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यूक्रेन युद्ध : अगले 100 दिनों में क्या हो सकता है?

इस युद्ध का अभी तक कोई स्पष्ट अंत नज़र नहीं आ रहा है।
ukrain

गार्जियन अख़बार के अनुसार, संघर्ष में यूक्रेनी हताहतों की संख्या प्रतिदिन 600 से 1,000 के बीच चल रही है।

न्यूयॉर्क स्थित काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस ने 31 मई को (रसिया’ज वार इन उक्रेन: होउ डज  इट एन्ड्स) यूक्रेन में रूस का युद्ध: कैसे समाप्त होगा? शीर्षक से एक वीडियोकांफ्रेंसिंग की थी, थिंक टैंक के अध्यक्ष रिचर्ड हास ने वीडियोकांफ्रेंसिंग में हिस्सा लेने वाले पैनल की अध्यक्षता की – और पैनल में स्टीफन हेडली, प्रो॰ चार्ल्स कुपचन, अलीना पॉलाकोवा और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) स्टीफन ट्विट्टी थे। यह उदार अंतर्राष्ट्रीयवादी धारा के प्रभुत्व वाली वह महान चर्चा थी जिसने अब तक राष्ट्रपति जो बाइडेन की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम का मार्गदर्शन किया है, जो यूक्रेन को रूस के खिलाफ एक लंबा युद्ध लड़ने में मदद करना चाहती है।

इस चर्चा के बारे में जो महत्वपूर्ण बात थी वह यह कि एक पूर्व-जनरल ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया, जो खुद वास्तव में युद्धों में लड़ चुके हैं, कि यूक्रेन के पास रूस को पराजित करने का कोई तरीका नहीं है, और इसलिए, युद्ध के अंत के बारे में कुछ स्पष्टता होनी चाहिए जो रूस को "कमजोर" करने के लिए लड़ा जा रहा है। सबका निराशाजनक पूर्वानुमान यह था कि यूरोपीय एकता युद्ध को आगे नहीं बढ़ा पा रही है।

तीसरा, एक प्रशंसनीय परिदृश्य यह होगा कि रूस, यूक्रेन को एक "रुके हुए संघर्ष" के क्षेत्र में बदल दे, तब- जब युद्ध का वर्तमान चरण डोनबास की प्रशासनिक सीमाओं तक पहुँच जाता है, जो डोनबास को क्रीमिया से जोड़ देगा और खेरसॉन को इसमें शामिल कर लेगा और जिससे एक "रणनीतिक विराम और गतिरोध का परिदृश्य बनेगा – जो जल्द ही भविष्य में कूटनीति वार्ता के द्वार खोल सकता है।

निश्चित रूप से, वाशिंगटन की व्यवस्था में यथार्थवाद की एक ठंडी हवा बह रही है कि रूस डोनबास की लड़ाई जीत रहा है और यूक्रेन पर रूस अपनी अंतिम सैन्य जीत की संभावना के दायरे में भी आ गया है। विशेष रूप से, जॉर्ज टाउन के फेकल्टी सदस्य प्रो. कुपचन ने यथार्थवाद की भारी खुराक का इंजेक्शन लगाते हुए निम्न बात कही:

•"यह [युद्ध] जितना लंबा चलेगा, इसका उतना ही नकारात्मक आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव  अधिक होगा, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल है, जहां मुद्रास्फीति वास्तव में है बढ़ रही है... जो बाइडेन को मुश्किल स्थिति में डाल रही है";

• "हमें इस नेरेटिव को बदलने की जरूरत है [कि जो कोई भी क्षेत्रीय समझौते के बारे में बात करता है वह एक तुष्टिकरणकर्ता है] और यूक्रेन को और अंतत: रूस के साथ इस बारे में बातचीत शुरू करने की जरूरत है कि इस युद्ध को जल्द से जल्द कैसे समाप्त किया जाए";

• "जहां लड़ाई समाप्त होती है, उसमें से यूक्रेनियन कितना क्षेत्र वापस लेने में सक्षम होते हैं, यह देखा जाना अभी बाकी है";

• "मुझे लगता है कि युद्ध जारी रखने का पहलू कई लोगों के विचार से अधिक खतरनाक है, न केवल युद्ध के बढ़ाने के कारण बल्कि इसके प्रभाव के कारण भी";

• "मुझे लगता है कि पश्चिम में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं ... जैसे-जैसे हम मध्यावधि के निकट आएंगे, 'अमेरिका-प्रथम' यानि अमरीका पहले के नारे के तहत रिपब्लिकनवाद का पुनरुत्थान होगा";

