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‘OPS नहीं तो वोट नहीं’ : भाजपा का सियासी खेल बिगाड़ सकता है ओल्ड पेंशन का मुद्दा!

“ओल्ड पेंशन को लेकर विभिन्न राज्यों में हुए आंदोलनों के कारण 6 राज्यों ने OPS को लागू किया। यदि केंद्र सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा।”
OPS

जैसे-जैसे 2024 लोकसभा चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है वैसे-वैसे सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS लागू करने की मांग भी ज़ोर पकड़ती जा रही है। भाजपा के सामने ओल्ड पेंशन का मुद्दा एक बड़ी चुनौती है जो आने वाले चुनावों में भाजपा का सियासी खेल भी बिगाड़ सकती है। कुछ गैर भाजपा राज्यों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल किए जाने के बाद भाजपा शासित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि केंद्र सरकार ओल्ड पेंशन को बहाल करने के मूड में नहीं नज़र आती, ऐसे में ये मुद्दा भाजपा को सियासी नुकसान पहुंचा सकता है।

ओल्ड पेंशन बहाली की मांग तेज़ हो गई है और इसे लेकर देश भर में अलग-अलग जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आपको बता दें,इसी सिलसिले में 27 जून को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेडियम में 'पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मंच' के बैनर तले एक 'हुंकार रैली' हुई थी। इस रैली में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों से आए हज़ारों केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था। ख़बरों के मुताबिक़ क़रीब पचास हज़ार कर्मचारी, शिक्षक इस हुंकार रैली में शामिल हुए। ‘NPS Go Back’, ‘नई पेंशन नीति रद्द करो’, ‘जो पुरानी पेंशन की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा’, ‘एक देश एक विधान फिर पेंशन क्यों नहीं एक समान’, ‘हल्ला बोल हल्ला बोल, NPS पर हल्ला बोल’, जैसे नारों के साथ स्टेडियम गूंज उठा।

"पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं"

देश भर में ओल्ड पेंशन एक बड़ा मुद्दा बन चुका है और तमाम राज्य सरकारों समेत केंद्र सरकार पर इसे लागू किए जाने का दबाव बढ़ गया है, ऐसे में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई इस ‘हुंकार रैली’ के कई मायने हैं। इस रैली में मुख्य वक्ता, संयुक्त मंच के राष्ट्रीय संयोजक व ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि "लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र सरकार को OPS की मांग को, एक राजनैतिक मुद्दे के तौर पर देखना चाहिए। कर्मचारी बहुत नाराज़ है। OPS न मिलने पर कर्मचारी चुनाव परिणाम को बदलने की ताकत रखते हैं। कर्मचारी उसी का साथ देगा, जो OPS व उनकी मांगों को पूरा करेगा, यानी पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं।"

उन्होंने सरकार घेरते हुए हुए कहा कि, "ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने को लेकर कर्मचारियों ने सरकार को 1 करोड़ 26 लाख प्रतिवेदन भेजने का काम किया। मशाल जुलूस भी निकाला जिसका नतीजा यह निकला कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को संसद में कहना पड़ा कि सरकार पुरानी पेंशन पर विचार करने के लिए कमेटी बनाएगी और फिर वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी भी।" हालांकि शिव गोपाल ने इस कमेटी को महज़ एक 'छलावा और लॉलीपॉप' बताया।

शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, “21 जनवरी 2023 को नई दिल्ली में संपन्न राष्ट्रीय अधिवेशन में सर्वसम्मति से निर्धारित हुए कार्यक्रम के तहत हर महीने OPS बहाली की मांग के समर्थन में निरंतर जनसंपर्क, मशाल जुलूस, पेंशन रथ यात्रा के आयोजन हुए और होने हैं। कर्मचारियों के चरणबद्ध आंदोलनों के क्रम में, वित्त मंत्री ने 23 मार्च 2023 को नई पेंशन स्कीम की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय कमेटी की घोषणा की थी। इसकी एक बैठक 9 जून 2023 को भी हुई, इस बैठक में वित्त सचिव में बराबर यह समझाते रहे कि सरकार आपके साथ न्याय करना चाहती है, सरकार आपके साथ है तो हमने भी स्पष्ट कर दिया कि यदि सरकार हमारे साथ न्याय करना चाहती है तो जल्द से जल्द ओल्ड पेंशन लागू कर दे, यही न्याय का सबसे बड़ा उदाहरण होगा।"

