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मारियुपोल की जंग आख़िरी पड़ाव पर

शनिवार को दोनेतस्क प्रशासन के प्रमुख डेनिस पुशिलिन ने खुले तौर पर अज़ोवस्तल में छिपे हुए नव-नाज़ी उग्रवादियों के "ख़ात्मे" का आह्वान किया।
mariupol
रूसी सेना का रणनीतिक शहर पीएफ़ मारियुपोल पर नियंत्रण

रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को मॉस्को के समय के मुताबिक़ दोपहर 1.00 बजे तक दुश्मनी ख़त्म करने को लेकर अज़ोवस्तल आयरन एंड स्टील वर्क्स में छुपे चरम राष्ट्रवादी नव-नाज़ी बटालियनों और विदेशी भाड़े के सैनिकों को आत्मसमर्पण की शर्तों की पेशकश की।मुमकिन है कि यह अपनी ही तरह का एक इशारा हो।

मॉस्को के बयान में कहा गया है कि अज़ोवस्तल में रेडियो इंटरसेप्शन के ज़रिये 24 घंटों में 367 मामलों के पता चलने से ऐसा लगता है कि लगभग भोजन और पानी के बिना आतंकवादी निराशाजनक स्थिति में हैं, और हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने की इजाज़त मांग रहे हैं, लेकिन "कीव अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से साफ़ तौर पर मना कर दिया है।"

शनिवार को दोनेत्स्क प्रशासन के प्रमुख डेनिस पुशिलिन ने खुले तौर पर अज़ोवस्तल में छिपे हुए नव-नाज़ी उग्रवादियों के "ख़ात्मे" का आह्वान किया था।

अज़ोवस्तल सोवियत-युग का वह विशाल प्लांट है, जो मारियुपोल शहर के भीतर बसा एक शहर है। सोवियत काल में निर्मित इस प्लांट के नीचे एक ऐसा भूमिगत शहर है, जिसमें शीत-युद्ध की वास्तविकतायें हैं। इनमें बमबारी, नाकेबंदी और यहां तक कि परमाणु हमले का सामना करने के लिए बनाये हुए ढांचे हैं। रूसियों का अनुमान है कि बख़्तरबंद वाहनों और हथियारों और गोला-बारूद के विशाल शस्त्रागार से लैस इस भूमिगत शहर में ज़्यादा से ज़्यादा 2,500 लोगों के रहने की क्षमता हो सकती है।

रूसी पक्ष मारियुपोल में चल रहे इस ऑपरेशन को ख़त्म करने की जल्दीबाज़ी में है। वहां की सेनाओं को तत्काल डोनबास मोर्चे पर फिर से तैनात किये जाने की ज़रूरत है। दूसरी ओर, कीव इस रूसी ऑपरेशन में देरी होने को लेकर आश्वस्त है। कीव को लगता है कि इससे उसे डोनबास में अपनी सेना को मज़बूत करने के लिए ज़्यादा समय मिल जायेगा।

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर कूटनीतिक रास्ते को लेकर बोलते हुए अपना रुख़ बदल लिया है। उनका हालिया रुख यही है कि यूक्रेन नाटो के सदस्य होने की कोशिश को छोड़ने के लिए तैयार है और रूस के साथ क्रीमिया की स्थिति पर भी चर्चा करने के लिए तैयार है, लेकिन ऐसा तब तक नहीं होगा, जब तक मास्को यूक्रेने के साथ दुश्मनी पर लगाम नहीं लगाता और अपने सैनिकों की वापसी नहीं करवा लेता!

यूक्रेनी सशस्त्र बलों ने पहले ही अपने 23,367 लोगों को खो दिया है, जबकि 1,464 लोगों ने शनिवार तक मारियुपोल में आत्मसमर्पण कर दिया और अन्य 2,500 लोग इस शहर के अज़ोवस्त्ल संयंत्र में अटके हुए हैं। जहां तक डोनबास का सवाल है, रूसी सेना संख्या, रसद, गोलाबारी और इस क्षेत्र में अपनी सर्वोच्चता को साबित कर चुकी है और उस मोर्चे पर हुई हार के चलते ज़ेलेंस्की के पास रूसी शर्तों पर बातचीत के ज़रिए समझौता करने के अलावा कोई चारा भी नहीं होगा। (अमेरिकी सैन्य विश्लेषक कर्नल (सेवानिवृत्त) डैनियल डेविस की ओर से अपेक्षाकृत संतुलित पूर्वानुमान पर नज़र डालने के लिए द बैटल फ़ॉर डोनबास विल बी अ टफ़ फ़ाइट फ़ॉर यूक्रेन पढ़ें।)

