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मिज़ोरम विधानसभा चुनाव : क्या भाजपा अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने की रणनीति में सफल होगी?

ममित के एक स्थानीय निवासी का कहना है कि, "बेरोज़गार युवा नौकरियों, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर अधिक चिंतित हैं।"
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फ़ोटो : PTI

"भाजपा इस बार मिजोरम में काफी प्रयास कर रही है, खासकर ममित में, लेकिन यह सब यहां जीत सुनिश्चित करने के लिए काफी नहीं है," सरकारी ममित कॉलेज के फ़ेकल्टी सदस्य डॉ. हनमते ने कहा, जो डिप्टी कमिश्नर, ममित के कार्यालय में डाक द्वारा मतदान करने का इंतजार कर रहे हैं। ह्नमते उन लोगों में से हैं जिन्हें चुनाव की जिम्मेदारियां सौंपी गई है। 

ममित निर्वाचन क्षेत्र इस बार निश्चित रूप से काफी महत्वपूर्ण हो गया है - यह इस बात से स्पष्ट है कि भाजपा ने इस पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है। पीएम नरेंद्र मोदी को इस निर्वाचन क्षेत्र में सबसे पहले एक चुनावी सभा को संबोधित करना था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी दौरा करने का कार्यक्रम था, लेकिन वह भी रद्द हो गया। आखिरकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए उतरे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पहले डंपा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर चुके हैं।  ममित से भाजपा उम्मीदवार लालरिनलियाना सेलो, मिजोरम विधानसभा के अध्यक्ष थे और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) का हिस्सा थे। चुनाव की तारीखों के ऐलान से कुछ दिन पहले ही उन्होंने एमएनएफ से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

भाजपा अल्पसंख्यकों पर रणनीतिक फोकस कर रही है

पूरे मिज़ोरम में, एक आम मुद्दा जो सभी चर्चाओं में हावी रहा है वह है भाजपा की रणनीति। न्यूज़क्लिक ने ममित कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर वानरामरोपुइया सेलो से बात की, जिनकी राय है कि भाजपा मिज़ोरम में अल्पसंख्यक समुदायों - विशेष रूप से चकमा और ब्रू को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस विचार को मिज़ोरम में व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है।

एक सरकारी अधिकारी ने गुमनाम रहने की शर्त पर कहा, "देखिए, कोई भी मिज़ो भाजपा को वोट नहीं देगा।" "सबसे पहली बात, भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर भरोसा करती है और ऐसा लगता है कि उनका ईसाइयों के प्रति नकारात्मक रवैया है। दूसरा, केंद्र सरकार और मणिपुर की राज्य सरकार हमारे रिश्तेदारों – और उनके परिवारों से संबंधित लोगों की रक्षा नहीं कर सकी। उन्होने सवाल दागा कि, कोई कैसे इन पर भरोसा कर सकता है?" 

अधिकारी ने बताया कि, "लेकिन वे एक अन्य रणनीति अपना रहे हैं, जो गैर-मिज़ो वोटों, विशेष रूप से चकमा और ब्रू पर केन्द्रित है। इन समुदायों की ममित में काफी महत्वपूर्ण उपस्थिति है।" "यही कारण है कि भाजपा यहां कड़ी मेहनत कर रही है, पीएम और केंद्रीय गृहमंत्री सहित सभी बड़े नेता सबसे पहले ममित का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। लेकिन मिजोरम के सीएम ने मोदी जी के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दिया है, और शायद प्रधानमंत्री ने इसलिए अपनी यात्रा रद्द कर दी है।" 

ममित जिला तीन निर्वाचन इलाकों से बना है: डम्पा, हाचेक और ममित। ममित निर्वाचन क्षेत्र में, लगभग 23,000 मतदाता हैं, जिनमें से 7,000 से अधिक ब्रू और चकमा हैं। ममित के स्थानीय लोगों के अनुसार, भाजपा इन 7,000 वोटों को अधिकतम सीमा तक एकजुट करने का प्रयास कर रही है। हालाँकि, एक रिपोर्ट बताती है कि भाजपा के अनुसार, संयुक्त अल्पसंख्यक मतदाता लगभग 12,000 होंगे।

ममित के प्रमुख अखबार ममित टाइम्स के संपादक रामदीना ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि, ''मैं इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि यहां से भाजपा जीतेगी।'' उन्होंने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि भाजपा यहां अल्पसंख्यक वोटों को विभाजित करके एकजुट करने की कोशिश कर रही है। मतदाताओं के बारे में उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि, "कुछ वोट विभाजित हो सकते हैं, लेकिन सभी अल्पसंख्यक समुदाय निश्चित रूप से भाजपा को वोट नहीं देंगे। हालाँकि, यह एक कड़ी टक्कर होगी, जहाँ एमएनएफ और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट के उम्मीदवारों के अच्छे प्रदर्शन करने की उम्मीद है। रामदीना ने यह भी कहा कि कुल मिलकर संयुक्त अल्पसंख्यक वोट 7,000-8,000 के बीच होंगे।  

ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ज़ेडपीएम) को इस बार मिज़ोरम में एक उभरती हुई ताकत माना जा रहा है और यह सरकार बनाने की प्रबल दावेदार बन सकती है। यह अपेक्षाकृत एक नई पार्टी है, जिसने पिछले चुनाव में छह निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी।

न्यूज़क्लिक ने पेशे से वकील और ममित में जेड़पीएम के चुनाव एजेंट श्री वाना से बात की। उन्होंने माना कि भाजपा अल्पसंख्यकों पर रणनीतिक फोकस कर रही है और दावा किया, "मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर वे (भाजपा) चुनाव से पहले कुछ शरारती गतिविधियों में शामिल हों जाए। नामांकन दाखिल करने के दिन, नागालैंड के डिप्टी सीएम उपायुक्त कार्यालय में उपस्थित थे। हमने कई ऐसे लोगों को देखा जो न तो ममित से थे, न ही मिज़ोरम से। निश्चित रूप से उन्हें दूसरे राज्यों से लाया गया था।"

