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महाराष्ट्र में मुंबई कोरोना हॉटस्पॉट, पर मृत्यु-दर में सबसे आगे सोलापुर

कोरोना दिनोंदिन राज्य की सेहत तो खस्ता कर ही रहा है। हालात इस हद तक बेकाबू बना रहा है कि पूरा चिकित्सा-तंत्र ही पटरी से उतरता दिख रहा है। इसके अलावा अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद सामान्य जन-जीवन पटरी पर नहीं लौट रहा है।
covid-19

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को बुरी तरह चपेट में लेने के बाद विशेषकर पिछले पंद्रह दिनों में कोरोना महाराष्ट्र के कोने-कोने में बहुत तेजी से फैल रहा है। कोरोना संक्रमण के मामले में मुंबई के बाद ठाणे और पुणे की स्थितियां विकराल रूप ले चुकी हैं। इसी तरह, यदि कोरोना मरीजों की मृत्यु-दर पर निगाह डाली जाए तो सोलापुर और जलगांव की हालत मुंबई से कहीं अधिक गंभीर हो चुकी है। कोरोना दिनोंदिन राज्य की सेहत तो खस्ता कर ही रहा है। हालात इस हद तक बेकाबू बना रहा है कि पूरा चिकित्सा-तंत्र ही पटरी से उतरता दिख रहा है। राज्य का खजाना तो पहले ही खाली बताया जा रहा था। लेकिन, अब लंबे समय से खाली हाथ बैठे लोगों की परिस्थितियों ने दयनीय रूप ले लिया है। 

यह सच है कि महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना रोगियों और इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है। लेकिन, रोगियों में मृत्यु-दर के मामले में सोलापुर सबसे आगे है। सोलापुर में मृत्यु-दर 7.97 प्रतिशत है। जबकि, मुंबई में यह 5.6 प्रतिशत है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य के एक अन्य जिले जलगांव में कोरोना रोगियों की संख्या 6,355 पर पहुंच गई है। जबकि, यहां 361 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस तरह, मृत्यु-दर के मामले में जलगांव भी मुंबई की बराबरी पर आ गया है। 

सोलापुर नगर-निगम में कोरोना संक्रमितों के 3,514 प्रकरण सामने आ चुके हैं। इनमें 318 मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, सोलापुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 954 रोगियों में से 39 की मौत हुई है। वहीं, जलगांव जिले में तस्वीर इससे अलग है। यहां शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण अंचल में कोरोना का प्रकोप अधिक देखा जा सकता है। जलगांव जिले के गांवों में 4,789 कोरोना मरीजों में 298 की मौत हो चुकी है। जबकि, यदि जलगांव नगर-निगम की बात करें तो 1,566 कोरोना मरीजों में 63 की मौत हुई है।

राज्य में सोलापुर, मुंबई और जलगांव के बाद लातूर (4.88 प्रतिशत), धुले (4.84 प्रतिशत) और जालना (4.33 प्रतिशत) जिले कोरोना मरीजों की मृत्यु-दर के मामले में संवेदनशील बनकर उभरे हैं। इसी क्रम में भिवंडी (ठाणे (3.87 प्रतिशत), नवी मुंबई (2.67 प्रतिशत) और ठाणे ग्रामीण (2 प्रतिशत) में भी कई कोरोना मरीज दम तोड़ चुके हैं।

स्पष्ट है कि राज्य की राजधानी मुंबई के अलावा अन्य जिलों में भी कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पिछले पंद्रह दिनों में 21 जिलों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। इन जिलों में ठाणे, पुणे, पालघर, रायगढ़, सांगली, सोलापुर, अहमदनगर, जलगांव, जालना, बीड, लातूर, परभनी, नांदेड़, उस्मानाबाद, वाशिम, बुलढाणा, यवतमाल, वर्धा, गोंदिया, चंद्रपुर और गढ़चिरौली शामिल हैं। 

