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यूपी में अफ़सरों ने खोजा ‘आपदा में अवसर!’, कोविड किट में बड़े घोटाले की आशंका

अपराध के बाद अब भ्रष्टाचार पर भी योगी आदित्यनाथ सरकार का ‘ज़ीरो टालरेंस’ का दावा फेल होता नज़र आ रहा है। हाल ही में राज्य के कई जिलों में बड़े पैमाने पर कोविड किट खरीदारी में घोटले की खबर है। मामले के तूल पकड़ने के बाद सरकार द्वारा जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है।
यूपी में अफ़सरों ने खोजा ‘आपदा में अवसर!’, कोविड किट में बड़े घोटाले की आशंका

“उत्तर प्रदेश की अफसरशाही के बीच लूट लो की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का दावा जनता को सिर्फ बहकाने के लिए है।”

ये बयान यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का है। अखिलेश यादव ने प्रदेश में कोविड किट घोटाले को लेकर बीजेपी की योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ठोंक दो की नीति पर चल रहे हैं तो सत्तादल के विधायक अपनी ही सरकार के पोल खोल अभियान में लग गए हैं।

बता दें कि भ्रष्टाचार और अपराध पर जीरो टालरेंस का दावा करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार कानून व्यवस्था के मामले में तो पहले से ही सवालों के घेरे में है, अब राज्य में कोविड किट खरीद में बड़े पैमाने पर घोटाले की ख़बरों के चलते भी योगी सरकार की बड़ी किरकीरी हो रही है। आलम ये है कि प्रशासन की गड़बड़ियों को खुद बीजेपी नेता ही उजागर कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए यूपी में घर-घर, गांव-गांव जाकर कोरोना सर्वे हो रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी थर्मल स्कैनर से बुखार और पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल और नब्ज़ चेक कर रहे हैं, ताकि कोरोना के लक्षण होने पर जल्द इलाज हो सके।

इस सर्वे के लिए प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर कोविड जांच किट खरीदी जा रही है। इसमें पल्स ऑक्सीमीटर और इन्फ्रारेड थर्मामीटर सहित कुछ उन्य उपकरण भी शामिल हैं। आरोप है कि कोविड जांच से जुड़े ये उपकरण कुछ जिलों में ब़ाजार मूल्य से ज्यादा पर खरीदे गए।

अभी तक कहां-कहां हुआ घोटाला?

अभी तक प्रदेश के सहारनपुर, गाजीपुर, सुल्तानपुर, बिजनौर, बाराबंकी सहित कुछ जिलों से घोटाले की खबरें सामने आई हैं। इस मामले में कई अधिकारियों पर गाज भी गिरी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गाजीपुर और सुल्तानपुर के डीपीआरओ सस्पेंड हो चुके हैं।

सुल्तानपुर

कोविड किट को बाजार की कीमत से ज्यादा पर खरीदने का सबसे पहले मामला सुल्तानपुर से सामने आया। बीजेपी के ही विधायक देवमणि द्विवेदी ने सुल्तानपुर की डीएम सी. इंदुमती पर ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने मख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर शिकायत की। उनका आरोप था कि शासनादेश था कि 2800 रुपये में किट खरीदी जाए, लेकिन इसके स्थान पर डीएम ने 9950 रुपये में यह किट खरीदने के लिए गांव की पंचायतों पर दबाव बनाया।

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विधायक ने मीडिया को बताया कि कोविड किट की खरीद में लगातार भ्रष्टाचार के आरोप पूरी तरह से सही हैं। इससे सरकार की छवि को नुकसान भी पहुंच रहा है। इसके अलावा सुलतानपुर के डीएम मीडिया में गलत बयान भी दे रहे हैं।

विधायक ने सरकार से इस पत्र के माध्यम से यह कहा है कि सुल्तानपुर के डीएम को तत्काल पद से हटाकर विभागीय कार्रवाई कराई जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि डीएम अगर अपने पद पर बने रहते हैं तो इससे जांच प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हो सकेगी।

मामले के संज्ञान में आने के बाद सीएम के सचिव संजय प्रसाद ने पंचायती राज विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को जांच के लिए कहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच में शिकायत सही पाई गई। इसके बाद कृष्ण कुमार सिंह चौहान, पंचायत राज अधिकारी, सुल्तानपुर को सस्पेंड कर दिया गया।

गाज़ीपुर

गाज़ीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार सिंह पर आरोप है कि उन्होंने पल्स ऑक्सीमीटर और इन्फ्रारेड थर्मामीटर के लिए 5800 रुपये का बिल बनाया। अनिल कुमार सिंह को निलंबन काल में उप निदेशक (पंचायत) वाराणसी मंडल के कार्यालय से अटैच किया गया है। उन पर लगे आरोपों की जांच उप निदेशक (पंचायत) अयोध्या मंडल करेंगे।