उन्होंने कहा कि, "मिज़ोरम में मिज़ो या ज़ो-राष्ट्रवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और ऐसे में मिज़ो लोग भाजपा पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। भाजपा सारे अल्पसंख्यक वोट हासिल  नहीं कर पाएगी। मुझे नहीं लगता कि भाजपा ममित में जीत पाएगी।"

वाना ने कहा कि, "भाजपा धन की ताक़त के मामले में मजबूत है। हम, विशेष रूप से जेडपीएम, धन की भारी कमी से पीड़ित हैं। हम एक नई पार्टी हैं, जो लोगों के हितों के लिए लड़ रहे हैं। हम मतदाताओं को रिश्वत नहीं दे सकते; हम केवल उनका विश्वास जीत सकते हैं।" 

मामित में वोटों का बंटवारा कितना मददगार होगा?

यह पहली बार नहीं है जब भगवा पार्टी ने यह रणनीति अपनाई है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि 2018 के चुनाव में, पार्टी ने इसी दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया था, लेकिन हार गई, एमएनएफ ने जीत उनसे छीन ली थी।

भाजपा उम्मीदवार लालरिनलियाना सेलो, जो विधानसभा अध्यक्ष और एमएनएफ नेता थे, ने आइजोल जिले के चाल्फिल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

ममित के एक अधिकारी ने कहा कि, "लेकिन इस बार स्थिति अलग हो सकती है।" "अगर मिज़ो वोट एमएनएफ, जेडपीएम और कांग्रेस के बीच विभाजित हो जाते हैं, तो भाजपा को मौका मिल सकता है। हालांकि, मुझे लगता है कि एमएनएफ मजबूत है।"

"हाचेक निर्वाचन क्षेत्र में, लड़ाई कांग्रेस और एमएनएफ के बीच है, जबकि डंपा सीट दिलचस्प है, जहां एमएनएफ उम्मीदवार मौजूदा विधायक है, वे भाजपा के उम्मीदवार हैं और साथ ही प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, और कांग्रेस उम्मीदवार पहले जेडपीएम के साथ चले गए हैं।“ उनका मानना है कि, भाजपा को वहां कोई मौका नहीं मिलेगा। 

न्यूज़क्लिक ने सेंट्रल यंग चकमा एसोसिएशन (सीवाईसीए) के एक प्रतिनिधि से बात की, जिन्होंने कहा कि, "यह सोचना कि मिज़ोरम में चकमा भाजपा को वोट देंगे, ठीक नहीं है। वे ममित के बारे में बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन किसी को अन्य स्थानों पर भी देखना चाहिए। उदाहरण के लिए, तुइचावंग निर्वाचन क्षेत्र, जहां 2018 में एकमात्र भाजपा उम्मीदवार [बुद्ध धन चकमा] ने जीत हासिल की थी। वह अब राजनीति से सेवानिवृत्त हो गए हैं, और वर्तमान उम्मीदवार, दुर्या धन चकमा, पिछले महीने ही एमएनएफ से निकालकर भाजपा में शामिल हुए हैं।"

उन्होंने कहा कि, ''मिजोरम में लोग उन लोगों पर विश्वास नहीं करते हैं जो बार-बार अपनी पार्टियां बदलते हैं।'' उन्होंने संकेत दिया कि यह निर्वाचन क्षेत्र भाजपा की पकड़ से फिसल सकता है।

उनका मानना है कि, "चकमा समुदाय के लोग अब कह रहे हैं कि हमारे समुदाय के दिग्गज नेताओं को भाजपा ने मैदान में नहीं उतारा है। यह एक संकेत है कि दलबदल हो सकता है।

गौरतलब बात है कि यह मामला अकेले ममित जिले का नहीं है; भाजपा म्यांमार की सीमा से लगे लॉन्ग्टलाई जिले के दक्षिणी हिस्से में सियाहा और पलक जैसे अन्य निर्वाचन क्षेत्रों पर भी नजर रख रही है, जहां अल्पसंख्यक मतदाता काफी भूमिका निभाते हैं। राजनाथ सिंह सियाहा भी गए और ममित में अपने संबोधन में उन्होंने मणिपुर में हिंसा का जिक्र करते हुए मैतेई और ज़ो लोगों के बीच 'दिल से दिल' की बातचीत के बारे में बात की। कई लोग इसे मिजोरम में नुकसान को कम करने के लिए भाजपा नेता द्वारा उठाए गए कदम के रूप में देखते हैं। ममित में एक स्थानीय युवक शाना, जो टैक्सी ड्राइवर के रूप में अपनी आजीविका कमाता है, ने कहा कि, "लेकिन इससे मिजोरम में, खासकर मिज़ो लोगों के बीच, भाजपा की छवि में सुधार होने की संभावना बहुत कम है।" "बल्कि, बेरोजगार युवा नौकरियों, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और राज्य की आर्थिक स्थितियों में सुधार के बारे में अधिक चिंतित हैं। ज़ो-राष्ट्रवाद महत्वपूर्ण है, और मिजोरम में भाजपा को छोड़कर सभी दल समान हैं; इसलिए, मुख्य मुद्दा नौकरियां और समृद्धि का है।''

शाना ने जो कहा वह इस बार मिजोरम में युवाओं की आकांक्षाओं को दर्शाता है। सभी बातों पर विचार करने पर, पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा की राह कठिन हो सकती है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Mizoram Assembly Polls: Will BJP Succeed with its Strategy of Consolidating Minority Votes?

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