इस हुंकार रैली की अध्यक्षता कर रहे 'राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद' के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने बताया कि "पूर्व में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 56 सांसदों ने ओल्ड पेशन बहाली के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इस संबंध में यदि समय रहते केंद्र सरकार निर्णय नहीं लेती है तो सरकारी कर्मचारी हड़ताल करेंगे। सरकार, कर्मचारियों को हल्के में न ले। पूरे देश में कर्मचारियों, शिक्षकों की इतनी संख्या है कि वे सरकार बदलने की ताकत रखते हैं।"

किशोर तिवारी ने बताया कि "उत्तर प्रदेश के 55 ज़िलों में OPS के लिए हुई रथ यात्रा के दौरान राज्य कर्मचारियों, केंद्रीय कर्मचारियों, शिक्षकों, निगम और निकाय कर्मचारियों से अपार जनसमर्थन मिला। कर्मचारी ओल्ड पेंशन बहाली से नीचे किसी समझौते पर राज़ी नहीं। 18 से 19 सालों तक सेवा करने के बाद नई पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को बेहद कम मासिक पेंशन मिलेगी जिसमें परिवार तो छोड़ो वो ख़ुद का भी गुज़ारा कैसे करेगा यह सोचने की बात है।"

इस रैली में एक बहुत बड़ी संख्या शिक्षकों की थी। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर शिक्षक संघ लगातार आंदोलनरत है। 'उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ' के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पांडे ने कहा कि "अब तो हमने ठान लिया है कि अपने आंदोलनों के दम पर पुरानी पेंशन लेकर ही रहनी है।

सुशील पांडे ने बताया कि "हर महीने की 21 तारीख को OPS को लेकर कार्यक्रम तय हुए हैं। इसी क्रम में जब 21 अप्रैल को एक कार्यक्रम तय था तो ठीक उससे दो दिन पहले केंद्र सरकार आदेश जारी करती है कि जो भी केंद्रीय कर्मचारी कार्यक्रम में शामिल होगा उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी लेकिन बावजूद इसके कार्यक्रम आयोजित हुआ और बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। ठीक इसके तीन दिन बाद वित्त मंत्री ने NPS यानी नई पेंशन योजना पर सुधार करने के लिए कमेटी बनाई। लेकिन हमें NPS पर सुधार करने वाली कमेटी नहीं बल्कि OPS लागू करने वाली कमेटी चाहिए।"

महिला नेता प्रतिमा सिंह ने कहा कि "हम अपने बुढ़ापे के लिए एक वाजिब पेंशन कोई खैरात में नहीं मांग रहे। पुरानी पेंशन व्यवस्था तो वर्षों से लागू थी जिसपर रोक लगा दी गई और हमें उसी रोक को हटाने की लडाई लड़नी है।" उन्होंने कहा कि कोई भी आंदोलन, संघर्ष महिलाओं के भागीदारी के बिना अधूरा है इसलिए उन्होंने महिला कर्मचारी, शिक्षिकाओं से बड़ी से बड़ी तादाद में भागीदारी करने का आह्वान किया।

फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव एस.बी. यादव ने कहा कि "पुरानी पेंशन को लेकर विभिन्न राज्यों में हुए आंदोलनों के कारण 6 राज्यों ने OPS को लागू किया। यदि केंद्र सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा।"

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार का रुख

ओल्ड पेंशन बहाली को लेकर देश भर में राज्य और केंद्रीय कर्मचारी भले ही आंदोलनरत हैं, और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार और राज्यों की भाजपा सरकारें इसे लागू करने के मूड में नहीं दिख रहीं। पिछले वर्ष ही संसद में सरकार ने अपनी मंशा साफ़ ज़ाहिर कर दी थी कि पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का केंद्र सरकार का कोई इरादा नहीं है। संसद में प्रश्नकाल में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने ये जवाब दिया था। तब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।

इतना तय है कि केंद्र सरकार, OPS लागू करने के मूड में बिलकुल भी नहीं है। साथ ही सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम के तहत NPS फंड लौटाने की मांग को भी ख़ारिज कर दिया। आपको बता दें जिन राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी वे सरकार से NPS के तहत अब तक जमा पैसों की मांग कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम यानी PFRDA के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

केंद्र के साथ भाजपा शासित राज्यों पर भी बढ़ा दबाव

दरअसल कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों में जब से सरकारों ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू कर दिया है तब से कर्मचारियों की ओर से केंद्र और भाजपा शासित राज्यों पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं तो वहीं कर्नाटक चुनाव में हिमाचल मॉडल को दोहराते हुए कांग्रेस ने पुरानी पेंशन के मुद्दे को न सिर्फ़ ज़ोर-शोर से उठाया बल्कि अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया और एक एक बड़ी जीत हासिल की।

