से ये नाराज हैं और 12 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, पूर्व में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के बंगले के सामने भी विरोध दर्ज करा चुके हैं।

कर्मचारियों ने कर दिया था कार्य बहिष्कार 

विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों ने 15 मई से कार्य बहिष्कार आंदोलन शुरू किया था। धीरे-धीरे इस आंदोलन का असर मप्र की राजधानी भोपाल के अलावा पूरे प्रदेश भर के कॉलेजों पर पड़ा। यहां तक कि कुछ कॉलेजों में तो तालाबंदी की नौबत आ गई। बीयू ने ही एक दर्जन से अधिक परीक्षाएं आगे बढ़ा दी। कार्य बहिष्कार आंदोलन के कारण विद्यार्थियों को जरुरी दस्तावेज जैसे अंकसूची, माइग्रेशन प्रमाण पत्र, डिग्री समय पर नहीं मिल रही थी। 

विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का दावा- इन मांगों पर बनी सहमति 

विश्वविद्यालय के  कर्मचारियों ने मांगों को लेकर आंदोलन करने के लिए एक संघर्ष समिति बनाई थी। उसमें प्राध्यापक कालिका यादव, डाॅ. बी भारती अधिकारी, डाॅ. एलएस सोलंकी व लखन सिंह परमार आदि शामिल थे। इनकी सामूहिक चर्चा सरकार के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) केसी गुप्ता के साथ हुई। जिसमें सातवें वेतनमान को लेकर सरकार से चर्चा करने, मंत्री समूह की बैठक में मामले को रखने, कर्मचारियों को लाभ दिलाने, छठवें वेतनमान के लंबित मामलों का निराकरण कराने और रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के प्रकरण को पुन: कुलपति से प्रतिवेदन प्राप्त कर उचित कार्रवाई करने पर लिखित सहमति बनी है।

चयनित अभ्यर्थियों की ये मांगे जिन पर नहीं बनी सहमति 

चयनित अभ्यर्थी नेहा राठौर ने बताया कि हम सभी प्राथमिक शिक्षकों के 51 हजार पदों में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। हमारा कहना है कि स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग के द्वारा संयुक्त काउंसलिंग कराई जाए, लेकिन हमारी बात नहीं मानी जा रही है। उच्च माध्यमिक व माध्यमिक शिक्षकों की हो चुकी काउंसलिंंग के बाद खाली पदों पर भर्ती शुरू करने की मांंग कर रहे हैं। जिन विषयों की उपेक्षा की जा रही है उनके लिए भर्ती नहीं की जा रही है, उस पर भर्ती निकाले जाने की मांग को अनसुना किया जा रहा है।

(पूजा यादव स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।)

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