रायशुमारी में 99 फीसदी से अधिक रक्षाकर्मियों ने ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ वोट दिए

समूचे देश के 41 आयुध कारखाने के कर्मचारियों के बीच की गई रायशुमारी के नतीजों ने साफ बता दिया है कि आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को निगमित करने के केंद्र के कदम पर मान्यता प्राप्त रक्षाकर्मी परिसंघों की लंबे समय से चली आ रही आशंका सच साबित हुई हि कि सरकार द्वारा लिया गया हालिया फैसला रक्षाकर्मियों के व्यापक हित में नहीं है।
बुधवार को जारी नतीजे दिखाते हैं कि रायशुमारी में भाग लेने वाले 61,564 रक्षाकर्मियों में से 99 फीसदी से अधिक लोगों ने आयुध निर्माण फैक्टरी के निगमीकरण किए जाने के फैसले के खिलाफ मत दिए। देश में कुल रक्षाकर्मियों की तादाद 75,000 है।
यह रायशुमारी दो मान्यता प्राप्त रक्षा परिसंघों अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी परिसंघ (एआइडीईएफ) एवं आरएसएस समर्थित भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस)-के निर्देशन में 13 सितम्बर से लेकर 25 सितम्बर तक की गई थी। इस काम में कम्फेडरेशन ऑफ डिफेंस रिकॉगनाइज्ड फेडरेशन (सीडीआरए) ने भी साथ दिया था।
इस रायशुमारी के नतीजे, रक्षा मंत्री के आयुध निर्माण कारखाने का विघटन कर उसकी जगह नए संघटित सात सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) के पहली अक्टूबर से प्रभावी होने संबंधित आदेश जारी करने के एक दिन बाद ही जारी कर दिए गए थे।
रक्षा परिसंघों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजे एक पत्र में कहा है कि “रायशुमारी के नतीजे से यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि यह नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का गलत सलाह पर उठाया गया कदम है जिसे आयुध निर्माण कारखाने के भागीदारों यानी रक्षाकर्मियों ने प्रचंड बहुमत से सरकार के विचार को खारिज कर दिया है।”
सरकार के कदम का विरोध कर रहे परिसंघों ने आगे कहा कि “परिस्थितियों के अंतर्गत” केंद्र सरकार “राष्ट्र और उसकी सुरक्षा के हित में सीमा पर बनी हुई अनिश्चित स्थितियों के मद्देनजर” रक्षा कर्मियों द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं की कद्र करे।
246 वर्षों से रक्षा उपकरणों के निर्माण में लगा ओएफबी एक मुख्य निकाय है, जो वर्तमान में रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के नियंत्रण में एक सरकारी विभाग के रूप में काम करता है। डीडीपी रक्षा मंत्रालय के निर्देशन में काम करता है।
मंगलवार को रक्षा मंत्रालय ने इसी साल जून में लिए गए कैबिनेट के फैसले के मुताबिक मंगलवार को जारी अपने आदेश में कहा कि यह 1 अक्टूबर से प्रभावी माना जाएगा, इसके अंतर्गत ओएफबी के तहत आने वाले 41 आयुध कारखाने का प्रबंधन, नियंत्रण, संचालन एवं रख-रखाव सात डीपीएसयू को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। ये हैं- म्युनिशन इंडिया लिमिटेड, आर्म्ड व्हिकल्स निगम लिमिटेड, एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप्स कम्फर्ट्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड, इंडिया ऑप्टल लिमिटेड, और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड।
एआइडीईएफ के महासचिव सी श्रीकुमार ने बृहस्पतिवार को न्यूजक्लिक से बातचीत में कहा कि “यह नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लिया गया एकतरफा निर्णय है जिसे रक्षाकर्मियों ने खारिज कर दिया है। केंद्र के फैसले के विरोध में रक्षा कर्मी पूरे देश में काला दिवस मनाएंगे और दोपहर का भोजन नहीं करेंगे।”
इतना तो तय है कि मान्यता प्राप्त रक्षा परिसंघ तब से ही नरेन्द्र मोदी सरकार का विरोध करते रहे हैं, जबसे उसने केंद्र में भाजपा सरकार के 2019 में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत होने के 100 दिनों के भीतर ही “रूपांतरित करने वाले विचार” में से एक ओएफबी के निगमीकरण को अमली जामा पहनाने के लिए उसे सूचीबद्ध किया था।
इस साल जुलाई में इन रक्षाकर्मियों ने बेमियादी हड़ताल का भी आह्वान किया था। हालांकि इसके तत्काल बाद केंद्र सरकार ने आवश्यक रक्षा सेवाओं के अंतर्गत-आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश (ईडीएसओ) 2021 ला कर हड़ताली कर्मचारियों को दंडित करने के अधिकार से अपने को लैस कर लिया। इस अध्यादेश को हालिया संपन्न संसद के मॉनसून सत्र में एक विधेयक-आवश्यक रक्षा सेवाएं अधिनियम (ईडीएसए) 2021 का रूप दिया गया।
श्रीकुमार ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि “सरकार ने निष्ठुर कानून लाकर हड़ताल करने के हमारे अधिकार को हमसे छीन लिया है। हालांकि, हमरा संघर्ष नहीं रुकेगा।” उन्होंने रेखांकित किया कि रक्षाकर्मियों के परिसंघ ओएफबी के निगमीकरण के निर्णय के विरुद्ध अपनी लगातार लड़ाई में जारी रखने की मांग के साथ “कानून का रास्ता” अपना रहे हैं।
इसके पहले, न्यूजक्लिक ने अपने पाठकों को बताया था कि ओएफबी के निगमीकरण और ईडीएसए-2021 के विरुद्ध एआइडीईएफ ने क्रमशः मद्रास हाईकोर्ट एवं दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। दोनों ही मामलों में न्यायालयों ने केंद्र से हलफनामा दायर करने को कहा है।
इस बीच, बीपीएमए के महासचिव मुकेश सिंह ने बृहस्पतिवार को न्यूजक्लिक से कहा कि उनका संघ केंद्र सरकार के ओएफबी के विघटन के हालिया आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का विचार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, “रक्षाकर्मी, सरकार के कर्मचारी होने की वजह से कभी कोई कानून नहीं तोड़ेंगे और गैरकानूनी काम नहीं करेंगे। हालांकि ओएफबी के विघटन के विरुद्ध हमारा संघर्ष आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।”
अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
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