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यह सम्मान नहीं खिलाड़ियों के मुंह बंद रखने का इनाम है : जगमति सांगवान

“सम्मान पेंशन घोषणा के इस खास समय चुनाव को देखते हुए इसे व्यापक तौर पर सम्मान नहीं बल्कि न्याय के हक में न बोलने व खड़ा होने की रिश्वत की तरह से ही देखा जाएगा। अतः हरियाणा के खिलाड़ियों को इस ऑफर को अभी स्वीकार करने से सामूहिक रूप से इंकार कर देना चाहिए।”
jagmati sangwan

वालीबॉल में भीम अवार्डी और प्रसिद्ध समाजसेवी जगमति सांगवान ने हरियाणा की खट्टर सरकार की ओर से खिलाड़ियों के लिए सम्मान पेंशन की घोषणा को एक धोखा बताते हुए इसे किसान आंदोलन की सफलता से उपजी घबराहट का नतीजा बताया है। उनका कहना है कि जिस तरह पंजाब के सभी खिलाड़ी किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े होकर अपने अवार्ड वापस कर रहे हैं, वही सिलसिला हरियाणा में न शुरू हो जाए, इसी से घबराकर खट्टर सरकार ने एक तरह से रिश्वत का सहारा लिया है।

आइए समझते हैं कि जगमति सांगवान इस पूरी कवायद को किस तरह देख रही हैं। उनका पूरा बयान इस प्रकार है-    

हमारे देश में चल रहे न्यायप्रिय व शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के समर्थन में  वाजिब ही पंजाब के बहादुर खिलाड़ियों द्वारा बुलंद आवाज से अपने खेल-अवार्ड वापस करने की घोषणा की गई। हरियाणा में  भी इसकी धमक तो देर सवेर पहुंचनी ही थी। बिजेंद्र बॉक्सर व असन सिहं सांगवान द्वारा अवार्ड वापसी की धमकी के बाद जाहिर तौर पर हरियाणा सरकार घबरा गई है। अतः उसने आनन-फानन में बिना खिलाड़ियों से किसी प्रकार की सलाह के अतार्किक सी सम्मान -पेंशन की घोषणा कर दी है।

यद्यपि यह सम्मान  पेंशन खिलाड़ियों की लंबे समय से मांग रही है, क्योंकि उनकी खुराक व स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें भी बढ़ी हुई होती हैं तथा उन्हें अनेक तरह के खेल ईवेन्टस में प्रोत्साहन कर्ता की तरह से भी उपस्थित रहना होता है।

इस से पूर्व की हुड्डा सरकार ने भी कुछ शुरुआती घोषणाएं की थी। परंतु जिस प्रकार से हरियाणा सरकार ने कल, 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ पर यह घोषणा कि वह संदेह के दायरे से परे नहीं कही जा सकती। इसमें बड़ी तोप का मुंह बंद रखने का बड़ा इनाम व छोटी का छोटा इनाम, की तरकीब से भी काम लिया गया है। वरना हरियाणा सरकार को तो अपने  अवार्डियों के लिए ज्यादा पेंशन प्रावधान रखना चाहिए बजाय राष्ट्रीय इनाम धारकों के जो पहले से ही बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय पेंशन ले रहे हैं। कौन नहीं जानता कि इस स्तर के खिलाड़ियों की उपलब्धियां लगभग बराबर सी ही होती हैं।

सम्मान पेंशन घोषणा के इस खास समय चुनाव को देखते हुए इसे व्यापक तौर पर सम्मान नहीं बल्कि  न्याय के हक में न बोलने व खड़ा होने की रिश्वत की तरह से ही देखा जाएगा। अतः हरियाणा के खिलाड़ियों को इस ऑफर को अभी स्वीकार करने से सामूहिक रूप से इंकार करके अपनी विवेकशीलता व न्यायप्रियता के माद्दे का परिचय देना चाहिए। क्योंकि हम खिलाड़ी यह कैसे भूल सकते हैं कि इन मेडलों व इनामों का रास्ता उन्हीं खेत खलिहान से होकर गुजरता है जिनके बचाव के लिए आज हमारे देश के किसान-मजदूर सिर धड़ की बाजी लगाकर लड़ रहे हैं। मोर्चे पर डटे इन सिपाहियों के लिए हमारी सलामी व समर्थन पेश करने का हमारी तरफ से यही उपयुक्त तरीका हो सकता है।

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