Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

मध्यप्रदेश के नीमच में एक बुजुर्ग की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उसने जवाब नहीं दिया कि वो हिंदू है या मुसलमान।
murder case
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' फोटो साभार: DNA India

धर्म के नाम पर देश में लगाई गई नफरत की आग कैसे बुझेगी इसका तो पता नहीं। लेकिन आग को बढ़ावा देने वाले नेता और नेताओं के संबंधी पर तानाशाही का फितूर कुछ इस कदर हावी है, कि महज़ शक की बिनाह पर वो हत्या तक कर बैठते हैं। और शक सिर्फ इतना कि जो शख्स प्रताड़ित किया जा रहा है वो मुसलमान है या नहीं।

मुसलमान है या नहीं? इसी सवाल को दोहराते हुए मध्यप्रदेश के नीमच में एक बुजुर्ग को पीट-पीटकर मार डाला गया। हैरानी की बात ये है कि बुजुर्ग को पीटने वाला शख्स सत्ताधारी पार्टी भाजपा का नेता बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस ने मामले में शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

दरअसल मनासा के रामपुर रोड स्थित मारुति शोरूम के पास बीते गुरुवार यानी 19 मई को 65 साल के एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस ने सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफार्मों पर उसकी तस्वीरें जारी की थीं। जिससे बुजुर्ग की पहचान भंवर लाल जैन के रूप में हो गई।

शव बरामद होने के एक दिन बाद यानी 20 मई को ज़रूरी प्रक्रिया पूरी कर शव परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं परिजनों का दावा है कि मृतक बुजुर्ग विकलांग थे और उन्हें याद्दाश्त संबंधी समस्या भी थी।

इधर पुलिस ने शव परिजनों को सौंपा और दूसरी ओर बुजुर्ग की पिटाई किए जाने का वीडियो वायरल हो गया। जिसमें एक शख्स मृतक बुजुर्ग भवंर लाल जैन को मुस्लिम होने के शक में पीटता हुआ दिखाई दे रहा है। वीडियो में आरोपी को पीड़ित से आधार कार्ड मांगते हुए देखा जा सकता है।

‘’चल तेरा आधार कार्ड बता’’

जो वीडियो वायरल हो रहा है.. उसमें साफ देखा जा सकता है कि एक शख्स करीब 65 साल के बुजुर्ग को लगातार चांटे मार रहा है। वीडियो में सुनाई भी दे रहा है कि आरोपी बार-बार यही पूछ रहा है कि ‘’तेरा नाम मोहम्मद है? जावरा से आया है? चल तेरा आधार कार्ड बता’’। और मार खाने वाला बुजुर्ग गिड़गिड़ाते हुए बोल रहा है कि 200 रुपये ले लो।

बुजुर्ग को पीट-पीटकर मारने का वीडियो वायरल होते ही मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने तुरंत अपने हैंडल से बुजुर्ग की पिटाई की वीडियो ट्वीट किया... उन्होंने लिखा, मार खा रहे भंवरलाल_जैन बाद में मृत पाए गए! मारने वाला BJP की पूर्व पार्षद का पति दिनेश_है! पहले दलित, फिर मुस्लिम-आदिवासी और अब जैन! इस ज़हर, जानलेवा नफरत की भट्टी को भाजपा ने जलाया है! गृहमंत्री कुछ बोलेंगे?

आपको याद होगा जब पिछले दिनों मध्य प्रदेश में बुल्डोज़र के जरिए एक समुदाय विशेष के घर गिराए जा रहे थे, तब मध्य प्रदेश के गृह मंत्री का बयान था कि लोगों के घर पर पत्थर चलाने वाले के घरों को पत्थर के ढेर में तब्दील कर दिया जाएगा। लेकिन अब इस कृत्य के बाद उन्होंने चुप्पी साध रखी है। ऐसे में जीतू पटवारी का गृह मंत्री से सवाल करना हर मायने से बिल्कुल सही है।

जीतू पटवारी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए मध्यप्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए.. उन्होंने लिखा कि भाजपा के दिनेश कुशवाहा के विरुद्ध धारा 302 के अंतर्गत जुर्म कायम किया गया है। देखते हैं गिरफ्तारी होती है या नहीं?

भंवर लाल के रूप में पहचान

मानसा थाना प्रभारी केएल डांगी के अनुसार, गुरुवार को पीड़ित का शव मिला था। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें जारी होने के बाद रतलाम के रहने वाले एक परिवार ने उनकी पहचान अपने परिजन भंवरलाल जैन के रूप में की। शव का पोस्टमार्टम कराया गया और परिजनों को सौंप दिया गया। इसके बाद यह वीडियो सामने आ गया। हमने आरोपी की पहचान कर ली है। उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उसकी तलाश की जा रही है।

पुलिस ने पूरे मामले में 302 आईपीसी के धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है। टीआई ने बताया कि इस मामले में और भी जांच की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, जिसके बाद और भी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

ख़ैर... ये कोई पहला मामला नहीं जब शक की बिनाह पर किसी को पीट-पीटकर मार डाला गया हो। लेकिन देश में बन रहे माहौल के बाद अब ये सब भी आम बात सा हो गया है। हालांकि सही मायने में मानव जाति के लिए और देशवासियों के लिए ये आम बात कितनी घातक साबित हो सकती है इसका अंदाज़ा भी नहीं लग पा रहा है।

ऐसे दौर में ये स्मरण करना बेहद ज़रूरी है, कि जब देशवासियों को ऐसा दिखाने की कोशिश की जा रही है कि मुसलमानों के खिलाफ माहौल तैयार हो रहा है, तब वो लोग भी सुरक्षित नहीं है, जो दलित हैं, अल्पसंख्यक हैं, या फिर ग़रीब है।

हमें ये भी समझना होगा कि चुनावों के वक्त हर देशवासी मतदान करता है, फिर वो अल्पसंख्यक हो, या बहुसंख्यक हो... लेकिन वोट मिलने के बाद नेताओं की निगाहें धर्म के आधार पर, संख्या के आधार पर, और ऊंच नीच के आधार पर बंट जाती हैं।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest