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पाकिस्तान में नए प्रधानमंत्री का चयन सोमवार को होगा

पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ, पीटीआई के कुरैशी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकन पत्र जमा किया। नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए सोमवार दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होगी।
imran khan
साभार: इंडियन एक्स्प्रेस

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री का चयन सोमवार को होगा, जब नेशनल असेंबली इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद फिर से बैठक करेगी। नेशनल असेंबली की कार्यवाही रविवार तड़के स्थगित कर दी गई।
     
इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल किए जाने वाले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं।
     
संयुक्त विपक्ष ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) अध्यक्ष शहबाज शरीफ को पहले ही अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
     
नेशनल असेंबली की मैराथन बैठक रविवार तड़के स्थगित कर दी गयी और नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए सोमवार दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होगी। 

पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ, पीटीआई के कुरैशी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकन पत्र जमा किया

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने रविवार को खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया, जबकि पूर्व सत्तारूढ़ दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने पद के लिए शाह महमूद कुरैशी को अपना उम्मीदवार नामित किया।
     
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार के मुताबिक नेशनल असेंबली द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर 70 वर्षीय शहबाज ने सदन के नए नेता के लिए नामांकन पत्र जमा किया। पीएमएल-एन के वरिष्ठ नेता ख्वाजा आसिफ और राणा तनवीर शहबाज के अनुमोदक के तौर पर काम करेंगे।

इमरान पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बने
     
मुल्क के 22वें प्रधानमंत्री खान (69) को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया और वह पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं। उन्होंने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उनका 10 अप्रैल 2022 तक 1,332 दिनों का कार्यकाल रहा।
     
‘जियो न्यूज’ की खबर के अनुसार, क्रिकेटर से नेता बने खान तीन साल सात महीने और 23 दिन तक प्रधानमंत्री पद पर रहे, जो महीनों के हिसाब से करीब 43 महीने और 23 दिन का समय है। मौजूदा सदन का कार्यकाल अगस्त 2023 तक का है।
     
सादिक ने सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे एक बार फिर नेशनल असेंबली की बैठक बुलाने की घोषणा की और कहा कि इस दौरान नए प्रधानमंत्री का चयन किया जाएगा। हालांकि, बाद में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर बताया कि सदन की बैठक दोपहर दो बजे होगी।
     
निचले सदन ने ट्वीट किया, ‘‘नेशनल असेंबली की बैठक सोमवार 11 अप्रैल, 2022 को पूर्वाह्न 11 बजे के बजाय दोपहर दो बजे शुरू होगी।’’
     
इससे पहले, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने सत्र की अध्यक्षता करने के लिए सादिक को नामित किया था। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता कैसर ने सदन की कार्यवाही चलाने में असमर्थ होने का हवाला देते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। सादिक ने तत्काल मतदान प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
     
342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान समाजवादी, उदारवादी और कट्टर धार्मिक दलों के संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था, जो प्रधानमंत्री को सत्ता से बाहर करने के लिए जरूरी संख्याबल यानी 172 से अधिक था।
    
पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के समय इमरान (69) संसद के निचले सदन में मौजूद नहीं थे। उनकी पार्टी के सांसदों ने भी मतदान के दौरान सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि, पीटीआई के बागी सदस्य सदन में मौजूद थे और सत्ता पक्ष की सीटों पर बैठे थे। 

इस बीच, पीटीआई के सांसद फैसल जावेद ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इमरान खान ने प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास छोड़ दिया।
     
इमरान को हटाए जाने के साथ ही नए प्रधानमंत्री के चुनाव की कवायद शुरू हो गई। 
     
खान ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का वादा करके 2018 में सत्ता में आए थे। उन्होंने पिछले साल आईएसआई खुफिया एजेंसी के प्रमुख की नियुक्ति को समर्थन देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद ऐसा माना जाता है कि उन्होंने शक्तिशाली सेना का समर्थन भी खो दिया था। खान लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को खुफिया प्रमुख बनाए रखना चाहते थे, लेकिन सेना के आलाकमान ने पेशावर में कोर कमांडर के तौर पर उनका तबादला कर दिया था।

इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद उनके करीबी सहयोगी के घर पर पड़े छापे

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इमरान खान को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाए जाने के बाद उनके एक करीबी सहयोगी के घर पर रविवार को छापेमारी की कार्रवाई की गई और उसके परिवार के सदस्यों के फोन जब्त कर लिए गए। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) ने यह आरोप लगाया।
     
उल्लेखनीय है कि डॉ. अर्सलान खालिद बतौर ‘फोकल पर्सन’ खान के लिए वर्ष 2019 से ही उनकी डिजिटल टीम में काम कर रहे थे।
     
पीटीआई ने ट्वीट किया, ‘‘डिजिटल मामलों में प्रधानमंत्री इमरान खान के पूर्व फोकल पर्सन डॉ. अर्सलान खालिद के घर पर छापेमारी की गई और उनके परिवार के सभी सदस्यों के फोन जब्त कर लिए गए हैं।’’
     
इमरान की पार्टी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘उन्होंने सोशल मीडिया पर कभी किसी को अपमानित नहीं किया था और न ही कभी किसी संस्थान पर हमला किया था।’’
     
पार्टी ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) से इस मामले की जांच करने का आह्वान किया है।
     