किसी भी पैनलिस्ट ने इस तर्क पर वक़्त खराब नहीं किया कि इस युद्ध को जीता जाना चाहिए, या ऐसा अभी भी हो सकता है। लेकिन किसी ने भी चर्चा में रूस के वैध सुरक्षा हितों को पहचानने की हिम्मत नहीं की। जनरल ट्विट्टी ने बताया कि यूक्रेन काफी थक चुका लगता है और रूस ने काला सागर में समुद्री डोमेन नियंत्रण हाथ में ले लिया है, और फिर भी, "जैसा कि आप- राजनयिक, सूचनात्मक, सैन्य और आर्थिक हालत देखते हैं – तो यह बहुत दुख देने वाली बात हैं कि हम राजनयिक चर्चा में पिछड़े हुए हैं। यदि आप ध्यान दें, तो किसी भी प्रकार की बातचीत करने की कोशिश करने के लिए कोई कूटनीति कोशिश नहीं हो रही है।”

उदारवादी अंतर्राष्ट्रीयवादियों ने गलती से नाटो को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा की आधारशिला मान लिया था, और लगता है कि वे अभी भी ऐसा मानते हैं। रूस के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के बाइडेन के लापरवाह फैसले की पूरी तरह से विफलता के बावजूद, अमेरिका नाटो पर टिका हुआ है और मास्को के साथ सुरक्षा समझौते पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है।

यदि वाशिंगटन में पुराना नेरेटिव युद्ध जीतने के बारे में था, तो अब नया नेरेटिव "रूसी कब्जे वाली ताकतों के उद्देश्य की पक्षपातपूर्ण गतिविधि" के बारे में है। बेशक, पहले के लंबे दावों की तुलना में, स्वतंत्र रूप से स्थापित मामले में यह नया नेरेटिव और भी कम संभव है।

इसी धुंधलके में, राष्ट्रपति पुतिन ने संभवतः 9 जून को ताना मारते हुए कहा और दोहराया कि 1700-1721 के बीच पीटर द ग्रेट के 21 साल लंबे महान उत्तरी ऐतिहासिक युद्ध में - उत्तरी में स्वीडिश साम्राज्य के वर्चस्व के खिलाफ रूस की सफल जीत हुई थी जिसमें केंद्रीय और पूर्वी यूरोप शामिल था।

पुतिन ने कहा: "पीटर द ग्रेट ने 21 साल तक महान उत्तरी युद्ध लड़ा था। वे स्वीडन के साथ युद्ध में थे ताकि इस युद्ध से कुछ हासिल किया जा सके। वे कुछ नहीं ले जा रहे थे, बल्कि वे वापस लौट रहे थे। यह कुछ ऐसा ही था... वह वापस लौट रहा था और खुद को मजबूत कर रहा था, यही वह कर रहा था ... सभी ने इसे उसे स्वीडन के हिस्से के रूप में मान्यता दी। हालाँकि, अनादि काल से, स्लाव वहाँ फिनो-उग्रिक लोगों के साथ रहते थे, और यह क्षेत्र रूस के नियंत्रण में था।”

जाहिर है, यह हमारे वापस लौटने और साथ ही उसे मजबूत बनाने की स्थिति है। और अगर हम इस आधार पर काम करते हैं कि ये बुनियादी मूल्य हमारे अस्तित्व का आधार हैं, तो हम निश्चित रूप से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।"

रूस द्वारा नाटो के वर्चस्व को पूरी तरह खारिज करने के मामले में, पुतिन ने यहां एक जटिल संदेश दिया है। चाहे कुछ भी हो जाए, रूस अपनी विरासत को फिर से हासिल करेगा। यही वह वादा है जिसे महत्वपूर्ण माना और अपने देशवासियों से वादा किया, जो इसलिए पुतिन के पीछे रैली करेंगे, जिनकी पोल रेटिंग आज 80 प्रतिशत से अधिक है (जो बाइडेन के लिए मात्र 36 प्रतिशत है)।

मुद्दा यह है कि, अस्पष्ट दोष रेखाएं भी हैं। यह कोई संयोग नहीं है कि रूसी नेरेटिव देश की पश्चिमी सीमा पर मौजूद चुनौती का उल्लेख करने के मामले में "एंग्लो-सैक्सन" अभिव्यक्ति का स्वतंत्र रूप से उपयोग करते हैं। वहां से राक्षसों को भगा दिया गया है। वास्तव में, इस समय में पोप फ्रांसिस के साथ वार्ता के लिए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन का वेटिकन की यात्रा करने का क्या अर्थ हो सकता था?

