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मिंटो ब्रिज हादसा: स्मार्ट सिटी बनाने का दावा और ड्राइवर के मौत की ज़िम्मेदारी!

देश की राजधानी दिल्ली में भारी बारिश के बाद रविवार को मिंटो ब्रिज के नीचे पानी भर गया, जहां पिक-अप ट्रक के 56 वर्षीय चालक की अपनी गाड़ी को निकालने की कोशिश में डूबने से मौत हो गई।
Minto Bridge

नाम बदल गया। निज़ाम बदल गया। अधिकारी और कर्मचारी बदल गए। पिछले 30 सालों में दिल्ली में क्या-क्या नहीं बदल गया है। लेकिन जो नहीं बदला है वो भी सुन लीजिए। सरकारी अधिकारियों द्वारा जिम्मेदारी दूसरे पर थोपने की आदत नहीं बदली है। सियासी दलों द्वारा आरोप प्रत्यारोप लगाना नहीं बदला है। विभागों द्वारा ठीक ढंग से काम करने की प्रवृत्ति नहीं बदली है और मिंटो ब्रिज (नया नाम शिवाजी ब्रिज) पर जलजमाव की समस्या नहीं खत्म हुई है।

इसी समस्या ने इस मौसम की दिल्ली की पहली जमकर हुई बारिश में एक ड्राइवर की जान ले ली। दरअसल दिल्ली में भारी बारिश के बाद रविवार को मिंटो ब्रिज के नीचे पानी भर गया, जहां पिक-अप ट्रक के 56 वर्षीय चालक की अपनी गाड़ी को निकालने की कोशिश में डूबने से मौत हो गई। कुछ घंटे की बारिश के चलते यही इकलौता हादसा नहीं हुआ है बल्कि कई झुग्गियां ढह गईं और और निचले इलाकों में पानी भर गया।

कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें साझा की हैं, जिनमें बारिश का पानी लोगों के घरों में आता दिख रहा है और पानी से भरी सड़कों से निकलने की कोशिश करते वाहन नजर आ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि जलभराव की सूचना मिंटो रोड और रेलवे पुल के नीचे, जीटीके डिपो, आजादपुर अंडरपास, जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर गुरुनानक चौक, साउथ एवेन्यू रोड और एमबी रोड पर पुल प्रह्लाद पुर अंडरपास समेत कई स्थानों से मिली।

पुलिस ने बताया कि 56 वर्षीय चालक मिंटो ब्रिज के नीचे अंडरपास में पानी भरने की वजह से उसमें से अपना पिक-अप ट्रक निकालने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मृतक की पहचान कुंदन के तौर पर हुई है। वह आज सुबह नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से कनॉट प्लेस जा रहा थे। जलभराव के कारण मिंटो रोड अंडरपास में एक बस और दो ऑटोरिक्शा भी फंस गए। दिल्ली अग्निश्मन सेवा के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया, 'हमें सुबह सात बजकर 54 मिनट पर फोन आया। हमारी टीम घटनास्थल पर पहुंची, जहां जलभराव के कारण एक बस और दो ऑटोरिक्शा फंसे थे। हमारे कर्मियों ने बस के चालक एवं परिचालक और एक ऑटो चालक को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।’

अब ये राजधानी के सबसे पॉश इलाके का हाल है। सोचने वाली बात यह है कि मिंटो ब्रिज पर पिछले 30 सालों से बारिश का पानी भर रहा है, लेकिन आज तक कोई सरकार या स्थानीय निकाय इसका स्थायी हल नहीं निकाल पाई।

आपको यह भी बता दें कि मिंटो ब्रिज की देखरेख, अंडरपास में जलभराव और साज-सज्जा को मिलाकर चार विभागों के पास इसका जिम्मा है। लगभग 300 मीटर लंबे इस अंडरपास की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और उत्तर रेलवे की है। सभी विभागों के काम अलग-अलग बंटे हुए हैं।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मुख्यालय सिविक सेंटर की ओर से आने वाली सड़क की जिम्मेदारी उत्तरी दिल्ली नगर निगम की है। पीडब्ल्यूडी के पास अंडरपास के ड्रेनेज और रखरखाव की जिम्मेदारी है। कनॉट प्लेस की ओर से आने वाली सड़क की जिम्मेदारी एनडीएमसी की है। मिंटो ब्रिज के उपरी हिस्से के रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तर रेलवे की है। रेलवे ट्रैक और बाउंडरी वॉल बनाने और उसकी देखरेख का जिम्मा रेलवे के पास है।

