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वेतन समझौता लागू करने में केंद्र की देरी के ख़िलाफ़ नाबार्ड यूनियनों की 30 को हड़ताल

30 अगस्त को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में नाबार्ड के 3,500 से ज़्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस हड़ताल को हड़ताल ऑल इंडिया नाबार्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईएनबीओए) ने भी समर्थन दिया है।
वेतन समझौता लागू करने में केंद्र की देरी के ख़िलाफ़ नाबार्ड यूनियनों की 30 को हड़ताल

दिल्ली: नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के कर्मचारियों और अधिकारियों ने 2017 से लंबित वेतन संशोधन सहित अन्य मांगों के चार्टर के निपटारे के लिए 30 अगस्त को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का फैसला किया है।

नाबार्ड के 3,500 से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस यूनियन ने वेतन संशोधन के अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने और संचालन में देरी के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय की आलोचना की है। इस प्रस्ताव को देश के सर्वोच्च विकास वित्त संस्थान के निदेशक मंडल की बैठक में मंज़ूरी दी जा चुकी है।

अखिल भारतीय नाबार्ड कर्मचारी संघ (एआईएनबीईए) ने इस महीने की शुरुआत में हड़ताल करने की नोटिस में कहा था कि वेतन संशोधन में देरी ने नाबार्ड के कर्मचारियों को परेशान कर दिया है।

एआईएनबीईए ने कहा कि नाबार्ड के कर्मचारियों के वेतन के संशोधन में देरी से इन कर्मचारियों को "सभी आवश्यक कीमतों की बढ़ती कीमतों के मौजूदा स्थिति में वास्तविक वेतन का नुक़सान उठाने" को मजबूर किया जा रहा है।

उनके हड़ताल की नोटिस में आगे कहा गया है, "इससे ऐसे एमओएस से बढ़ी हुई वेतन के मामले में लाभ निष्प्रभावी हो जाता है।"

एआईएनबीईए के महासचिव राणा मित्रा ने मंगलवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि नाबार्ड प्रबंधन और उसके कर्मचारी एसोसिएशन के बीच इस साल फरवरी में समझौता ज्ञापन (एमओएस) का मसौदा तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मार्च में नाबार्ड के निदेशक मंडल की बैठक में भी मंजूरी दी गई थी जिसमें वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि शामिल थे।

मित्रा ने कहा, "इस प्रस्ताव को अंतिम तौर पर मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग को भेजा गया था। हालांकि, उनकी तरफ से इसकी मंज़ूरी चार महीने से लंबित है।"

उनके अनुसार, वेतन को लेकर एमओएस का ये मौजूदा मसौदा अपने आप में आठवां ऐसा वेतन समझौता है जो नाबार्ड में एआईएनबीईए और प्रबंधन के बीच हस्ताक्षर हुए सभी पिछले वेतन के समझौते के अनुरूप है।

मित्रा ने कहा, "मौजूदा निपटान अवधि का कार्यकाल जिसे नवंबर 2017 से अक्टूबर 2022 तक ही संचालित किया जाना है वह कुछ महीनों में ही समाप्त हो रहा है। अन्य वित्तीय संस्थानों में इसी तरह के वेतन समझौते बहुत पहले समाप्त हो गए थे। इन संस्थानों में ट्रेड यूनियन अपनी अगली मांगों को पेश करने की प्रक्रिया में हैं। और नाबार्ड में हज़ारों कर्मचारी इसके लिए मजबूर हैं।"

न्यूज़क्लिक को मिली जानकारी के अनुसार 30 अगस्त को एक दिन की इस हड़ताल के आह्वान को ऑल इंडिया नाबार्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईएनबीओए) ने भी समर्थन दिया है।

संयोग से पिछले महीने की शुरुआत में दोनों संगठनों ने कथित तौर पर प्रबंधन से एक आश्वासन के बाद 'दिल्ली चलो' विरोध कार्रवाई को स्थगित करने का फैसला किया। इस आश्वासन में कहा गया था कि "संशोधित वेतन के तत्काल निपटान का मुद्दा भारत सरकार के साथ प्रबंधन द्वारा सक्रिय रूप से उठाया गया है।"

एआईएनबीईए द्वारा इस हड़ताल की नोटिस में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से रियायती धन के प्रवाह के माध्यम से नाबार्ड के विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआई) की क्षमता को मजबूत करने के मुद्दे का जिक्र किया गया है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विनियमन के लिए एक शीर्ष नियामक निकाय के रूप में कार्य करते हुए नाबार्ड देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और अन्य आर्थिक गतिविधियों के मामले में वित्तीय समावेशन के विकास और कार्यान्वयन में सक्रिय रहा है। साल 1993 तक नाबार्ड के ग्रामीण क्रेडिट फंड में नियमित योगदान आरबीआई द्वारा किया जाता था जो नाबार्ड के लिए मानक संस्थान के रूप में कार्य करता है।

मित्रा ने मंगलवार को न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारा संघ आरबीआई से धन के प्रवाह को बहाल करने के लिए दबाव डाल रहा है जो देश में दीर्घकालिक कृषि-वित्त संरचना को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और इसके कमज़ोर होने को अब नीति निर्माताओं ने भी स्वीकार कर लिया है।"

इससे पहले नाबार्ड की पुनर्वित्त नीति में बदलाव व छोटे, सीमांत और ग़रीब किसानों से कृषि के नाम पर कॉरपोरेट्स को वित्तपोषित करने के आरोप भी मीडिया में सामने आ चुके हैं। नाबार्ड के कर्मचारी संघ ने भी इस तरह के प्रयास की निंदा की है।

इस बीच, इन कर्मचारियों और अधिकारियों को देश के अन्य कर्मचारियों और किसान संगठनों से भी समर्थन मिला है।

संसद सदस्य इलामारम करीम ने भी इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे गए एक पत्र में इस मुद्दे को उठाया था।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता ने 4 अगस्त को लिखे पत्र में वित्त मंत्री सीतारमण से नाबार्ड के कर्मचारियों के लिए वेतन संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने और विकास वित्त संस्थान में "सौहार्दपूर्ण औद्योगिक संबंध" का निर्माण सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

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