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कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की

वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे थे, वहीं पर अमीर लोग जमकर कमाई कर रहे थे।
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गरीबी और अन्याय को खत्म करने के मकसद से दुनिया में मौजूद कई तरह की असमानताओं पर काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के मंच पर प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे थे, वहीं पर अमीर लोग जमकर कमाई कर रहे थे।

ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि एक तरफ कोविड-19 जिंदगी जीने के लिए मानवता के इतिहास में सबसे क्रूर समय में से एक था, वहीं दूसरी तरफ यह अरबपतियों के लिए पैसा कमाने के लिहाज से दुनिया के इतिहास में सबसे शानदार समय में से एक साबित हुआ।

न्यूयार्क से लेकर दिल्ली तक आम लोगों की जिंदगी कोविड-19 में तबाही की हालात से गुजरी। कई लोगों को भूखा रहना पड़ा। कई परिवारों के पास इतना पैसा नहीं था कि वे रोजाना का खाना और मेडिकल सुविधाएं दोनों हासिल कर सके। जीवन की बुनियादी जरूरतों में किसी एक को मार कर दूसरे के साथ जीना पड़ा। घर के बच्चे बच्चियों की पढ़ाई छूट गई। कईयों को अपना रोजगार गंवाना पड़ा। कईयों की जिंदगी बद से बदतर हुए। भारत जैसे देशों की खतरनाक गरीबी नंगे पांव शहर से गांव जाते हुए लोगों के हुजूम के साथ दिखनी लगी।

सरकार और वैश्विक समुदाय इस भयानक बदहाली से लोगों को बचाने में ज्यादा कामयाब नहीं हुए। कोविड की वजह से तकरीबन दो करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत के आंकड़े मिल रहे हैं। पूरी दुनिया में हुई मौतों का हिसाब लगाया जाए तो हर 4 सेकंड में तकरीबन 1 मौत हो रही थी।

इस दुनिया को अलविदा कहने वालों में भी सबसे अधिक गरीब लोग ही थे। अधिकतर अमीर लोग मौत की मार से बचे हुए थे। केवल बचे हुए ही नहीं थे बल्कि दुनिया के अमीर अरबपतियों ने इस दौरान जमकर कमाई की। सरकारों ने अर्थव्यवस्था का पहिया रुकने से बचाने के लिए अर्थव्यवस्था में जमकर पैसा झोंका। चूंकि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले अधिकतर संपत्तियों का मालिकाना हक निजी क्षेत्रों के पास है इसलिए अमीरों की संपत्ति में गजब का इजाफा हुआ।

ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि जिस समय दुनिया के अधिकतर हिस्सों में जीवन जीने की लागत बहुत अधिक बढ़ गई थी, उसी समय खाद्य, ऊर्जा, दवाई और प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े अमीरों और अरबपतियों ने जमकर कमाई की।

-महज 24 महीने यानी 2 साल में दुनिया के अरबपतियों की कमाई में जितना इजाफा हुआ है, वह 23 साल में हुई कमाई के इजाफे के बराबर है।

- खाने के सामान और ऊर्जा संसाधनों से जुड़े सामानों की कीमतों में जितना इजाफा अभी हुआ है, उतना इजाफा पिछले दस सालों में नहीं हुआ। फूड और एनर्जी सेक्टर से जुड़े अरबपतियों की हर 2 दिन की कमाई में तकरीबन 1 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ। इस दौरान फूड और एनर्जी सेक्टर में तकरीबन 62 और अरबपति शामिल हुए हैं।

- जीवन जीने की लागत बढ़ने की वजह से दुनिया भर में तकरीबन 26 करोड़ लोग एक्सट्रीम पॉवर्टी की सीमा को पार कर गए। गरीबी की खाई में गिर गए। अगर ढंग से हिसाब लगाकर कहा जाए तो हर 33 घंटे में दुनिया भर में 10 लाख लोग गरीब हो रहे थे और हर 30 घंटे में 1 अरबपति बन रहा था।

अमीरों के पास मौजूद इतनी अधिक संपत्ति पूरी दुनिया के शासन तंत्र के लिए घातक साबित हो रही है। राजनीति और मीडिया पर कॉरपोरेट का कब्जा है। यह संस्थाएं इतनी अधिक भ्रष्ट हो चुकी है कि सरकार से लेकर नागरिकों तक में किसी भी तरह का जिम्मेदारी का भाव पैदा करने में असफल साबित हो रही हैं।

