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अडानी समूह के ख़िलाफ़ आरोप सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा रही बाधित

विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई।
Rajya Sabha

कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल का निलंबन वापस लेने, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कुछ विपक्षी सदस्यों के भाषणों के अंशों को सदन की कार्यवाही से हटाने और अडानी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होगा।

एक बार के स्थगन के बाद 11:50 बजे बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और सत्ता पक्ष ने एक बार फिर अडानी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने और रजनी पाटिल का निलंबन वापस लेने की मांग की।

इस मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ ने पहले शून्यकाल और फिर प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया। लेकिन जेपीसी की मांग कर रहे विपक्षी सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सदन चलने देने की बार-बार अपील की। लेकिन अपनी अपील का असर नहीं होते देख उन्होंने 12:05 बजे बैठक 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि संसद के बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी दिन था। सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत 13 मार्च को होगी।

इससे पहले सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और उसके बाद नियम 267 के तहत प्राप्त दो नोटिस अस्वीकार कर दिए।

उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत उन्हें आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संदोष कुमार के पी के नोटिस मिले हैं लेकिन दोनों ही नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं है इसलिए उन्हें अस्वीकार किया जाता है।

सभापति ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि संजय सिंह ने सदन में अभी तक सात नोटिस दिए हैं और सभी सातों के विषय वस्तु एक जैसी हैं, बस उनकी तारीख बदल दी जाती है।

उन्होंने कहा कि नोटिस के बारे में बार-बार सदस्यों को आगाह किए जाने के बावजूद वे गलतियों को दोहरा रहे हैं।

इसके बाद विपक्षी सदस्य अपने स्थानों से नारेबाजी करने लगे।

संजय सिंह ने आसन से आग्रह किया कि वे विपक्ष के नेता को बोलने का मौका दें लेकिन सभापति ने शून्यकाल शुरु करवाने का निर्देश दिया।

हंगामे के बीच ही भारतीय जनता पार्टी के जी वी एल नरसिम्हा राव, दर्शना सिंह और राधामोहन दास अग्रवाल ने लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए।

इसके बाद विपक्षी सदस्यों की मांग पर सभापति ने खरगे को बोलने का मौका दिया। खरगे ने अपने भाषणों के अंशों को हटाने का मुद्दा उठाया और कहा कि उनमें ऐसा कुछ भी असंसदीय नहीं था जिसे हटाया जाए।

खरगे ने रजनी पाटिल के निलंबन का भी मुद्दा उठाया और इसे वापस लेने की मांग की।

सभापति ने कहा कि नियमों के तहत पाटिल पर कार्रवाई की गई है।

इसके बाद, विपक्षी सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे।

सभापति ने सदस्यों से सदन के अनुकूल आचरण करने का अनुरोध किया लेकिन इसका सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ।

इसी, बीच, सदन के नेता पीयूष गोयल ने आसन से आग्रह किया कि चूंकि विपक्षी सदस्यों का आचरण उचित नहीं है इसलिए उनपर कार्रवाई करें या फिर सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दें।

सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों के नाम भी लिए और उन्हें चेतावनी भी दी। लेकिन विपक्ष सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे।

इसके बाद, सभापति ने 11 बजकर 28 मिनट पर सदन की कार्यवाही 11 बजकर 50 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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