सभी ज़िले कोरोना की चपेट में

बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तीन लाख के नजदीक पहुंच गई है। वहीं, इस विषाणु से अब तक करीब ग्यारह हजार लोगों की मौत हो चुकी है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में अब ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जब कोरोना से सौ से सवा सौ लोगों की जान नहीं जा रही हो।

राज्य के सभी जिले और कोने कोरोना की जबर्दस्त चपेट में हैं। अकेले मुंबई में कुल रोगियों की संख्या एक लाख के पार जाती दिख रही है। यहां कोरोना से अब तक करीब छह हजार लोगों की मौत हो चुकी है। स्थिति यह है कि इस महानगर में हर दिन बीस से पच्चीस लोग कोरोना के कारण दम तोड़ रहे हैं।

मुंबई से लगे ठाणे जिले में भी हालात काबू से बाहर होते दिख रहे हैं। यहां रोगियों की संख्या अड़सठ हजार हो चुकी है। वही, मौतों की संख्या उन्नीस सौ से अधिक पहुंच गई है।

कोरोना संक्रमण की दृष्टि से राज्य के टॉप पांच जिलों में मुंबई और ठाणे के बाद क्रमशः पुणे, पालघर और रायगढ़ हैं। पुणे में हालत बेकाबू है जहां कोरोना रोगियों की संख्या पैंतालीस हजार और मृतकों की संख्या बारह सौ अधिक हो गई है। इसके बाद, पालघर में रोगियों की संख्या ग्यारह हजार और मृतकों की संख्या ढाई सौ हो गई है। टॉप पांच में शामिल एक अन्य जिले रायगढ़ में रोगियों की तादाद करीब दस हजार और मृतकों की तादाद दो सौ के नजदीक पहुंच गई है।

यदि आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर और अधिक विस्तार में जाएं तो भिवंडी जैसे के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यही हाल वसई-विरार क्षेत्र में देखा जा सकता है। यहां करीब दस हजार रोगी मिले हैं। वहीं, मरने वालों की संख्या दो सौ के पास पहुंच गई है।

इसी तरह, नवी मुंबई में भी कोरोना पीड़ितों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इसी अनुपात में मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। यहां रोगियों की संख्या दस हजार का आंकड़ा छू चुकी है। नवी मुंबई में कोरोना से करीब साढ़े तीन सौ लोगों की मौत हो गई है। इस दौरान, पनवेल में रोगियों की संख्या छह हजार से अधिक हो गई है। जबकि, यहां अब तक लगभग डेढ़ सौ लोगों की मौत हो चुकी है।

पुणे में आठ हज़ार बिस्तरों की ज़रूरत

पुणे के लोगों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए अगले पंद्रह दिनों में लगभग आठ हजार बिस्तरों की आवश्यकता बताई जा रही है। हालांकि, इस संबंध में नगर-निगम नए रोगियों को समायोजित करने के लिए पांच हजार नए बिस्तर उपलब्ध कराने की तैयारी में जुटी है।

पुणे शहर में कोरोना संक्रमण की गति यह है कि हर दिन साढ़े आठ सौ से एक हजार नए प्रकरण सामने आ रहे हैं। ऐसे समय बड़ी संख्या में लगातार रोगियों द्वारा बिस्तर उपलब्ध न होने की शिकायते आ रही हैं। शिकायतों से यह बात स्पष्ट हो रही है कि नगर-निगम के अस्पतालों के कमरों सहित 13 कोविड देखभाल केंद्रों में बिस्तरों की कमी है। इसी तरह, इन केंद्रों पर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की मांग भी बढ़ रही है।

आंकड़े बताते हैं कि पुणे और ठाणे में मुंबई से अधिक कोरोना संक्रमित प्रकरण सामने आ रहे हैं। शुक्रवार, 17 जुलाई को जारी आंकड़ों के मुताबिक पुणे में कोरोना संक्रमित कुल सक्रिय मामलों की संख्या 27,389 है। जबकि, इस दौरान मुंबई में यह संख्या 24,307 है। राज्य में कुल कोरोना सक्रिय संक्रमितों में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले पुणे की है।

