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संघर्ष रैली : ...हमने क़लम उठा लिए, हमने अलम उठाए

किसान-मज़दूरों के एक साथ आने के अलावा महिलाओं का किसी भी आंदोलन या रैली में इतनी बड़ी संख्या में शामिल होना अपने आप में एक बड़ा संदेश है।
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दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रही मज़दूर-किसानों की संघर्ष रैली में महिलाओं की भागीदारी एक अलग आयाम रच रही है। ये महिलाएं मज़दूर भी हैं, ये महिलाएं किसान भी हैं, ये आशा वर्कर्स हैं, ये आंगनवाड़ी वर्कर्स हैं, ये मनरेगा वर्कर्स हैं। ये बंगाल से भी आई हैं तो बिहार से भी। उत्तर प्रदेश से भी तो मध्यप्रदेश से भी। देश के हर हिस्से से महिलाएं अपनी भागीदारी और हिस्सेदारी जताने दिल्ली की इस रैली में आई है जो केंद्र सरकार की किसान, मज़दूर, महिला विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ है। ये महिलाएं बता रही हैं कि वे फावड़ा, कुदाल चलाती हैं तो हथौड़ा भी। कलम भी चलाती हैं तो अलम (झंडा) भी उठाती हैं। इनके साथ अपनी एकजुटता जताने के लिए अन्य नागरिक समाज और बौद्धिक वर्ग से भी महिलाएं बड़ी संख्या में रामलीला मैदान पहुंची हैं।

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