जियो टीवी की खबर के मुताबिक, खालिद ने किंग एडवर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी से स्नातक की उपाधि हासिल की है और वह उद्यमी हैं। उन्होंने पूर्व में पीटीआई की लाहौर इकाई की सोशल मीडिया टीम का नेतृत्व किया था।
     
खबर के मुताबिक, उन्होंने वर्ष 2018 के आम चुनाव में डिजिटल मीडिया अभियान सहित कई ऐतिहासिक सोशल मीडिया अभियानों का नेतृत्व किया था।
     
पूर्व संघीय मंत्री और पीटीआई नेता असद उमर ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खालिद के आवास पर छापेमारी ‘‘निंदनीय’’है। 
     
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अर्सलान खालिद के आवास पर छापेमारी बेहद निंदनीय है। डॉ.अर्सलान की तरह देशभक्त युवा देश की संपत्ति हैं।’’
     
उल्लेखनीय है कि इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये अपदस्थ करने के बाद सोमवार को नेशनल असेंबली नए प्रधानमंत्री का चुनाव करेगी।
     
संयुक्त विपक्ष ने पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ को अपना संयुक्त उम्मीदवार नामित कर दिया है।

पदस्थ होने से पहले इमरान खान ने सेना प्रमुख को बर्खास्त करने की कोशिश की

पाकिस्तानी मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद से बेदखल होने से पहले सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को बर्खास्त करने का प्रयास किया था, ताकि कोई ऐसा व्यक्ति आए जो ‘‘विदेशी षडयंत्र’’ के उनके (खान के) दावे और सत्ता में बने रहने के उनके इरादे के प्रति अधिक सहानुभूति रखता हो।

‘बीबीसी उर्दू’ ने कहा कि ‘‘दो बिन बुलाए मेहमानों’’ को लेकर एक हेलीकॉप्टर रात को प्रधानमंत्री के आवास में उतरा और सेना के जवानों ने उन्हें एक इमारत में प्रवेश कराया। उन दोनों ने की खान के साथ 45 मिनट तक बैठक चली।
     
खबर में कहा गया है कि बैठक के बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है लेकिन यह सौहार्दपूर्ण माहौल में नहीं हुई। 
     
खबर के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री ने मिलने आए उच्च अधिकारियों में से एक को हटाने का एक घंटे पहले आदेश जारी किया था। इसलिए, प्रधानमंत्री को इन बिन बुलाए मेहमानों के आने की उम्मीद नहीं थी। इमरान खान एक हेलीकॉप्टर के आने का इंतजार कर रहे थे लेकिन हेलीकॉप्टर में जो लोग आए उनका उन्हें अंदाजा नहीं था और न ही इसकी उम्मीद थी।’’
     
इसमें कहा गया है कि खान को उम्मीद थी कि हेलीकॉप्टर में उनके ‘‘नवनियुक्त अधिकारी’’ आएंगे, जिनके आने से सारी राजनीतिक उथल-पुथल पर विराम लग जाएगा।
     
खबर में कहा गया है कि ‘‘बदलाव’’ की कोशिश नाकाम हो गई क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने नई नियुक्ति के लिए आवश्यक अधिसूचना जारी नहीं की।
     
बीबीसी ने ‘‘बिन बुलाए मेहमानों’’ की पहचान नहीं बताई लेकिन खबर में शब्दों के चयन और इस्तेमाल किये गये लहजे से पता चलता है कि वे सेना प्रमुख जनरल बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम रहे होंगे।
     
खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेना की मीडिया ईकाई ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) ने रविवार को बीबीसी उर्दू के आलेख को खारिज कर दिया और इसे ‘‘विशिष्ट दुष्प्रचार’’ वाली कहानी बताया। 
    
उसने एक बयान में कहा कि यह आलेख ‘‘पूरी तरह निराधार और झूठ का पुलिंदा’’ है।
     
डॉन अखबार की खबर के अनुसार, उसने कहा कि ‘‘विशिष्ट दुष्प्रचार’’ वाली कहानी ‘‘किसी भी विश्वसनीय और प्रासंगिक स्रोत’’ के बिना लिखी गयी है और दावा किया कि यह ‘‘पत्रकारिता के बुनियादी मूल्यों का उल्लंघन’’ करती है। 
     
बयान में कहा गया है, ‘‘फर्जी कहानी में कोई सच्चाई नहीं है और यह स्पष्ट रूप से एक संगठित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा दिखायी देती है। इस मामले को बीबीसी प्राधिकारियों के समक्ष उठाया जा रहा है।’’
     
ऐसी भी खबर है कि वकील अदनान इकबाल ने जनरल बाजवा को सेना प्रमुख पद से संभावित रूप से हटाए जाने को चुनौती देने के लिए याचिका तैयार कर ली थी। अगर रक्षा मंत्रालय अधिसूचना जारी करती तो इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में रात में सुनवाई की जाती।
     
वहीं, ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में शनिवार रात एक आपात याचिका दायर कर खान को जनरल बाजवा को सेना प्रमुख के पद से हटाने से रोकने का अनुरोध किया गया।
     
बीबीसी की खबर में कहा गया है कि एक याचिका तैयार की गई लेकिन तकनीकी कारण से दायर नहीं की गई क्योंकि इसमें सेना प्रमुख को हटाने की आधिकारिक अधिसूचना की संख्या नहीं थी, जो अंतत: जारी नहीं की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने भी सुनवाई करने की तैयारी कर ली थी। 

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