बता दें कि महाराष्ट्र में अब तक छह हजार पुलिसकर्मी भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें अस्सी से ज्यादा की मौत हो चुकी है। वहीं, राज्य की पहली चुनाव आयुक्त नीला सत्यनारायण की 72 वर्ष की उम्र में कोरोना से मौत हो चुकी है। इसी तरह, राज्य के पूर्व सीएम 88 वर्षीय शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्हें पुणे की एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

दूसरी तरफ, कोरोना संक्रमण की दृष्टि से देश में नंबर वन राज्य महाराष्ट्र टेस्ट के मामले में पिछड़ रहा है। राज्य में हर दस लाख की आबादी पर महज 198 टेस्ट हो रहे हैं। जबकि, तमिलनाडु और कर्नाटक में हर दस लाख आबादी पर क्रमशः 563 और 250 टेस्ट हो रहे हैं।

निम्न-मध्यम वर्ग पर बड़ी मार

कोरोना ने राज्य की अर्थव्यवस्था को भी चरमरा दिया है। पिछले दिनों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद सामान्य जन-जीवन पटरी पर नहीं लौट रहा है। पिछले चार महीने के दौरान इसका बुरा असर आम जनता और खास तौर से निम्न-मध्यम वर्ग परिवारों की रोजीरोटी पर पड़ा है।

कोरोना के कारण राज्य में विदर्भ के कपास उत्पादक किसान और कारोबारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस वर्ष आशंका है कि देश में सीजन के अंत में 50 लाख कपास की बेलों (एक बेल में 170 किलोग्राम रुई) का स्टॉक रहेगा। घरेलू कपड़ा उद्योग में कम खपत और निर्यात में भारी गिरावट के कारण इस बार यह स्थिति बनी है। इसी तरह, धागे की कीमतों में कमी के कारण पश्चिम महाराष्ट्र का धागा उद्योग बैठ गया है।

देश के अधिकतर छोटे किसान आज भी खेतीबाड़ी के लिए बैलों पर निर्भर हैं। सामान्यत: बैलों की खरीदी और बिक्री की गतिविधियां मानसून के पहले की जाती हैं। लेकिन, इस बार लॉकडाउन के दौरान बैल बाजारों के लिए प्रसिद्ध राज्य के यवतमाल जिले में इस तरह के बाजार बंद रहे। इसका दुष्परिणाम पशुपालक और छोटे किसानों पर पड़ा। इसी काल में निर्यात की प्रक्रिया ठप रही। इस कारण जलगांव का दाल उद्योग घाटे में चला गया।

लॉकडाउन का प्रभाव खंडाला और लोनावला जैसे उन पर्यटन-स्थलों पर पड़ा जहां पर्यटकों की आवाजाही बंद होने से हजारों चिक्की विक्रेता, टैक्सी चालक और होटल सेक्टर के कर्मचारियों बेरोजगार हो गए। वहीं, इस साल विदर्भ में महज 25 प्रतिशत तेंदूपत्ता ही नीलाम हुआ। इससे अनेक आदिवासी गांवों में अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।

खासी मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और निर्यात के मामले में सांगली का किशमिश दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन, इस बार किसान और कारोबारियों पर कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि करीब पांच सौ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इसी तरह, सतारा में स्ट्राबेरी व्यवसाय में चालीस प्रतिशत तक घाटा सहना पड़ा है। इसके अलावा मराठी फिल्म, थियेटर, लावणी जैसे नृत्य से जुड़े कलाकारों से लेकर घरेलू कामगार तथा तलाकशुदा महिलाओं के गुजारा भत्तों तक पर कोरोना का साया घना होता गया है।

(शिरीष खरे स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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