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मुबंई: बारिश हर साल लोगों के लिए आफ़त लेकर आती है और प्रशासन हर बार नए दावे!

मुबंई की ये बदहाल तस्वीर लगभग हर बारिश में देखने को मिल जाती है। जानकार मानते हैं कि ये सब जलवायु परिवर्तन और सरकारों की अनदेखी का नतीजा है।
मुबंई: बारिश हर साल लोगों के लिए आफ़त लेकर आती है और प्रशासन हर बार नए दावे!
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

भारत में कोरोना के कहर से लोग पहले ही त्रस्त हैं। लेकिन अब इस बीमारी से कहीं ज्यादा खतरा हमें हमारी जलवायु और मौसम से भी है। लगातार भारी बारिश और भूस्खलन के चलते देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और उसके उपनगरीय इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। रायगढ़, रत्नागिरी और कोल्हापुर जिलों में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति बन गई है। 48 घंटे के भीतर 129 लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं कई लोग लापता और मलबे में भी दबे हुए हैं।

मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के 6 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। अगले 48 घंटे भारी बारिश की संभावना जताई जा रही है। मबई, ठाणे समेत मध्य माहराष्ट्र में ऑरेंज अलर्ट जारी है। चिपलून और कोल्हापुर सबसे ज्यादा बाधित हैं, शहर में इमारत के पहले मंजिल तक पानी भर गया है। मुंबई-गोवा और चिपलून-कराड राजमार्ग बंद है तो वहीं कोकण रेलवे भी ठप है।

प्रशासन क्या कर रहा है?

पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे मंडल में भारी बारिश और नदियों के उफान पर होने के चलते 84,452 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। साथ ही हेलिकॉप्टर के माध्यम से खाद्य पदार्थों के पैकेट भी लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं।

राज्य के शहरी विकास एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री एकनाथ शिंदे ने रायगढ़ के तलाई गांव में भूस्खलन की घटना को लेकर बताया कि 80-85 लोग अभी लापता हैं। 33 लोगों को शव बरामद कए गए हैं। कई लोग मलबे में फंसे हुए हैं। एनडीआरएफ, स्थानीय एजेंसियां और अन्य बचाव कार्य में लगे हुए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन कोस्ट गार्ड ने जानकारी दी कि उसकी ओर से महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के तटवर्ती इलाकों में सात टीमों को राहत और बचाव के काम में लगाया है। भारतीय नौसेना और वायुसेना के विमानों के माध्यम से भी महाराष्ट्र में राहत अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), स्थानीय आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा भी राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

सरकार क्या कर रही है?

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने जानकारी दी है कि ऐसी घटनाओं में घायलों का इलाज सरकार वहन करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायगढ़ हादसे पर दुख जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, "महाराष्ट्र में बाढ़ के हालात पर पूरी नजर बनी हुई है। पीड़ित परिवारों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। केंद्र सरकार की ओर से पूरी मदद की जा रही है।"

गृहमंत्री अमित शाह ने रायगढ़ भूस्खलन हादसे पर दुख जताते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनडीआरएफ के डीजी से बात कर हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

ऐसे हालात के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

आपको बता दें कि 26 जून तक मुंबई को लगभग 70 प्रतिशत कम बारिश का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद 6 दिनों के भीतर ही इतनी बारिश हुई कि शहर में ठहराव स्थिति पैदा हो गई। 2 जुलाई को मुंबई के कोलाबा स्टेशन पर 137.8 मिमी बारिश दर्ज की गई जबकि पूरे मुंबई में 1 जून से 1 जुलाई तक 433.7 मिमी बारिश हुई जिसका मतलब है कि शहर में एक ही दिन में एक महीने की एक तिहाई बारिश हुई। इसी तरह एक जुलाई को शहर में 92.6 मिमी वर्षा हुई वहीं डेढ़ दिन से भी कम समय में 230 मिमी हुई। यह दो दिनों में इस महीने की बारिश का 50% है।

वैसे मुबंई की ये बदहाल तस्वीर लगभग हर बारिश में देखने को मिल जाती है। जानकार मानते हैं कि ये सब जलवायु परिवर्तन और सरकारों की अनदेखी का नतीजा है। जलवायु परिवर्तन पर गौर करें, तो बीते कुछ समय से लगातार एक पैटर्न देखने को मिल रहा है। जहां भीषण सूखे के बाद भारी वर्षा होती है। इतनी ज़्यादा बारिश कि जब यह होती है तो बाढ़ और भूस्खलन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसी ही स्थिति 2018 में भी हुई थी।

बारिश हर साल लोगों के लिए आफत लेकर आती है, और प्रशासन हर बार नए दावे। माया नगरी में महज़ दो-तीन दिन की बारिश भी बृहन मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी के सारे दावों की पोल खोल के रख देती है। हर बार मानसून के दस्तक देते ही स्थानीय निकायों के इंतजामों के दावों की असलियत सामने आ जाती है। जान माल का नुकसान तो होता ही है, लोगों को बेसिक जरूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मानसून के पहले स्थानीय निकाय पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं कर पाते? हर साल यही बदइंतजामी लोगों के हिस्से क्यों आती है। बहरहाल, कोरोना महामारी के बीच बीते साल महाराष्ट्र की सरकार तो बदली लेकिन बारिश की बदहाली से लोगों को राहत का अभी भी इंतजार है।

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