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लापरवाही : छह महीने बाद भी बच्चों को नहीं मिली किताबें, अभिभावकों को चिंता

विभाग की ओर से पहली से आठवीं कक्षा के लिए 8.95 लाख सेट किताब की डिमांड राज्य मुख्यालय को भेजी गयी थी, जिसमें केवल पांच हज़ार छात्र-छात्राओं को ही किताब मिल सकी हैं।
Muzaffarpur
प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार हिंदुस्तान टाइम्स

मौजूदा सत्र की पढ़ाई शरू हुए छह महीने बीत चुके हैं लेकिन मुजफ्फरपुर जिले के करीब 8.90 लाख बच्चों को किताब नहीं मिल पाई है। ऐसे में बच्चे कैसे पढा़ई करें यह चिंता की बात है। इसको लेकर अभिभावकों अपने भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी हुई है। पिछले साल कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है। हालांकि बिहार में स्कूलों को खोल दिया गया है लेकिन किताब न होने के चलते बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एहतियाती तौर पर प्राइमरी स्तर का स्कूल अभी नहीं खोला गया है। 15 नवंबर तक इसके भी खुलने की संभावना है।

विभाग की लापरवाही

विभाग की लापरवाही के चलते बच्चों और अभिभावकों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार विभाग की ओर से पहली से आठवीं कक्षा के लिए 8.95 लाख सेट किताब की डिमांड राज्य मुख्यालय को भेजी गयी थी, जिसमें केवल पांच हजार छात्र-छात्राओं को ही किताब मिल सकी हैं। शिक्षा विभाग ने बच्चों को किताब उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निजी प्रकाशकों को दी है। 30 सितंबर तक का लक्ष्य रखा गया था। संकुल स्तर पर पुस्तक क्रय मेला लगाने को कहा गया था लेकिन 251 में केवल तीन संकुलों में ही किताब उपलब्ध कराई गई।

किताब ख़रीदने को विभाग की ओर से बच्चों को दिया जा रहा पैसा 

रिपोर्ट के अनुसार पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को किताब के लिए विभाग की ओर से पैसा दिया जा रहा है। छात्र या उनके अभिभावक के खाते में यह पैसा सीधे भेजा जा रहा है। वहीं प्रकाशक पुस्तक क्रय मेला लगाएंगे जहां से बच्चे खुद किताब खरीदेंगे। कक्षा के अनुसार किताबों के सेट की राशि तय की गयी है। वहीं प्रकाशकों ने जो किताबें उपलब्ध करायी है, उसमें कई क्लास का अधूरा सेट ही है।

बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी चौपट

बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी चौपट हो चुकी है जिससे अभिभावकों को अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। विभाग के साथ ही शिक्षकों की उदासीनता इसकी मुख्य वजह है। इसका खुलासा विभाग की पिछले महीने जारी रिपोर्ट में हुआ। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तैयार इ-लॉट्स (इ-लाइब्रेरी फॉर टीचर्स एंड स्टूडेंट्स) पोर्टल से शिक्षक खुद तो जुड़ गये लेकिन बच्चों को इसके बारे में बताना मुनासिब नहीं समझा।

इस पोर्टल को 13 मई को लांच किया गया था जिस पर पहली से 12वीं क्लास तक के लिए लर्निंग मैटीरियल उपलब्ध है।

डीपीओ अमरेंद्र कुमार पांडेय प्रभात खबर से कहा कि जिले से पहली से आठवीं क्लास के लिए 8.95 लाख सेट पुस्तक की डिमांड की गयी थी। इसमें पहली क्लास के लिए किताब अभी नहीं मिली है। दूसरी से आठवीं क्लास की किताबों के आठ लाख से अधिक सेट सितंबर में उपलब्ध कराने के लिए प्रकाशकों को कहा गया था। अबतक केवल पांच हजार सेट किताबें ही जिले को मिली हैं। और किताबें कब तक मिलेंगी, इसकी जानकारी नहीं हो सकी है।

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