बिजनौर

इसी तरह का एक मामला बिजनौर से सामने आया है। आरोप है कि यहां पांच गुना महंगी कोविड किट खरीदी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीएसटी सहित 12,390 रुपये के रेट से इन्फ्रारेड थर्मामीटर और 3360 रुपये की दर से पल्स ऑक्सीमीटर खरीदे गए। करीब पांच गुना दामों पर यह खरीद हुई। सीएमओ, बिजनौर ने सहारनपुर की फर्म याशिका इंटरप्राइजेज से जीएसटी सहित 12,390 रुपये प्रति की दर से 12 इन्फ्रारेड थर्मामीटर खरीदे। सहारनपुर की ही फर्म आयुषी इंटरप्राइजेज से जीएसटी सहित 3360 रुपये की दर से 20 पल्स ऑक्सीमीटर खरीदे।

इस मामले में सीएमओ डॉक्टर विजय कुमार यादव का कहना है कि जो खरीद हुईस वो जैम पोर्टल से हुई। उस समय इस पोर्टल पर उपलब्ध उस समय के न्यूनतम दामों के अनुसार खरीद की गई। खरीद में नियमों का पालन किया गया।

बाराबंकी

बाराबंकी जिले में भी 2800 रुपये की किट 8800 में खरीदे जाने के आरोप लगे हैं। अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक, करीब सौ गांव में निर्धारित कीमत से अधिक भुगतान कर दिया गया। हालांकि एक हजार ग्राम पंचायतों में अभी भुगतान नहीं हुआ है। देवा ब्लॉक की 88 ग्राम पंचायतों में से 42 ग्राम पंचायतों में कोरोना किट का भुगतान सात हजार से लेकर आठ हजार रुपये तक फर्म को किया जा चुका है। हालांकि बीडीओ और एडीओ, देवा पंचायत का दावा है कि सरकारी रेट पर ही पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीद की गई है।

सहारनपुर

घोटाले का एक नया मामला सहारनपुर से सामने आया है। बीजेपी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश सह-संयोजक रामपाल सिंह पुंडीर ने सफाईकर्मी किट में घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है।

सीएम को लिखे इस पत्र में पुंडीर ने आरोप लगाया है,“जिला पंचायत राज अधिकारी ने सफाईकर्मी किट 5200 रुपये में खुद खरीदकर ग्राम पंचायतों में भुगतान कराया। बिल ‘डिजिटल इंडिया कॉन्ट्रेक्टर एंड सप्लायर्स’ के नाम से दिया गया है। इसका पता नानौता के एक इंटर कॉलेज का दिखाया गया है, जबकि नानौता में इस नाम से इंटर कॉलेज पर कोई भी दुकान या फर्म नहीं है।

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इसी प्रकार कोविड किट में इन्फ्रारेड थर्मामीटर की कीमत बिल में 2270 रुपये दिखाई गई है। पल्स ऑक्सोमीटर की कीमत बिल में 1920 रुपये दिखाई गई है। यह बिल ‘जनवाणी एसोसिएट्स’, बी-291, जनवाणी भवन, अपोजिट न्यू जगदम्बा ट्रांसपोर्ट के नाम से जारी किया गया है। उसमें स्थान का नाम नहीं दिया गया है। कोविड किट की कुल कीमत 4190 रुपये प्रति ग्राम पंचायत बैंक शिवालिक मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक शाखा हकीकत नगर में कराया गया है।”

प्रतापगढ़

इसके अलावा मीडिया में आई खबरों के मुताबिक प्रतापगढ़ में 2,700 रुपये के चाइनीज थर्मल स्कैनर और ऑक्सिमीटर को 12,500 रुपये में खरीद कर 1,255 ग्राम पंचायतों से बिल का भुगतान करने को कहा गया। वहीं, 100 से ज्यादा पंचायतों ने भुगतान भी कर दिया है।

चंदौली

चंदौली में पंचायती राज विभाग ने 734 ग्राम सभाओं और 65 नगर निकाय वार्डों के लिए 1,598 थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सिमीटर दोगुना से ज्यादा दाम पर खरीदे। वहीं, पीलीभीत में बिना टेंडर प्रक्रिया के एक ही कंपनी से 47.21 लाख रुपये से अधिक की खरीद कर 720 ग्राम पंचायतों को बिल भेज दिए गए।

मैनपुरी

मैनपुरी में भी ग्राम पंचायतों ने स्कैनर और ऑक्सिमीटर की खरीद बाजार से दोगुने दाम पर खरीद की। यहां ढाई हजार रुपये के उपकरणों के लिए साढ़े पांच हज़ार से छह हजार रुपये का भुगतान किया गया। झांसी में 1500 रुपये का ऑक्सिमीटर 4000 रुपये में खरीदने और फर्रुखाबाद में एक ही कंपनी से दोगुने दाम पर खरीद का पता चला है। इसके अलावा प्रतापगढ़ में 12,500 रुपये, झांसी में 8,500 रुपये और उन्नाव में 6,000 रुपये में खरीदे जाने की खबर है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक कई गांवों के प्रधान भी भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं।