कई राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने के बाद देश के बाक़ी राज्यों में भी ये एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। बाक़ी राज्यों में भी सरकारी कर्मचारीये मांग ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि प्रदेश में सपा की सरकारी बनी तो पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल कर दिया जाएगा।

2004 में बंद हुई थी ओल्ड पेंशन स्कीम

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने डिफेंस फोर्सेज़ को छोड़कर बाक़ी सभी के लिए, एक अप्रैल 2004 से ओल्ड पेंशन की जगह न्यू पेंशन योजना को लागू करने का ऐलान किया था। इस तारीख से या उसके बाद जो भी सरकारी नौकरी ज्वाइन करेगा उस पर न्यू पेंशन स्कीम लागू होगी। केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की लेकिन इसे राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था बाद में धीरे-धीरे अधिकतर राज्यों ने इसे अपने यहां भी लागू कर दिया लेकिन थोड़े समय के बाद ही नई पेंशन योजना का विरोध शुरू हो गया।

यहां हम बता दें कि OPS के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दी जाती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम प्राप्त वेतन के मुकाबले 50 प्रतिशत राशि पाने का हक़दार है।

“OPS देश को पीछे धकेलने वाला क़दम होगा”

पुरानी पेंशन योजना को लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव का बीते वक्त आया एक बड़ा बयान काफ़ी चर्चा में रहा जब उन्होंने OPS के नुकसान को सामने रखा। उन्होंने अपने बयान में कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से शुरू करने का कुछ राज्यों का फ़ैसला एक पीछे जाने वाला क़दम होगा। इसके लागू होने से आम जनता के पैसे का लाभ सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना के लागू होने से आम लोगों की आमदनी का कुछ हिस्सा सरकारी कर्मचारियों को दे दिया जायेगा जबकि आम जनता में ज़्यादातर के पास कोई विशेष सामाजिक सुरक्षा नहीं है। सरल भाषा में कहें तो टैक्स के पैसे से पुरानी पेंशन योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को दिया जाएगा।

सुब्बाराव ने कहा कि "ओल्ड पेंशन लागू करने से राज्य और देश के खजाने पर भी दबाव पड़ेगा। वहीं न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी अपनी सैलरी का 10 फ़ीसदी हिस्सा कंट्रीब्यूट करते हैं, जबकि सरकार 14 फ़ीसदी का योगदान देती है।"

उन्होंने कहा कि आम जनता के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, लेकिन पुरानी पेंशन के तहत सरकारी कर्मचारियों को विशेषाधिकार मिलता है। उन्होंने चेताया कि अगर राज्य सरकारें पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटती हैं, तो पेंशन का बोझ मौजूदा राजस्व पर पड़ेगा। ऐसे में स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और सिंचाई के लिए कम बजट मिलेगा।

चुनावी मुद्दा बन रहा OPS बनाम NPS

इसमें दो राय नहीं कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) अब एक चुनावी मुद्दा बन गया है जिसके बाद केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के रिव्यू के लिए एक कमेटी गठित की है।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार कर्मचारियों को मिनिमम एश्योर्ड पेंशन की गारंटी देने के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम के नियमों में बदलाव कर सकती है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया है कि गठित कमेटी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है, और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।

दरअसल देश के कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने के लिए लगातार सरकार पर दवाब बना रहे हैं। सड़कों पर आंदोलन भी कर रहे हैं। हाल के दिनों में राजनीतिक गलियारे में भी ओल्ड पेंशन की चर्चा ज़ोरों पर है। लाखों कर्मचारी आस लगाए हुए हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से बहाल हो जाए। केवल राज्यों के कर्मचारी ही नहीं केंद्रीय कर्मचारियों को भी इसका इंतज़ार है। इन सब के बाद अब चर्चा यह भी है कि सरकार कुछ केंद्रीय कर्मचारियों को NPS से OPS में ला सकती है। इनमें वो कर्मचारी शामिल होंगे, जिनकी भर्ती के लिए विज्ञापन 31 दिसंबर 2003 को या उससे पहले जारी किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद इसकी सुगबुगाहट शुरू हुई है।

OPS बनाम NPS की इस लड़ाई में किसकी जीत होती है और किसकी हार, फिलहाल यह कहना मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है।

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