आयरिश प्रोफेसर डॉ. डेक्लन हेस ने हाल ही में यूक्रेन में पवित्र युद्ध (होली वार इन उक्रेन) शीर्षक से एक निबंध लिखा था जिसमें स्ट्री, ल्विव क्षेत्र के शहर और सामान्य रूप से ज़ेलेंस्की-नियंत्रित यूक्रेन के अंदर रूसी रूढ़िवादी पादरियों पर हिंसक हमलों के बारे में लिखा गया था। और उन्होंने देखा कि नाटो का "फूट डालो और जीतो" का नारा उन सभी पर हावी हैं। प्रो. हेस ने लिखा, "हालांकि उनकी गैलिशियन मण्डली के सामने कमजोर रूसी पादरियों पर फासीवादी हमले एक ऐसी ही अभिव्यक्ति हैं कि यूक्रेन के अंधेरे अतीत के भूत फिर से सर उठा रहे हैं, वर्जिन मैरी के अमेरिकी जेवलिन मिसाइलों के साथ उभरते भीती चित्र भी इसकी मिसाल है।"

रूसी रक्षा मंत्री, सर्गेई शोइगु ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि क्रीमिया में प्रवेश के लिए एक "भूमि पुल" स्थापित किया गया है, जो मास्को के प्रमुख युद्ध उद्देश्यों में से एक है, और यह काम कर रहा है! इसमें सैकड़ों किलोमीटर की रेलवे लाइन की मरम्मत शामिल है। इसके साथ ही, यह भी बताया गया कि रूस के साथ सीमा पर रेल यातायात बहाल कर दिया गया है और ट्रक से मेलिटोपोल शहर से अनाज को क्रीमिया ले जाना शुरू कर दिया है।

शोइगु ने रूस से खेरसॉन और क्रीमिया तक "व्यापक यातायात" का वादा किया है। साथ ही, हाल ही में रिपोर्टों की एक स्थिर धारा रही है कि रूस में यूक्रेन के दक्षिणी क्षेत्रों का एकीकरण तेजी से प्रगति कर रहा है - रूसी नागरिकता, कारों की नंबर प्लेट, इंटरनेट, बैंक, पेंशन और वेतन, रूसी स्कूल, और इसी तरह पूरी रूसी व्यवस्था ने काम करना शुरू कर दिया है।

पिछले हफ्ते, प्रभावशाली समाचार पत्र इज़वेस्टिया ने अज्ञात सैन्य स्रोतों का हवाला देते हुए दावा किया था कि इस बिंदु पर किसी भी शांति समझौते में डोनबास और क्रीमिया के अलावा, खेरसॉन और ज़ापोरिज़्ज़िया को अलग-अलग क्षेत्रों के रूप में कीव की स्वीकृति भी शामिल होनी चाहिए। मुख्य प्रश्न अब यह नहीं है कि क्या कीव कब्जा किए गए दक्षिण को वापस ले सकता है, बल्कि सवाल यह है कि यह रूस के "भूमि पुल" को पश्चिम की ओर मोल्दाविया तक आगे बढ़ने से कैसे रोक सकता है।

दूसरी ओर, शांति समझौते पर पहुंचने में देरी का मतलब यह हो सकता है कि कीव को बाद की तारीख में ओडेसा के नुकसान को भी स्वीकार करना होगा। लेकिन यूरोप में कौन है जो ज़ेलेंस्की के साथ तर्क करने की स्थिति में है? इसके अलावा, वह एक बाघ की सवारी भी कर रहा है। वह "एंग्लो-सैक्सन" समर्थन पर भरोसा कर रहा है और बदले में एंग्लो-सैक्सन उसके साथ तैरने या डूबने के लिए बाध्य हो रहे हैं।

इस निर्बाध युद्ध का अभी कोई स्पष्ट अंत नज़र नहीं आ रहा है। आखरी में, जो बात सामने आती है, वह यह है कि पुतिन ने यूक्रेन के संबंध में अपने कार्यों की तुलना पीटर द ग्रेट के स्वीडन के खिलाफ 18 वीं शताब्दी के युद्ध के दौरान रूस के साझा इतिहास से की है।

अंग्रेज़ी का मूल लेख पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://www.newsclick.in/Next-100-Days-Ukraine-War

 

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