सोनभद्र में बिचपाई गांव के प्रधान विमलेश कुमार पटेल कहते हैं कि ये उपकरण उन्हें खरीदेने थे लेकिन जिला पंचायत राज अधिकारी ने 637 गांवों के लिए सारे उपकरण खुद सस्ते दामों पर खरीद लिए, अब उन्हें कई गुना महंगे दामों पर खरीदने का दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'इसमें भ्रष्टाचार यह समझ में आ रहा है कि जब ये 2500 से 3,000 रुपये में मार्केट में हैं और ये 6,000 ले रहे हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि 637 ग्राम पंचायत हैं यहां पर, अगर उसका दाम देख लिया जाए तो कम से कम दो करोड़ रुपये के आस-पास भ्रष्टाचार में जा रहे हैं।'

बाराबंकी में अजगना के प्रधान ओम प्रकाश कहते हैं कि उन्हें तो कोरोना किट 11,000 में दी है। उन्होंने बताया, 'उसके बाद उसका बिल जो था वो बिल हमसे बताया गया कि 11,000 बनेगा तो मैंने अपना डोंगल लगा दिया। ADO पंचायत और सचिव या जिसने जहां से प्राप्त किया, वो पैसा निकाला, पैसा प्रधानों को नहीं मिला।'

रोक के बाद भी चलती रही किट की खरीद

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 19 जून को मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी ने आदेश जारी किया था कि सभी विभागों में जेम पोर्टल से ही खरीद की जाए। यदि कोई वस्तु, सामग्री, सेवा जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, तो पत्रावली पर विभागाध्यक्ष अथवा कार्यालयाध्यक्ष स्वयं प्रमाणित करेंगे, कि वह वस्तु जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। इसके बाद ही ई-टेंडर के जरिए खरीद होगी। यदि किसी भी दूसरी प्रक्रिया से खरीद होती है तो वह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में मानी जाएगी। बावजूद इसके मनमाने तरीके से खरीदारी जारी रही।

प्रशासन क्या कर रहा है?

10 सितंबर को योगी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है। ‘पीटीआई’ की खबर के मुताबिक, एक सरकारी बयान में कहा गया है कि शासन ने राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अमित गुप्ता और नगर विकास सचिव विकास गोठलवाल इस टीम के मेंबर होंगे। एसआईटी मामले की जांच कर 10 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

पंचायती राज के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस संबंध में मीडिया को बताया कि सभी जिलों से खरीद के संबंध में सूचनाएं मांगी गई हैं।

जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि पल्स ऑक्सीमीटर और इन्फ्रारेड थर्मामीटर का भुगतान 2800 रुपये से ज्यादा न किया जाए।

विपक्ष के सवाल

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर सरकार पर घोटाले के गंभीर आरोप लगाए हैं।

उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, “न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक उप्र में कोरोना किट खरीदी में घोटाला हुआ है। क्या पंचायत चुनावों के साल में जिले-जिले वसूली केंद्र बना दिए गए हैं? PPE किट घोटाला, 69K घोटाला, बिजली घोटाला.. पहले घोटाला, फिर सख्ती का नाटक और फिर घोटाला दबाना...अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ खत्म..”

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इसे लेकर ट्वीट किए हैं, उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स की फोटो लगाकर महंगे दामों पर हुई खरीद पर सवाल पूछते हुए लिखा है, “योगीजी कृपया ध्यान दें। ऑनलाइन खरीदने पर जो ऑक्सीमीटर की कीमत 800 रुपये, थर्मामीटर की कीमत 1800 रुपये है तो सुल्तानपुर की डीएम ने 9950 रुपये में कोविड सर्वे किट क्यों खरीदा? किसने कितनी दलाली खाई? कोरोना के नाम पर भ्रष्टाचार श्मशान में दलाली के समान है।”

संजय सिंह ने कहा, “ये घोटाला क्योंकि एक-दो जिलों तक सीमित नहीं है। कोरोना की महामारी के दौरान, कोरोना के संकट के दौरान ये घोटाला कहीं पंचायत तक या कहीं एक ब्लॉक तक सीमित नहीं है बल्कि ये घोटाला योगी सरकार ने पूरे उत्तर प्रदेश के अंदर किया है।”

सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद ने कोविड किट घोटाले का ठीकरा राज्य सरकार पर फोड़ा। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आपदा में अवसर’ तलाशने की नज़ीर बताया।

उन्होंने कहा, “यही कारण है कि कोविड घोटाले की खबरें सुर्खियां बनने के बावजूद जिले में अभी कार्रवाई नहीं हुई। विपक्ष ने नहीं, सत्तापक्ष के विधायक ने कोविड किट घोटाले का आरोप लगाया था।”

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