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नोएडा: किसानों ने एनटीपीसी के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा, धरना जारी

समान मुआवज़े और रोज़गार की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसान हज़ारों की संख्या में नोएडा सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए।
Farmers Protest

उत्तर प्रदेश के 24 गांव के किसानों ने नोएडा एनटीपीसी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। ये किसान  समान मुआवज़े और रोज़गार की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। सोमवार 18 दिसंबर को नोएडा सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी कार्यालय के सामने हज़ारों की संख्या में किसान धरने पर बैठ गए। हालांकि पुलिस ने मुख्यद्वार से कुछ दूर पहले ही प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। किसानों ने वहां दिन-रात का धरना लगा दिया है। 24 गांव के इन किसानों का कहना है कि वे एनटीपीसी दादरी से प्रभावित हैं।

किसानों के इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय किसान परिषद के नेता सुखबीर खलीफा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि "किसानों ने एनटीपीसी दादरी पर कई महीने तक धरना दिया और एक लंबा आंदोलन भी चलाया। इस दौरान प्रशासन के साथ कई दौर की वार्ता भी हुईं जिसमें किसानों की मांगों को जायज़ भी ठहराया गया लेकिन अभी तक उन मांगों पर विचार नहीं किया गया। इसलिए हम इस बार निर्णायक लड़ाई लड़ने आए हैं।”

किसानों का कहना है कि इस भीषण ठंड में महिला और बुजुर्ग किसान रात में भी धरना स्थल पर रुके जिसकी वजह से कई प्रदर्शनकारी बीमार पड़ गए। किसान परिषद ने दावा किया कि कम से कम 25 प्रदर्शनकारी किसान बीमार हुए जिन्हें 19 दिसंबर को अस्पताल ले जाया गया। सुखबीर सिंह ने एक वीडियो जारी कर कहा कि "प्रदर्शनकारी किसान भीषण ठंड के कारण बीमार हुए हैं लेकिन जब उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया वहां कोई व्यवस्था नहीं थी। एक-एक बेड पर चार मरीजों को रखा गया।”

युवा प्रदर्शनकारी आदित्य भाटी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि "एनटीपीसी ने हमारे साथ धोखा किया। हमारे पूर्वजों को जानकारी नहीं थी और उन्होंने उनसे ठगी की और औने-पौने दामों पर ज़मीन ले ली, जबकि कानून कहता है कि सभी को समान मुआवज़ा दिया जाए लेकिन हमारे यहां सभी को अलग-अलग दिया गया है। इसके अलावा हमारे युवाओं को नौकरी का भी वादा किया गया था लेकिन अभी तक कोई नौकरी नहीं दी गई है।”

भाटी ने कहा, "हमारी मुख्य मांग मुआवज़ा, विकास और एनटीपीसी में नौकरी दिए जाने की है। एनटीपीसी दादरी के प्रभावित क्षेत्र में कॉलेज और हॉस्पिटल नहीं हैं। इलाज और पढ़ाई के लिए दादरी से बाहर जाना पड़ता है इसलिए लोगों की सुविधा के लिए कॉलेज और अस्पताल खोले जाएं।”

वहीं इस मामले को लेकर एनटीपीसी ने एक प्रेस रिलीज़ जारी किया है जिसमें उसने बताया कि "एनसीआर सहित राष्ट्र हित में बिजली की ज़रूरत को पूरा करने के लिए दादरी क्षेत्र में नेशनल कैपिटल पावर स्टेशन (एनसीपीएस) की स्टेज-1 का निर्माण वर्ष 1986 से 1995 के बीच किया गया था। भूमि अधिग्रहण और मुआवज़ा भी उस समय मौजूद भूमि अधिग्रहण अधिनियम और जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुसार किया गया था।”

एनटीपीसी ने कहा कि "इतने साल बीत जाने के बाद कुछ मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों के साथ समय-समय पर विभिन्‍न वार्ताओं के दौरान एनसीपीएस द्वारा अपना पक्ष रखते हुए अवगत कराया जाता रहा है कि समान मुआवज़ा और नौकरी देने पर विचार किया जाना अब संभव नहीं है। वहीं एनसीपीएस ने यह भी अवगत करावाया है कि 182 भू-स्थापितों को उपलब्ध रिक्तियों, उपयुक्तता और पात्रता के आधार पर नियमित रोज़गार दिया गया है।।"

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