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रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल कर्मियों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कल!

“चेतावनी दिवस” के रूप में मनाए जाने वाले इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में देश के सभी 68 रेलवे मंडलों के रेलकर्मियों के भाग लेने की उम्मीद है। 
रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल कर्मियों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कल!

अखिल भारतीय रेलकर्मी परिसंघ (एआइआरएफ) ने केंद्र सरकार के हालिया परिसंपत्ति मुद्रीकरण ढ़ांचे (एनएमपी) के खिलाफ 8 सितम्बर बुधवार को राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया है। रेलकर्मी सरकार के इस फैसले को भारतीय रेलवे की परिसंपत्ति की “एकमुश्त बिक्री” करार दे रहे हैं।

“चेतावनी दिवस” के रूप में मनाए जाने वाले इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में देश के सभी 68 रेलवे मंडलों के रेलकर्मियों के भाग लेने की उम्मीद है।  

नरेन्द्र मोदी सरकार की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की एक चार वर्षीय योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है, जो संरचनागत परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से जुड़ी होगी। इस घोषणा के कुछ ही दिनों बाद देश की सबसे बड़ी रेलवे यूनियन ने सरकार की इस घोषणा के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। इस निर्णय के तहत सरकार अपने कुछ ढांचों के स्वामित्व में बिना बदलाव किए ही, उनके राजस्व का अधिकार एक निश्चित अवधि के लिए निजी हाथों में सौंप देगी। इसकी एवज में वह उन कंपनियों से पैसा कमाएगी। 

एआइआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने सोमवार को न्यूजक्लिक से कहा, “सरकार की योजना और कुछ नहीं, आखिरकार रेलवे का निजीकरण करना है। सरकार का इरादा एनएमपी के अंतर्गत भारतीय रेलवे की आस्तियों की एकमुश्त बिक्री करना है। इसे रेलकर्मी होने नहीं देंगे।” 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में कहा था कि एनएमपी के अंतर्गत छह लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने का लक्ष्य है। यह राशि सड़क, रेलवे, ऊर्जा, खनन, उड्डयन, बंदरगाहों, भंडारगृह, स्टेडियम आदि क्षेत्रों की संरचनागत आस्तियों-परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से जुटाई जाएगी। 

छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की एनएमपी की योजना में रेलवे की संभावित मौद्रिक हिस्सेदारी 1.5 लाख करोड़ की राशि होगी। रेलवे की अन्य आस्तियों के अलावा, 400 रेलवे स्टेशनों, 150 पैसेंजर ट्रेनें, 2,843 किलोमीटर का समर्पित मालवाहक गलियारा (डेडिकेटेड फ्राइट कोरिडोर) एवं रेल परिचालन पथ ढांचा (ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर) शामिल हैं। 

मिश्रा ने कहा, “बुधवार को, रेलकर्मी इस योजना को रदद् करने के लिए सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। अगर, यह नहीं होता है तो देश इस नीति के विरोध में रेलकर्मियों का लगातार संघर्ष देखेगा।” 

इस बीच, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के टेलीकॉम कर्मचारी भी राज्य के स्वामित्व वाले टॉवर्स के मुद्रीकरण किए जाने की सरकार की घोषणा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऑल यूनियन एवं एसोसिएशन ऑफ बीएसएनएल (एयूएबी) ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर 21 सितम्बर से तीन दिनों के धरना का आह्वान किया है। इसके पहले दूरसंचारकर्मियों ने छह सितम्बर को धरना देने का निर्णय किया था। 

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनें (सीटू), ने सरकार की एनएमपी घोषणा को “राष्ट्रीय आस्तियों की लूट” करार दिया था। सीटू ने एक वक्तव्य जारी कर कहा था, “यह योजना राष्ट्रीय ढांचे की आस्तियों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को निजीकरण के जरिए या लीज पर देकर उन्हें बिना कोई पूंजी लगाए ही अकूत धन कमाने की इजाजत देना है।” 

एआइआरएफ के महासचिव मिश्रा ने सोमवार को कहा कि केंद्र की एनएमपी की घोषणा का संगठित विरोध करने के लिए सभी यूनियनों को एक छतरी के नीचे लाने की भी योजना है। उन्होंने कहा, “हम विरोध की इस मुहिम में आम लोगों को भी शामिल करने की कोशिश करेंगे, क्योंकि आखिरकार उन्हें ही तो सरकार के इस फैसले की कीमत चुकानी पड़ेगी।” 

इनके अलावा, राजनीतिक पार्टियां भी एनएमपी के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी रैलियां निकालने की तैयारी कर रही हैं। एकतरफ कांग्रेस ने राष्ट्र की परिसंपत्ति के मुद्रीकरण की योजना के विरोध में केंद्र पर हमला बोलने का अभियान तेज करने की बात कही है तो तृणमूल कांग्रेस भी इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी विरोध की तैयारी कर रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पिछले महीने दिए अपने एक वक्तव्य में सरकार के उस फैसले को “परिवार की चांदी बेचने ” का आरोप लगाया था, जिसका “न तो आर्थिक मतलब है और न इसके पीछे कोई कॉमन सेंस ही है।”

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

NMP: Railwaymen to Hold Nationwide Protest on Sept 8 Against Asset Monetisation Framework

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