-कोविड 19 के दौरान दुनिया के 10 सबसे अधिक अमीर लोगों की कोरोना महामारी के दौरान संपत्ति में होने वाले इजाफे पर अगर टैक्स लगा दिया जाता तो इतना पैसा इकट्ठा हो जाता कि पूरी दुनिया को फ्री में वैक्सीन लग जाती।  शिक्षा स्वास्थ्य और  सामाजिक सुरक्षा सब को मुहैया करवा दी जाती। दुनिया के तकरीबन 80 देशों में लिंग आधारित हिंसा को रोकने से जुड़ी मदद की जा सकती है।

- पूरी दुनिया में 2668 अरबपति हैं। साल 2020 के बाद केवल 2 सालों के भीतर इनकी संख्या में 573 की बढ़ोतरी हुई है। केवल 2 सालों में अरबपतियों की कुल संपत्ति में 42% की बढ़ोतरी हुई है।

- अरबपतियों की कुल संपत्ति साल 2020 में पूरी दुनिया की जीडीपी की तकरीबन 4.4% हुआ करती थी। अब यह बढ़कर के 13.9% पर पहुंच गई है।

- पूरी दुनिया के 10 सबसे अधिक अमीर लोगों की संपत्ति पूरी दुनिया की 40% सबसे गरीब लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा है।

- यहां के 20 अरबपतियों की संपत्ति अफ्रीका के सहारा क्षेत्र की कुल जीडीपी से ज्यादा है।

- दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क अगर अपनी संपत्ति के 99% को खो देते हैं उसके बाद भी वह दुनिया के 0.0001% अमीर लोगों के बीच होंगे। 2019 के बाद उनकी संपत्ति में 699% की बढ़ोतरी हुई है।

- दुनिया के 50% गरीब लोगों में से किसी भी एक व्यक्ति को 1% अमीर लोगों की साल भर की आमदनी के बराबर कमाई करने के लिए 112 साल काम करना पड़ेगा।

- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही काम के लिए औरतों को मर्दों के मुकाबले कम मेहनताना दिया जाता है। औरतों और  मर्दों के बीच मौजूद इस तरह की आर्थिक असमानता को भरने अगर कोरोना से पहले 100 साल लग सकता था तो अब अनुमान किया जा रहा है कि 138 साल लग सकता है।

- ज्यादा कमाई वाले देशों में लोगों की जीवन प्रत्याशा कम कमाई वाले देशों की तुलना में 16 साल  ज्यादा है।

- तकरीबन 56 लाख लोग गरीब देशों में हर साल मेडिकल सुविधाओं तक पहुंच की कमी के कारण मर जाते हैं यानी हर दिन 15,000 से ज्यादा लोग।

- कोरोना महामारी में गरीब देशों में अमीरों देशों की तुलना में चार गुना ज्यादा लोगों की जान गयी है।

- दुनिया भर मे लगभग 11.66 अरब टीके की खुराक दी जा चुकी है। अगर ये निष्पक्ष तौर पर बांटे जाते तो दुनिया के हर वयस्क को टीका लग जाता। लेकिन टीकों का बंटवारा इतना पक्षपाती हुआ है कि अभी तक कम कमाई वाले देशों में केवल 13 फीसदी आबादी को टीक लगा है। अमीरों की संपत्तियों में होने वाला इस तरह का इजाफा 1 दिन की बात नहीं है। अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई सरकारी नीतियों का परिणाम है। अगर अमीरों की झोली में गरीबों का हक गया है तो यह सरकारी कामकाज की नाकामी का सबूत है। सरकार के पास कई ऐसे तरीके हैं कि वह इस असमानता की खाई को कम कर सके। अमीरों की असामान्य कमाई और संपत्ति पर बढ़ी हुई दरों के साथ टैक्स लगाने का सुझाव कई बार दिया जा चुका है। कई बार यह कहा जा चुका है कि अगर सरकार चाहे तो जरूरतमंदों के लिए मुफ्त में पढ़ाई, दवाई और इलाज की व्यवस्था की जा सकती है।

अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह अमीरों और कॉरपोरेट की कमाई से मिल रही आर्थिक मदद से अपनी कुर्सी बचाने का ज्यादा काम करती है या अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को कम करने का काम करती है।

 

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