दरअसल, ज़ेलेंस्की और उनके अमेरिकी आकाओं को उम्मीद है कि डोनबास की लड़ाई पूरी तरह खुली हुई है। हालांकि, मुद्दा यह है कि पूर्वी यूक्रेन में ज़्यादातर युद्ध खुले मैदान के क्षेत्रों में लड़ा जायेगा, रूसी सेना को डोनेत्स्क और लुहान्स्क ओब्लास्त में अपने मक़सदों को हासिल करने के लिए कई अहम आबादी वाले ठिकानों को भी दांव पर लगाना होगा, जिनमें सेवेरोडोनेत्स्क, रुबिज़ने, लिसिचन्स्क, स्लोवेन्स्क, और क्रामाटोरस्क और साथ ही कई छोटे-छोटे शहर हैं।

ज़द में आने वाले इलाक़ों के ख़िलाफ़ रूस का अब तक का प्रदर्शन तेज़ी से मिलने वाली कामयाबी के लिहाज़ से अच्छा नहीं रहा है। इसके अलावे, पश्चिम से मिले हथियारों ने यूक्रेन की सेनाओं को रूस के इन क्षेत्रों पर नियंत्रण करने से रोकने में काफ़ी मदद की है। यूक्रेनी पक्ष लड़ाई के ज्वार को रोकने के लिए इन्हीं कारकों पर भरोसा कर रहा है। इसके अलावा, ज़ाहिर है कि उनका मनोबल ऊंचा है। 

वैसे भी इस बार रूस के मन में इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं है कि एक शांति समझौता बहुत ही नज़दीक है। रूसियों के ख़ुद को फिर से आंखों में धूल झोंके जाने की संभावना इस लिहाज़ से नहीं दिख रही है, जब कि उन्होंने ज़ेलेंस्की की कही बातों पर ग़ौर किया है, उन्होंने इस्तांबुल में होने वाली वार्ता में शामिल होने की बात कही है, जहां एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने की संभावना है। इसके आधार पर सद्भावना के एक ग़ैरमामूली भावनात्मक इशारे के लिहाज़ से उन्होंने कीव और अन्य उत्तरी क्षेत्रों से सैनिकों को वापस ले लिया। लेकिन, सिर्फ़ कीव में अपने वार्ताकारों को समझौते की शर्तों को लेकर पीछे हटने पर ग़ौर करने के लिए कहा।

इस अजीब रूसी व्यवहार से हो सकता है कि एक ग़लत धारणा बनी हो कि क्रेमलिन इस युद्ध से बाहर निकलने के दरवाज़े की तलाश में है। ज़ाहिर है, इस स्थिति ने पश्चिमी शक्तियों को यूक्रेन के लिए एक बड़े पैमाने पर फिर से हथियारबंद करने की परियोजना शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसमें सैन्य टकराव के आगामी नये चरण में इस्तेमाल होने वाले भारी आक्रामक प्रणाली, उच्च स्तर और सटीक निशाने वाले गोला-बारूद, आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली, अमेरिकी स्टिंगर मिसाइल आदि का हस्तांतरण शामिल है।  

यह एक खुला राज़ है कि नाटो देशों के सैन्य कर्मियों को "विदेशी स्वयंसेवकों" की आड़ में यूक्रेनी सेना के साथ तैनात किया जाता है। विदेशी लड़ाकों की अगुवाई अमेरिकी अधिकारी करते हैं और यूक्रेनी सशस्त्र बलों की पूरी कमान मुख्य रूप से अमेरिकियों के हाथों में ही केंद्रित है।

यक़ीनन, युद्धपोत मोस्कवा का डूबना इस धारणा को पुष्ट करने वाला एकदम सटीक घटना है। रूसी विश्लेषकों का अनुमान है कि रूसी ध्वजपोत मोस्कवा पर पिछले हफ़्ते दागी गयी मिसाइल के पीछे का दिमाग़ वास्तव में पेंटागन का था और वहीं से सबकुछ समायोजित भी किया जा रहा था। फ्लाइट ट्रैकिंग साइट- एडीएस-बी एक्सचेंज के मुताबिक़, पूर्वी रोमानिया में ज़ुरिलोव्का गांव के पास इलेक्ट्रॉनिक गियर वाले एक अमेरिकी नौसेना के विमान को ध्वस्त किये गये मोस्कवा (जो शायद मिसाइल हमलों का मार्गदर्शन करता था) जहाज के आसपास के इलाक़े में देखा गया था।

इस घटना में जो निहित संदेश है,वह है- 'ब्रिंग एम’ ऑन(यानी आसान नहीं है)।' हालांकि, सैन्य लिहाज़ से 43 साल पुराने उस युद्धपोत का डूबना रूसी ऑपरेशन के लिए सबकुछ बदलकर रख देने वाली घटना नहीं हो सकती है। सब कुछ अब डोनबास की चढ़ाई पर टिका है - और,उन खेरसॉन और ओडेसा में संभावित रूप से आगे होने वाले रूसी ऑपरेशन पर निर्भर करता है, जिसके बिना नाटो काला सागर क्षेत्र में रूस के लिए एक बड़ा खतरा बना रहेगा। नाटो का झुकाव पहले से ही मोल्दोवा की तरफ़ है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Battle for Mariupol is Ending

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