इतने विभागों के काम करने के बावजूद कुछ घंटों की बारिश में पुल के नीचे जलजमाव होता है और ड्राइवर कुंदन की मौत हो जाती है। बात यही खत्म नहीं होती है। अब शुरू होता है आरोप प्रत्यारोप का दौर कि आखिर गलती किसकी? हर दल, हर विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने के लिए उतारू हो गए हैं।

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि अभी मानसून शुरू ही हुआ है और आप सरकार को जलभराव रोकने के लिए यथासंभव जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए। गुप्ता ने मिंटो ब्रिज पर एक व्यक्ति की मौत पर दुख प्रकट किया। यह क्षेत्र दिल्ली लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि अगर समय पर कदम उठाये जाते तो जलभराव से मौत को रोका जा सकता था।

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि मानसून की पहली बारिश में आप सरकार की तैयारियों की कलई खुल गयी है। तिवारी ने कहा, ‘मिंटो ब्रिज क्षेत्र दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। वहां एक पंप है जिसे समय पर चालू नहीं किया गया और डीजेबी की पाइप लाइन भी अवरूद्ध थी। हम पहले भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।’

उन्होंने ट्विटर पर लिखा,‘कुछ घंटों की बारिश में बिगड़े हालात,तो महीनों की बारिश में दिल्ली का क्या हाल होगा? अरविंद केजरीवाल जी मानसून की पहली बारिश ने ही आपकी तैयारियों की कलई खोल दी..आगे होने वाली बारिश से निपटने के लिए तुरंत ठोस योजना तैयार करें,ताकि दिल्ली को डूबने और लोगों को तकलीफ से बचाया जा सके।’

इसका जवाब देने मैदान में खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उतरे। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘इस साल सभी एजेंसियां, चाहे वो दिल्ली सरकार की हों या दिल्ली नगर निगम की, कोरोना नियंत्रण में लगी हुई थीं। करोना वायरस की वजह से उन्हें कई कठिनाइयाँ आयीं। ये वक्त एक दूसरे पर दोषारोपण का नहीं है। सबको मिल कर अपनी जिम्मेदारियां निभानी हैं। जहां जहां पानी भरेगा, हम उसे तुरंत निकालने का प्रयास करेंगे।’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘मिंटो ब्रिज में भरा पानी निकाल दिया गया है। आज सुबह से ही मैं एजेंसियों के संपर्क में था और वहां से पानी हटाने की प्रक्रिया पर नजर रख रहा था। दिल्ली में ऐसे और भी स्थानों पर हम नजर रखे हुए हैं। जहाँ भी पानी इकट्ठा हुआ है उसे तुरंत पम्प किया जा रहा हैं।’

दरअसल, थोड़ी सी ही बारिश से दिल्ली में जगह-जगह जल भराव की स्थिति हो जाती है। सड़कों पर पानी भर जाता है और जगह-जगह बने अंडरपास तालाब की शक्ल धारण कर लेते हैं। हर साल नालों की साफ-सफाई का मुद्दा गर्माता है, लेकिन बारिश के बीतते ही यह मुद्दा ठंडा पड़ जाता है।

ऐसे में इस साल यह खतरा और भी ज्यादा है। दरअसल हर साल गर्मियों में होहल्ला मचने के बाद रस्मी तरीके से ही सही कुछ नालियों और सीवेज की सफाई का काम किया जाता है, जिससे बरसात का पानी निकल सके।  

आपको बता दें कि चार फुट तक चौड़ाई वाली नालियां-नाले साफ कराने की जिम्मेदारी दिल्ली के तीनों नगर-निगमों की होती है। इसके अलावा जिन सड़कों को पीडब्ल्यूडी विभाग देखता है, उनके दोनों ओर बने नालों की साफ-सफाई करना पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी में आता है। इस साल कोरोना संक्रमण के चलते नालों और सीवेज की सफाई का यह काम भी नहीं किया गया है। ऐसे में जलजमाव की समस्या विकट होने वाली है। साफ है कि नालों की साफ-सफाई का काम सही ढंग से न कर पाने की कीमत आम दिल्ली वासी को ही चुकानी पड़ती है।

दुखद यह है कि इसका कोई हल नहीं है। जैसे कि कई विभागों, निगमों, सियासी नेताओं और स्मार्ट सिटी के दावों के बीच दिल्ली की सड़क पर एक ड्राइवर के मौत की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।

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